(Global मुद्दे) पाकिस्तान में नयी सरकार और उसके समक्ष चुनौतियाँ (New Government in Pakistan and Challenges Ahead)
सन्दर्भ
विपक्ष एवं कई देशों द्वारा लगाई गई तमाम अनियमितताओं तथा सेना प्रतिबंधित चुनाव के आरोपों के बीच आखिरकार इमरान खान ने 18 अगस्त को पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली। लेकिन इमरान खान को पाकिस्तान के नए मुखिया के तौर पर कई घरेलू और वैश्विक स्तर की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। घरेलू स्तर पर तेज़ी से बिगड़ते आर्थिक हालात, सेना का कठोर नियंत्रण, असंतुष्ट विपक्ष तथा आतंकवाद नयी सरकार के लिए अहम् मसला होगा।
आतंरिक समस्याएं
अर्थव्यवस्था
इनमे सबसे अहम् मुद्दा होगा बिगड़ती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना । IMF की रिपोर्ट की माने तो पाकिस्तान का व्यापार घाटा 2017-18 में 32.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 37.6 बिलियन डॉलर हो गया है । यह घाटा साल 2022-23 में 45 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अंदेशा है । इन हालात को मद्देनज़र रखते हुए इमरान खान अपने चुनावी दावों को जिनमे अगले 5 सालों में 6 % आर्थिक बढ़ोत्तरी, करों में छूट , हर साल 20 लाख लोगों को रोजगार को कैसे पूरा करेंगे यह नई सरकार के सामने एक मुख्य चुनौती होगी।
आतंरिक सुरक्षा
बिगड़ती अर्थव्यवस्था के अलावा आंतरिक सुरक्षा का मसला भी नयी सरकार के लिए काफी अहम् है । पाकिस्तान की जमीं और सरहदों पर बढ़ती आतंकी घटनाओं को मद्देनज़र रखते हुए जनता को महफूज़ रखना भी नई सरकार के सामने एक बड़ा मुद्दा होगा । ऐसे में नई सरकार किस तरह से सेना के साथ मिलकर आतंकी संगठनों और आतंकवाद पर लगाम लगाती है ये देखना होगा।
विदेश नीति
इमरान खान को पाकिस्तान के नए वज़ीरे आज़म के तौर पर अपनी विदेश नीति को भी नई दिशा देने की चुनौती ख़ास होगी । आम तौर पर पाकिस्तान की सेना ही विदेशी नीति का भविष्य तय करती है।
अफ़ग़ानिस्तान से सम्बन्ध
पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर बढ़ता आतंकवाद और पाकिस्तान सेना की सेना द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद को शह देना अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के संबंधों पर प्रश्नचिन्ह लगाता है । इमरान खान के चुनाव जीतने के बाद अपने सन्देश में अफ़ग़ानिस्तान और भारत के साथ संबंधों को एक नयी दिशा देने की बात कही है।अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर गिल्गिस्तान और बलूचिस्तान और तालिबान द्वारा समर्थित आतंकवाद पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय होगा इमरान खान को अतिवादियों के लिए नरम रुख रखने के कारण तालिबान खान के नाम से जाना जाता है अपनी इस छवि से इमरान खान को निजात पानी होगी
भारत से सम्बन्ध
भारत से संबंधों के मामले में पाकिस्तान की नयी सरकार को नयी रणनीति बनानी होगी एक तरफ जहाँ कश्मीर मुद्दे पर सेना के सहयोग से इमरान खान को भारत के साथ बातचीत के माध्यम से कुछ ठोस कदम उठाने होंगे वहीँ सीमा पर बढ़ते आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए भी कुछ ठोस और पुख्ता कदम उठाने होंगे इमरान खान को ये समझना होगा कि सिर्फ बयानबाज़ी और नारेबाजी से कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों को नहीं सुलझाया जा सकता
अमेरिका से सम्बन्ध
अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों की बात करें तो मौजूदा हालत बेहद खराब हैं।बीते दो या तीन दशकों की बात करें तो मौजूदा हालात इस ओर काफी गंभीर बन गए हैं। ट्रंप ने न सिर्फ पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद को कम दिया है वहीं खुलेतौर पर आतंकवाद को पालने के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की है।चीन से बढ़ती नज़दीकियां और चीन के द्वारा पाकिस्तान में किये गए अरबों डॉलर के निवेश पाकिस्तान और अमेरिका के सम्बन्ध और ख़राब कर दिए हैं ऐसे में इमरान खान के सामने अमेरिका से संबंध सुधारने की बड़ी चुनौती है।
चीन से सम्बन्ध
अपनी विदेश नीति में चीन को प्राथमिकता देने पर जोर देते हुए उन्होंने पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन के साथ संबंध दोनों मुल्कों के लिए अहम हैं। उन्होंने कहा, 'चीन ने चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर निर्माण के साथ हमें एक मौका दिया है। हमें चीन से अभी यह भी सीखना है कि कैसे अपने देश के लोगों को गरीबी से बाहर निकालना है और कैसे भ्रष्टाचार से निपटना है।'
ईरान से सम्बन्ध
ईरान के साथ अपने संबंधों को लेकर खान को नई रणनीति बनानी होगी । भारत और ईरान के बढ़ते रिश्तों के मद्देनज़र और भारत का चाबहार पोर्ट में किया गया निवेश पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है । इसके अलावा ईरान से अच्छे सम्बन्ध पाकिस्तान के रिश्ते सऊदी अरब से ख़राब कर सकते है ।
तमाम घरेलू और वैश्विक चुनौतियों और अवाम से किये गए अपने वादों को पूरा करने की कवायदों के बीच इमरान खान पाकिस्तान के नए वज़ीर के रूप में कैसे रहेंगे ये तो आने वाला वक़्त ही तय करेगा।