(India This Week) Weekly Current Affairs for UPSC, IAS, Civil Service, State PCS, SSC, IBPS, SBI, RRB & All Competitive Exams (17th - 23rd October 2019)
इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम का मक़सद आपको हफ्ते भर की उन अहम ख़बरों से रूबरू करना हैं जो आपकी परीक्षा के लिहाज़ से बेहद ही ज़रूरी है। तो आइये इस सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों के साथ शुरू करते हैं इस हफ़्ते का इण्डिया दिस वीक कार्यक्रम...
न्यूज़ हाईलाइट (News Highlight):
- दिल्ली में तेज़ी से बढ़ रहा है वायु प्रदूषण। मौसम विभाग के मुताबिक़ फसलीय अवशेष के जलाए जाने के कारण दिल्ली में बढ़ा है वायु प्रदूषण
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जारी की आउटलुक रिपोर्ट। वित्तीय वर्ष 2019 और 2020 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.1 और 7% है रहने का अनुमान
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय ने शुरू की वन नेशन वन फास्टैग स्कीम। टोल प्लाजा पर डिजिटल रूप से टोल इकठ्ठा करना और देश में वाहनों की बिना रोकटोक आवाजाही को तय करना है इस योजना का मक़सद
- PMC घोटाला मामले में PMC बैंक के पूर्व निदेशक सुरजीत सिंह अरोड़ा हुए गिरफ्तार। बैंक के निदेशक होने के साथ-साथ उसकी ऋण समिति में भी शामिल थे सुरजीत सिंह अरोड़ा
- 18 अक्तूबर को नई दिल्ली में आयोजित हुआ 11वां परमाणु ऊर्जा सम्मेलन। परमाणु ऊर्जा उद्योग के समक्ष अवसर और चुनौतियों समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अमेरिका के साथ जारी व्यापार वार्ता जल्द लेगी समझौते का रूप। पिछले दिनों भारत और अमेरिका के बीच कई वजहों के चलते प्रभावित हुए हैं दोनों देशों के व्यापार संबंध
- पिछले कुछ दशकों से ख़राब हो रहे हैं अजंता के गुफा-चित्र। कीड़ों और गुफाओं में पानी के प्रवेश के कारण पहुँच रहा है अजंता के गुफा-चित्रों को नुक्सान
खबरें विस्तार से:
1.
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। दरअसल यहां वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है और प्रदूषण का स्तर बहुत खराब की श्रेणी में पहुंच गया है। आपको बता दें कि वायु प्रदूषण को मापने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI की शुरुआत की गई है. AQI की माप आठ प्रदूषकों पर आधारित है जिसमें PM10, PM2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, अमोनिया और लेड शामिल हैं।
मौसम विभाग ने बताया कि 16 अक्टूबर को दिल्ली में उत्तर-पूर्वी दिशा से हवा पहुंची, जिसकी रफ्तार चार से पांच किलोमीटर प्रति घंटा रही। अब दिक्कत यह है कि उत्तर प्रदेश में फसलीय अवशेष जलाए जाने के कारण यहां से आ रही हवा के साथ प्रदूषक कण भी आ रहे हैं। लेकिन दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषक कण आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। नतीजतन प्रदूषण का स्तर दिल्ली में बहुत खराब स्तर पर पहुंच गया।
इसके अलावा मौसम विभाग ने आशंका जाहिर किया है कि आने वाले दिनों में हवा की दिशा में बदलाव हो सकता है, जिसमें उत्तर-पश्चिमी दिशा से दिल्ली की तरफ हवा दस्तक देगी। उस समय पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा कई अस्थाई कदम उठाए जा रहे हैं. जिनमें ग्रेप सिस्टम और ऑड-ईवन व्यवस्था को लागू करने जैसे कदम शामिल हैं. इसके अलावा सरकार द्वारा कई दीर्घकालिक उपाय भी किए जा रहे हैं. वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 10 जनवरी, 2018 को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया। ये समयबद्ध तरीके से लागू किया जाने वाला एक पाँच वर्षीय कार्यक्रम है। जिसका मुख्य मक़सद वायु प्रदूषण को रोकना है। इस कार्यक्रम में 102 प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
ग़ौरतलब है कि भारत में PM 2.5 यानी पार्टिकुलेट मैटर का बढ़ता स्तर वायु प्रदूषण के लिहाज से सबसे गंभीर समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक PM 2. 5 की सुरक्षित सीमा – 40 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब निर्धारित की गयी है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली में ये स्तर अक्सर ही 200 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब के करीब बना रहता है।
पार्टिकुलेट मैटर को अभिकणीय पदार्थ के नाम से जाना जाता है। ये हमारे वायुमंडल में उपस्थित बहुत छोटे कण होते हैं जिनकी मौजूदगी ठोस या तरल अवस्था में हो सकती है। पार्टिकुलेट मैटर वायुमंडल में निष्क्रिय अवस्था में होते हैं, जोकि अतिसूक्ष्म होने के कारण साँसों के ज़रिये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं।
2.
बीते दिनों अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट 2019 जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक़ वित्तीय वर्ष 2019 और 2020 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 6.1 और 7% रहने का अनुमान है। इससे पहले अप्रैल में IMF द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3% रहने का अनुमान लगाया गया था, जिसे जुलाई की रिपोर्ट में घटाकर 7% कर दिया गया था। IMF की इस रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू उपभोग मांग में कमी आर्थिक विकास दर के कम होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। इसके अलावा वित्तीय रूप से कमज़ोर गैर-बैंक वित्तीय क्षेत्र, वित्तीय संस्थाओं की संगठनात्मक कमी और बढ़ते NPA के कारण भारत के आर्थिक विकास पर बुरा असर प्रभाव पड़ रहा है।
IMF ने अपनी इस रिपोर्ट में रोज़गार और बुनियादी ढांँचे को बढ़ावा देने के लिये श्रम और भूमि कानूनों में संरचनात्मक सुधार किए जाने की बात कही है। साथ ही IMF ने भारत की विकास दर को बढ़ाने के लिये कुछ और भी उपाय सुझाए हैं। इनमें मौद्रिक नीति में ढील, कॉर्पोरेट कर में कटौती, पर्यावरण और कॉर्पोरेट अनिश्चितताओं को दूर करना और ग्रामीण उपभोग को बढ़ाने जैसे सरकारी प्रयास शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF के बारे में आपको बताएं तो ये दुनिया में मौद्रिक सहयोग बढ़ाने, वित्तीय स्थिरता लाने, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मदद करने, और अधिक रोजगार प्रदान करने के लिए काम करता है। इसके अलावा सतत् आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना और दुनिया भर में गरीबी कम करने जैसे काम भी IMF के कामों में शुमार हैं। साथ ही Special Drawing Right यानी विशेष आहरण अधिकार IMF की लेन-देन की एक इकाई है। इसके तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अपने सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के रूप में काम करता है। आपको बता दें कि विशेष आहरण अधिकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं का एक ऐसा भंडार है जिसमें अमेरिकी डॉलर, चाइनीस युआन, जापानी येन, यूरो और पाउंड स्टर्लिंग जैसी मुद्राएं शामिल हैं। इन सब के अलावा वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक रिपोर्ट IMF द्वारा ही जारी की जाती है। अमूमन ये रिपोर्ट साल भर दो बार प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट में मैक्रोइकॉनॉमिक्स यानी समष्टि अर्थशास्त्र से जुड़े पहलुओं पर विश्लेषण रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का काम, भारत सरकार, रिजर्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के बीच सूचना के प्रवाह में मदद करना है। इसके अलावा रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का भी काम IMF करता है। ग़ौरतलब है कि मौजूदा वक़्त में भारत समेत दुनिया भर के कुल 189 देश IMF सदस्य है। इसके अलावा IMF का मुख्यालय वाशिंगटन डी सी में मौजूद है।
3.
बीते दिनों सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय ने वन नेशन वन फास्टैग स्कीम की शुरुआत की। इस योजना का मकसद टोल के संग्रह को डिजिटल रूप से इकठ्ठा करना और पूरे देश में वाहनों की बिना रोकटोक गतिशीलता को तय करना है। यानी 1 दिसम्बर 2019 से जब ये योजना देश में लागू होगी तो कोई भी वाहन बिना कैश में टोल दिए कहीं भी ट्रैवल कर सकेगा। इसके आलावा फास्टैग की व्यवस्था लागू होने के बाद टोल प्लाजा पर जाम नहीं लगेगा जिससे लोगों का समय और इंधन भी बच सकेगा।
आपको बता दें कि फास्टैग वाहन के विंडस्क्रीन में लगाए जायेंगे। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन RFID लगा होगा। इससे जैसे ही वाहन टोल प्लाज़ा के पास पहुंचेगा इसमें लगे रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन RFID के ज़रिए टोल गेटों पर बिना रुके डिजिटल रूप से भुगतान किया जा सकेगा। गौरतलब है कि ये टैग बैंक खातों और अन्य भुगतान विधियों से जुड़े होंगे। फास्टैग को रिचार्ज करने के लिये क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, RTGS और नेट बैंकिंग का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा एक फास्टैग पाँच साल के लिये वैध होता है जिसे ज़रूरत के मुताबिक़ रिचार्ज कराना होगा।
4.
पिछले 16 अक्टूबर को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW ने पीएमसी बैंक के पूर्व निदेशक सुरजीत सिंह अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया। पीएमटी घोटाले से जुड़ी यह अब तक की पांचवी गिरफ्तारी है। सुरजीत बैंक के निदेशक होने के साथ-साथ उसकी ऋण समिति में भी शामिल थे। इसके अलावा, 16 अक्टूबर को ही सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए तैयार हो गया, जिसमें पीएमसी बैंक घोटाले से प्रभावित 15 लाख लोगों के लिए अंतरिम सुरक्षा उपाय किए जाने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
दरअसल हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंधन को कुछ महीनों के लिए अपने हाथ में ले लिया है। साथ ही आरबीआई ने बैंक पर तमाम तरह की पाबंदियाँ भी लगा दी। बैंक की गतिविधियों में अनियमितता पाए जाने के बाद आरबीआइ ने ये क़दम उठाया है। रिजर्व बैंक का यह निर्देश आगामी छह महीने तक लागू रहेगा। बैंक पर आरोप है कि इसने अपने द्वारा दिए गए कर्ज की जानकारी को आरबीआई से छिपाया है। साथ ही इसने कर्ज देने के नियमों का भी उल्लंघन किया है। इसीलिए रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 की धारा 35A के तहत यह कार्रवाई किया है।
साल 1984 में स्थापित पीएमसी बैंक एक बहु-राज्यीय अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक है। 137 शाखाओं के साथ बैंक का ऑपरेशन महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में है। इसका कुल कारोबार करीब 20 हजार करोड़ रुपये का है।
दरअसल इस बैंक में ग्राहकों के 11,617 करोड़ रुपये की राशि जमा है जबकि बैंक ने 8,383 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है। बताया जा रहा है कि पीएमसी ने नियमों की अनदेखी करते हुए अपने कर्ज का एक बड़ा हिस्सा रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कंपनी एचडीआईएल समूह को ही दे दिया था। बैंक का 73 फ़ीसदी से ज़्यादा का कर्ज एनपीए हो चुका है। आपको बता दें कि सहकारी बैंकों का गठन और परिचालन सहकारिता के आधार पर किया जाता है। इनका मकसद शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को कर्ज़ की सुविधा प्रदान करना है। सहकारी बैंक कुछ मामलों में वाणिज्यिक बैंकों से अलग होते हैं मसलन सहकारी बैंक का प्राथमिक लक्ष्य अधिक-से-अधिक लाभ कमाना नहीं होता, बल्कि अपने सदस्यों को बेहतर सेवाएं और उत्पाद प्रदान करना होता है।
को-ऑपरेटिव बैंकों की स्थापना “राज्य सहकारी समिति अधिनियम के मुताबिक की जाती है। इनका रजिस्ट्रेशन “रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटी के पास किया जाता है। इनका रेगुलेशन राज्य सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आंशिक रूप से किया जाता है। सहकारी बैंकों का गठन ही सहकारिता के आधार पर किया जाता है लेकिन एक आंकड़े के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के करीब 55 फ़ीसदी लोग अभी तक इस सहकारिता व्यवस्था से नहीं जुड़ पाए हैं। यानी इन बैंकों के सहकारिता का मूल उद्देश्य ही पूरा होता नहीं दिख रहा है इसके अलावा ये बैंक में सभी स्तरों पर अतिदेय यानी ओवरड्यूज की दिक्कत से जूझ रहे हैं। साथ ही बीच-बीच में पीएमसी जैसे भ्रष्टाचार के उजागर होने के बाद इन बैंकों की विश्वसनीयता घटती जा रही है। ज्यादातर सहकारी बैंक पेशेवर प्रबंधन की कमी का भी सामना कर रहे हैं।
सहकारी बैंकों की संरचना इस तरह की है कि इन पर द्वैध नियंत्रण का आभास होता है। दरअसल इनका रेगुलेशन और नियंत्रण तो आरबीआई द्वारा किया जाता है लेकिन इसका प्रशासन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। जिनसे तमाम तरह की दिक्कतें पैदा होती है।
5.
बीते 18 अक्तूबर को नई दिल्ली में 11वें परमाणु ऊर्जा सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस आयोजन के मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के अपने वादे पर कायम है भारत चिकित्सा समेत कई अन्य क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं और ये पूरी तरह सुरक्षित है इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा एक बड़ा स्रोत बन सकता है। इस दिशा में छात्रों और आम जनता को परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देने के लिये दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘हॉल ऑफ न्यूक्लिर एनर्जी’खोला गया है।
सम्मेलन में परमाणु ऊर्जा उद्योग के समक्ष अवसर और चुनौतियों, शहरी कचरे के निस्तारण और स्वास्थ्य सेवाओं में परमाणु ऊर्जा के उपयोग और परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा के लिये उभरती प्रौद्योगिकी जैसे विषयों पर चर्चा हुई है। इसके अलावा सरकार द्वारा अलग - अलग सामाजिक क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा के अनुप्रयोगों में भी विविधता लाने की बात कही गई ताकि इससे जिससे सुरक्षित और किफायती प्रौद्योगिकियों की दिशा में नवाचार को बढ़ावा दिया जा सकता है। गौरतलब है कि इस सम्मलेन का विषय परमाणु ऊर्जा का अर्थशास्त्र था।
6.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने हालिया बयान में कहा कि भारत-अमेरिका में चल रही व्यापार वार्ता जल्द ही समझौते का रूप ले लेगी। उन्होंने आगे बताया कि वार्ता की प्रगति बहुत अच्छी है और इसे उम्मीद से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
दरअसल अमेरिका चाहता है कि उसके स्टेंट्स और घुटने के प्रत्यारोपण संबंधी मेडिकल उपकरणों, आइसीटी उत्पाद और डेयरी के लिए भारत प्राइस कैप हटाकर बाजार उपलब्ध कराए। दूसरी तरफ भारत भी अपने घरेलू बाजार को बचाने का प्रयास कर रहा है। भारत और अमेरिका के बीच तमाम ऐसे मुद्दे रहे हैं, जिसने दोनों देशों के व्यापार संबंधों को प्रभावित किया है। इसमें, भारत का नया ई-कॉमर्स नियम, मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों को तय किया जाना और आईसीटी प्रॉडक्ट्स पर शुल्क लगाया जाना जैसे मुद्दे शामिल हैं।
भारत दो कारणों से अमेरिका को टैरिफ छूट देने से मना कर रहा है। पहला ये कि जिन उत्पादों पर अमेरिका छूट चाह रहा है वो उत्पाद अमरीका द्वारा भारत को बहुत ही कम मात्रा में निर्यात किया जाता है। ऐसे में अगर भारत द्वारा टैरिफ में छूट दे भी दिया जाय तो अमेरिका को कोई ख़ास फायदा होने की संभावना नहीं है। दूसरा, भारत केवल अमेरिका के लिए टैरिफ में कमी नहीं कर सकता क्योंकि ग्लोबल ट्रेड नियमों के मुताबिक़ इस तरह की छूट मोस्ट फेवर्ड नेशन के आधार पर दिया जाना चाहिए। इस तरह का कदम उठाने पर चीन को भी फायदा होगा। लेकिन दिक्कत ये है कि भारत का पहले ही चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट बहुत अधिक है और टैरिफ में छूट देने से यह और भी बढ़ जाएगा।
7.
बीते दिनों राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान NEERI द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अजंता के गुफा-चित्र पिछले कुछ दशकों में कीड़ों और जलवायवीय घटनाओं के चलते ख़राब हो रहे हैं। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान के मुताबिक अजंता चित्रों को नुकसान पहुँचाने वाले कीड़ों में सिल्वर फिश और झींगुर जैसे कुछ सामान्य कीड़े थे। इसके आलावा इस रिसर्च में बारिश के पानी और वाघुर नदी के जल प्रवेश को भी अजंता के गुफा-चित्र को नुकसान पहुंचाने के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है। दरअसल गुफा में पहुंचें वाले पानी गुफा के वातावरण में नमी पैदा करता है, जिससे शैवाल, कवक, कीड़े और सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में काफी बढ़ जाती है, जिससे यहाँ मौजूद चित्रों के रंग बदल रहे थे।
इसके अलावा इस रिसर्च में इस बात का भी ज़िक्र है कि अजंता की गुफाओं के पास मौजूद एलोरा की गुफाओं में चित्रों और नक्काशी के बचाव के लिये जूट, चूना और मिटटी के प्रभावी मिश्रण का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन अजंता की गुफाओं में इस पद्धति का उपयोग नहीं किया गया था। साथ ही पिछले कई अध्ययनों से पता चला है कि भित्ति चित्रों की आधारभूत परत मिट्टी के प्लास्टर और कार्बनिक पदार्थ से बनी थीं। इसके कारण ये कीड़ों के लिये एक अच्छा प्रजनन स्थल बन गया। इसके अलावा अजंता की गुफाओं के मौजूद चमगादड़ों और कबूतरों जैसे कई अन्य पक्षियों के अपशिष्टों ने अजंता के गुफा-चित्रों को नुक्सान पहुंचाया है।
इस शोध में अजंता के गुफा-चित्रों को बचाने के लिए कुछ उपायों का भी ज़िक्र है। इनमें शोधकर्त्ताओं ने कीड़ों की समस्या से निपटने के लिये रोशनी और रंगों का इस्तेमाल किए जाने का सुझाव दिया है। इसके अलावा इस शोध में ये भी बताया गया है कि दिन में कीड़े पीले रंग की तरफ अधिक आकर्षित होते हैं इसीलिये इस तरह के कीड़ों से निजात पाने के लिये पीले प्रकाश का जाल बिछाने का भी सुझाव दिया गया है। साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भी अजंता के चित्रों को ख़राब होने से बचाने के लिए कुछ काम कर रहा है। इनमें कीटनाशकों और शाकनाशियों का छिड़काव, नियमित सफाई जैसे कई और भी महत्वपूर्ण क़दम शामिल हैं। गौरतलब है की अजंता गुफा चित्रकला बौद्ध कला की उत्कृष्ट कला है। इसे यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलऔर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।
तो ये थी पिछली सप्ताह की कुछ महत्वपूर्ण ख़बरें...आइये अब आपको लिए चलते हैं इस कार्यक्रम के बेहद ही ख़ास सेगमेंट यानी इंडिया राउंडअप में.... जहां आपको मिलेंगी हफ्ते भर की कुछ और ज़रूरी ख़बरें, वो भी फटाफट अंदाज़ में...
फटाफट न्यूज़ (India Roundup):
1. मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने जारी की 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट। पशुधन गणना-2019 के मुताबिक देश में है कुल 535.78 मिलियन पशुधन आबादी
आपको बता दें कि पशुधन गणना-2019 के मुताबिक देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जिसमें पशुधन गणना- 2012 के मुकाबले 4.6 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। देश में पशु-गणना हर पांच साल पर होती है। भारत में पहली बार 1919-20 में पशु-गणना हुई थी।
2. पर्यावरण और राष्ट्रीय एकता से जुड़े अपने कामों के लिए प्रसिद्ध चंडी प्रसाद भट्ट को दिया गया साल 2017 और साल 2018 का 31वां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार। ‘चिपको आंदोलन’ से जुड़े चंडी प्रसाद गाँधीवादी विचारों से रहे हैं प्रभावित। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार के तहत 10 लाख रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
3. यूनिसेफ़ ने जारी की बच्चों के संबंध में अपनी सालाना रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन रिपोर्ट’ रिपोर्ट में भारत समेत दुनिया भर के देशों की बताई गई है बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक़ करीब 17 फ़ीसदी भारतीय बच्चे वेस्टिंग यानी लंबाई के अनुपात में कम वज़न की समस्या से पीड़ित हैं और लगभग 33 फ़ीसदी अंडरवेट की दिक्कत से जूझ रहे हैं।
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने जारी की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट- 2019। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले साल के मुकाबले टीबी के रोगियों की तादाद में पचास हज़ार की आई है कमी।
इस रिपोर्ट के आँकड़े 202 देशों और क्षेत्रों से लिये गए हैं। देशों और क्षेत्रों में विश्व की लगभग 99 फ़ीसदी आबादी रहती है। इसके अलावा देश में टीबी की समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा ‘निक्षय पोषण योजना’ चलाई जा रही है.
5. अमूमन 1 सितम्बर से मानसून का लौटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस साल मानसून की विदाई करीब 45 दिन देरी से हुई। पिछले क़रीब 55 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मानसून के लौटने में इतनी देरी हुई है। बहरहाल मानसून वापसी की इस देरी का असर उत्तर-पूर्वी मानसून पर नहीं देखा जा रहा है।
आपको बता दें कि मानसून मूलतः हिन्द महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं। ये हवाएं भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक क़रीब चार महीने तक सक्रिय रहती हैं।
यही हवाएँ लौटते वक्त उत्तर-पूर्वी मानसून का कारण बनती है. उत्तर-पूर्वी मानसून के चलते भारत में अक्तूबर से दिसंबर के दौरान करीब 20 फ़ीसदी बारिश होती है। आमतौर पर दक्षिण- पश्चिम मानसून के मुकाबले उत्तर-पूर्वी मानसून कम बारिश करता है लेकिन लौटते हुए मानसून के कारण होने वाली यह बारिश दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु के लिहाज से काफी अहम होती है।
6. साल 1985 बैच के गुजरात कैडर के वरिष्ठ IPS अधिकारी अनूप कुमार सिंह को बनाया गया NSG का नया महानिदेशक । आतंकवाद और हाइजैकिंग जैसी घटनाओं से निपटने के लिए साल 1984 में हुई थी स्पेशल रिएक्शन यूनिट के तौर पर हुई थी NSG की स्थापना।
7. नेशनल साइबर कोआर्डिनेशन सेंटर NCCC ने लांच किया 'टेकसागर' ऑनलाइन पोर्टल। भारत की तकनीकी क्षमता को बढ़ाना है 'टेकसागर' ऑनलाइन पोर्टल का मक़सद
आपको बता दें कि ये पोर्टल भारतीय डेटा सुरक्षा परिषद के संयुक्त सहयोग से जारी किया गया है। NCSC कार्यालय का काम साइबर सुरक्षा मामलों के लिये राष्ट्रीय स्तर पर तमाम एजेंसियों के साथ कोआर्डिनेशन करना है। इसे साल 2014 में गठित किया गया था।
8. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी की वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट 2019 । वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट-2019 के मुताबिक़ भारत में पिछले साल तपेदिक के रोगियों की संख्या में आई है 50000 की कमी।
आपको बता दें कि वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट-2019 के आँकड़े 202 देशों और क्षेत्रों से लिये गए हैं। ये क्षेत्र विश्व की लगभग 99% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है । रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2017 में भारत में तपेदिक रोगियों की संख्या 27.4 लाख थी जो साल 2018 में घटकर 26.9 लाख हो गई।
9. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB ने देश भर में अपराध की घटनाओं को लेकर जारी किया डेटा। रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2016 के मुकाबले में देश में अपराधों की घटनाओं में हुई है 30 प्रतिशत की वृद्धि
आपको बता दें कि डेटा में मॅाब लीचिंग, प्रभावशाली लोगों द्वारा हत्या और धार्मिक कारणों से की गई हत्याओं के डेटा को प्रकाशित नहीं किया गया है।इसके अलावा इसमें देशद्रोह, देश के खिलाफ जंग छेड़ने और दूसरों के बीच सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने जैसे अपराध शामिल हैं।
NCRB की केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है जिसकी स्थापना साल 1986 में की गई थी। NCRB का उद्देश्य भारतीय पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्रौद्योगिकी समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ प्रदान करके समर्थ बनाया जा सके।
10. पूर्वी लद्दाख में दुरबुक और दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाले कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु का हुआ उद्घाटन। श्योक नदी पर बना ये पुल लद्दाख से चीनी सीमा की कम करेगा दूरी श्योक नदी पर बनाया गया ये पुल सीमा सड़क संगठन BRO) द्वारा बनाया गया है। इस पुल का नाम कर्नल चेवांग रिनचेन के नाम पर रखा गया है जिनका जन्म लद्दाख क्षेत्र के सुमूर, नूब्रा घाटी में 11 नवंबर, 1931 को हुआ था।
तो इस सप्ताह के इण्डिया दिस वीक कर्यक्रम में इतना ही। परीक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी और भी तमाम महत्वपूर्ण ख़बरों के लिए सब्सक्राइब कीजिए हमारे यूट्यूब चैनल ध्येय IAS को। नमस्कार।