(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 22 August 2020
तीस्ता नदी जल विवाद क्या है?
- नदियाँ कितनी महत्वपूर्ण होती हैं यह इस तथ्य से समझा जा सकता है कि मानवीय सभ्यताओं का विकास नदी घाटियों में हुआ और वहीं से प्रसार हुआ।
- नदियाँ न सिर्फ स्वच्छ जल (पेयजल) का मुख्य स्रोत हैं बल्कि कृषि, मत्स्य-पालन, जल विद्युत, परिवहन, उद्योग, नगरीय विकास आदि के आधार हैं। इसलिए जब भी कोई नदी दो देशों या दो से अधिक देशों के बीच प्रवाहित होती है तो उसके जल के प्रयोग को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाता है।
- भारत और बांग्लादेश के बीच बहने वाली कुल नदियों की संख्या 54 है, लेकिन हम बात केवल तीस्ता नदी पर करेंगे।
- तीस्ता की के उद्गम को लेकर एकमत का अभाव है। कुछ स्रोत इस नदी का उद्गम समुद्र तट से 7068 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सिक्किम हिमालयी क्षेत्र के पाहुनरी ग्लेशियर को मानते हैं । कुछ Tso Lhamo Lake को मानते हैं तो कुछ लोग त्सो ल्हामो झील एवं Teesta Khangse Glacier को मानते हैं।
- इस नदी की कुल लंबाई लगभग 315 किमी है और यह सिक्किम, पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश की महत्वपूर्ण नदी मानी जाती है।
- भारत के सिक्किम एवं पश्चिम बंगाल की यह जीवन रेखा मानी जाती है।
- तीस्ता त्रिस्रोत शब्द का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ ऐसे नदी स्रोत से है जो तीन स्रोतों (चैनलों) से प्रवाहित होती है।
- इसकी सहायक नदियां दोनों किनारों दाएं एवं बायें से आकर मिलती है। बायें किनारे से आकर दिक छू, रांगपो, लांचू एवं रानी खोला है। वहीं दायें किनारे से मिलने वाली नदियों रांघाप छू, रंगीत एवं रिंगयों छू हैं। रंगीत इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदी है।
- यह नदी दक्षिण की ओर प्रवाहित होते हुए बांग्लादेश की जमुना (ब्रह्मपुत्र) में मिल जाती है। यह सिक्किम एवं पश्चिम बंगाल की सीमा भी बनाती है।
- सिक्किम के साथ उत्तरी बंगाल के 5 जिलों के करीब एक करोड़ लोग इस नदी पर खेती और अपनी जरूरतों के लिए निर्भर है। ठीक इसी तरह बांग्लादेश की भी एक बड़ी आबादी इस पर निर्भर है।
- गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना के बाद तीस्ता भारत व बांग्लादेश से होकर बहने वाली चौथी सबसे बड़ी नदी है। बांग्लादेश का करीब 14 प्रतिशत इलाका सिंचाई के लिए इसी नदी के पानी पर निर्भर है और बांग्लादेश की 7.3 प्रतिशत आबादी को इस नदी के माध्यम प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
- 1815 में नेपाल के राजा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच तीस्ता नदी के पानी को लेकर समझौता हुआ। इस समझौते के बाद नेपाल ने तीस्ता पर बड़ा नियंत्रण अंग्रेजों (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी) को सौंप दिया। यही नियंत्रण आजादी तक बना रहा।
- विभाजन के समय अन्य संसाधनों के बंटवारे के साथ-साथ तीस्ता नदी पर भी बात उठी।
- तीस्ता के पानी के लिए ही ऑल इण्डिया मुस्लिम लीग ने वर्ष 1947 में सर रेडक्लिफ की अगुवाई में गठित सीमा आयोग से दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने की मांग उठाई लेकिन कांग्रेस एवं हिंदू महासभा ने इसका विरोध किया था। तमाम तथ्यों एवं पहलुओं पर विचार करने के बाद सीमा आयोग ने तीस्ता का ज्यादातर हिस्सा भारत को सौंप दिया।
- 1971 के बाद (बांग्लादेश के निर्माण के बाद) तीस्ता जल को लेकर पुनर्विचार की मांग उठी।
- भारत एवं बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी को लेकर पहली बार एक तदर्थ समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत बांग्लादेश को 36 प्रतिशत और भारत को 39 प्रतिशत पानी के उपयोग का अधिकार दिया गया तथा 25 प्रतिशत जल का आवंटन नहीं किया गया।
- गंगा समझौते के बाद दूसरी नदियों के अध्ययन के लिए भी एक साझा समिति गठित की गई। इस समीति ने तीस्ता के लिए एक प्रारूप पेश किया। जिसे दोनों देशों ने सहमति भी दे दिया था लेकिन पश्चिम बंगाल को इस पर कुछ आपत्ति थी।
- 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ढ़ाका दौरे पर गये और तीस्ता के जल के बंटवारे को लेकर एक नये फार्मूले पर सहमति भी बनी। लेकिन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध की वजह से इस पर हस्ताक्षर नहीं हो सका था।
- वर्ष 2011 में ममता बनर्जी ने राज्य की तरफ से केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा यद्यपि केंद्र ने इस प्रस्ताव से इतर अपना अलग प्रस्ताव बनाया। यह आगे चलकर मुख्यमंत्री की अहम का मुद्दा भी बन गया।
- ममता बनर्जी ने केंद्र को अपने भेजे गये प्रस्ताव में 42.5 प्रतिशत पानी और 37.5 प्रतिशत पानी बांग्लादेश को दिये जाने का प्रस्ताव दिया था तथा 20 प्रतिशत जल का बंटवारा नहीं किया गया था।
- दूसरी तरफ बांग्लादेश का यह मानना रहा है कि जल का बंटवारा आधा-आधा होना चाहिए। अर्थात जो भी जल हो उसे 50-50 प्रतिशत बांट दिया जाना चाहिए।
- पश्चिम बंगाल का कहना है कि वर्षात के मौसम के बाद इसमें पानी बहुत कम हो जाता हैं । इस कम पानी की स्थिति में जल का बँटवारा पश्चिम बंगाल के बँटवारे को नुकासान पहुंचा सकता है।
- बांग्लादेश का कहना रहा है कि भारत द्वारा तीस्ता पर बांधों के निर्माण ने जल प्रवाह को बाधित किया है और बहुत कम जल बांग्लादेश को मिल पाता है।
- वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ढ़ाका के दौरे पर गये और एक नया प्रस्ताव रखा गया लेकिन ममता बनर्जी इस पर सहमत नहीं हुईं।
- तीस्ता नदी के जल को लेकर अभी तक कोई पूर्ण समझौता नहीं हो पाया है।
- हालांकि समझौता न होने के बावजूद जल विवाद तनाव के रूप में नहीं हैं और दोनों देश भविष्य में किसी उचित समझौते की आशा रखते हैं हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ केंद्र सरकार की टकराहट इसमें एक प्रमुख बाधा है।
- तीस्ता नदी जल विवाद इस समय चीन की भूमिका को लेकर चर्चा में है।
- हाल ही में तीस्ता नदी के प्रबंधन संबंधी एक परियोजना के लिए बांग्लादेश चीन से लगभग 1 अरब डॉलर के ऋण पर चर्चा कर रहा है।
- बांग्लादेश की इस परियोजना का उद्देश्य तीस्ता नदी बेसिन का कुशल प्रबंधन करना है जिससे ग्रीष्मकाल के शुष्क मौसम में उत्पन्न होने वाले जल अभाव को कम किया जा सके, बाढ़ एवं सिंचाई प्रबंधन किया जा सके।
- बांग्लादेश और चीन के बीच यह ऋण वार्ता भारत के लिए चिंताजनक हो सकता है क्योंकि इस समय चीन भारत के पड़ोसियों को अपने पक्ष में करके भारत को नियंत्रित करना चाहता है।
- हाल ही में चीन ने बांग्लादेश से आयातित 97 प्रतिशत वस्तुओं पर शून्य शुल्क की घोषण की थी। इसके अलावा चीन ने बांग्लादेश को 30 बिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान करने का वादा किया है।
- भारत और बांग्लादेश के संबंध अच्छे रहे है लेकिन चीन ने जिस तरह अपनी गतिविधियाँ तीव्र की हैं वह चिंताजनक हैं।
- चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निर्यातक है।
सतलज-यमुना लिंक (SYL) कैनाल
- वर्ष 1955 में रावि, व्यास और सतलज के जल का अनुमान लगाया गया और कुल जल 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) अनुमानित किया गया।
- इस समय तक पंजाब एवं हरियाणा एक में ही शामिल थे। इसलिए जल का बंटवारा राजस्थान, पंजाब एवं जम्मू- कश्मीर के लिए क्रमशः 8MAF, 7.20 MAF एवं 0.65 MAF के रूप में किया गया।
- वर्ष 1966 में हरियाणा 1966 में एक नया राज्य बना। इसके बाद इस जल का बंटवारा करना था।
- यह प्रस्ताव लाया गया कि एक सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के लिए 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग (नहर/कैनाल) तैयार किया जायेगा।
- इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है।
- इसके तहत 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में एवं 92 किलोमीटर लंबी नहर हरियाणा में बननी है।
- हरियाणा ने 7.20 MAF में से 4.2 MAF पानी की मांग की लेकिन पंजाब इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
- इसके बाद हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से शिकायत की।
- 24 मार्च 1976 को भारत सरकार ने हरियाणा को 3.5 MAF पानी देने की बात कहा।
- हरियाणा ने अपनी जरूरत को समझते हुए 1980 में करीब 250 करोड़ खर्च कर अपने हिस्से के निर्माण को पूरा कर लिया।
- पंजाब में होने वाले निर्माण खर्च का कुछ हिस्सा हरियाणा को देना था, 1976 में ही हरियाणा ने पहली किश्त दे दी लेकिन पंजाब ने अपना निर्माण प्रारंभ नहीं किया।
- 1981 प्रधानमंत्री के इंदिरा गांधी के दखल के बाद पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ।
- इस समझौते के तहत पंजाब को नहर निर्माण कार्य दो साल में पूरा करना था। और दानों पक्षों को न्यायालय से याचिका वापस लेने को कहा गया था।
- पंजाब ने इस समझौते के बाद इस नहर पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
- इसी बीच पंजाब में इस निर्माण को लेकर विवाद भी प्रारंभ हो गया और हरिचंद्र लोंगोवाल ने नेतृत्व में नहर के खिलाफ शिरोमणी अकाली दल ने एक आंदोलन शुरू कर दिया।
- 1982 में यह आंदोलन हिंसक हो गया और एक 'धर्म युद्ध' के रूप में तब्दील हो गया।
- वर्ष 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हरिचंद्र लोंगवाल के साथ समझौता किया जिसके तहत 1986 तक नहर के निर्माण को पूरा किया जाना था। और सुप्रीमकोर्ट के न्यायधीश के नेतृत्व वाले प्राधिकरण द्वारा पानी पर दोनों राज्यों के हिस्से को तय किया जाना था।
- धीरे-धीरे पंजाब ने लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया लेकिन 1990 में सिख उग्रवादियों द्वारा दो इंजिनियरों एवं 35 मजदूरों की हत्या करने के बाद काम फिर से रूक गया।
- 1996 में हरियाणा ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि वह पंजाब से निर्माण को पूरा करने का आदेश दे।
- अदालत ने 2002 एवं 2004 में नहर को पूरा करने का आदेश दिया।
- वर्ष 2004 में पंजाब विधानसभा ने The Punjab Termination of agreement act, 2004 द्वारा जल बंटवारे के समझौते से खुद को अलग कर लिया।
- वर्ष 2011 में हरियाणा ने पुनः कोर्ट से कहा कि 2002 एवं 2004 के अपने आदेश का पालन करवाये।
- वर्ष 2016 में पंजाब ने एक एक्ट के माध्यम से नहर के लिए अधिग्रहित जमीन को वापस करने का प्रयास किया गया हालांकि गवर्नर ने इसे अपनी अनुमति नहीं दी।
- कुछ दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा के मुख्यमंत्री से कहा कि बातचीत कर इस नहर के विवाद का समाधान किया जाये।
- सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र से दोनों राज्यों के बीच मीटिंग कराने एवं मध्यस्थता की बात कहा।
- इसी के तहत जलशक्ति मिनिस्टर ने दोनों राज्यों के बीच एक बैठक का आयोजन करवाया।
- पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पानी के बंटवारे से मना कर दिया।
- पंजाब इस समय भूजल संकट और मरुस्थलीकरण की समस्या की समस्या कर रहा है इसलिए वह इस जल से अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहता है।
- हरियाण की एक बड़ी आबादी जल अभाव का सामना कर रही है इसलिए उसके लिए निर्माण तुरंत पूरा करना आवश्यक है।
- जिस प्रकार की बातें इस समय नहर को लेकर आ रही हैं एक बड़ी संभावना है कि नहर निर्माण में विलंब हो।
1. तीस्ता नदी के संदर्भ में असत्य कथन का चयन कीजिए-
(a) इस नदी का उद्गाम भारतीय हिमालयी क्षेत्र से होता
है।
(b) इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदी रंगीत है।
(c) त्सो ल्हामो झील इसका एक उद्गम बिंदु माना जाता
है।
(d) यह बांग्लादेश की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नदी है।
2. सतलुज/सतलज यमुना लिंक नहर की लंबाई कितनी है?
(a) 122 किमी पंजाब में एवं 92 किमी हरियाणा में
(b) 102 किमी पंजाब में एवं 112 किमी हरियाणा में
(c) दोनों में 107-107 किमी.
(d) इनमें से कोई नहीं