(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 21 August 2020
माली का तख्तापलट एवं इसके निहितार्थ
- अफ्रीका महाद्वीप, एशिया के बाद सबसे बड़ा महाद्वीप है, जिसके अंतर्गत 54 देश आते हैं।
- यह महाद्वीप अपने विशाल मरुस्थल, अत्यंत घने वन, बड़ी नदियों, झीलों, पर्वतों, पठारों के लिए जाना जाता है।
- यह महाद्वीप संसाधन के दृष्टिकोण से तो धनी है लेकिन इन संसाधनों का दोहन न हो पाने के कारण विश्व का सबसे गरीब और पिछड़े महाद्वीप के रूप में जाना जाता है।
- तकनीकी अभाव, शिक्षा अभाव, पूंजी अभाव, मानव संसाधन का सही से विकास न हो पाने के कारण यहां की एक बड़ी आबादी आज भी आदिम जीवनशैली अपनाती हैं इन्हीं कारणों से इस महाद्वीप को अंध महाद्वीप कहते हैं।
- जनजातीय बहुल इस महाद्वीप की एक बहुत बड़ी समस्या आपसी संघर्ष अर्थात गृह युद्ध है। चुनी गई सरकारें भी किसी खास जनजाति का प्रतिनिधित्व करती है फलस्वरूप दूसरी जनजातियाँ संघर्ष कर सरकार को अस्थिर कर देती हैं और कई बार सेना भी इस असंतोष का फायदा उठाकर तख्तापलट कर देती है। जैसा कि हाल ही में माली में हुआ है।
- माली, जिसका अधिकारिक नाम माली गणराज्य है, पश्चिम अफ्रीका में अफ्रीका महाद्वीप का सातवां सबसे बड़ा देश है।
- इसकी सीमा उत्तर में अल्जीरिया, पूर्व में नाइजर, दक्षिण पूर्व में बुर्किनाफासो दक्षिण में आइवरी कोस्ट एवं गिनी हैं जबकि पश्चिम में सेनेगल और मॉरिटानिया हैं । इसकी राजधानी बमाको है।
- दुनिया के सबसे गरीबतम देशों में शामिल माली की अधिकांश आबादी दक्षिण में निवास करती है जहां कपास, सोना, यूरेनियम जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्र में पाये जाते है।
- उपनिवेशवाद के दौर में यह देश फ्रांस का उपनिवेश रहा जिसे फ्रेंच सुडान के नाम से जाना जाता था। यह सितंबर 1960 में आजाद हुआ।
- आजादी के बाद यहां वन पार्टी सिस्टम (एक दलीय व्यवस्था) बना जो 1968 में समाप्त हुआ। समाप्ति तख्तापलट के माध्यम से की गई।
- तख्तापलट से सेना ने नियंत्रण स्थापित किया लेकिन सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट मुशा ने तानाशाही का रवैया अपनाया।
- इस तानाशाही सरकार को सेना ने ही 1991 में गिरा दिया अर्थात पुनः तख्तापलट की घटना हुई।
- 1992 में यहां पहलीबार लोकतांत्रिक तरीके की सरकार चुनी गई।
- लोकतांत्रिक प्रणाली यहां 1992 से 2011 तक चलती रही।
- अरब स्प्रिंग और लीबिया में तानाशाह गद्दाफी के खिलाफ चलते आंदोलन में माली के लोगों ने भी अपनी भूमिका निभाई और गद्दाफी के खात्मे के साथ उन्होंने माली में भी सत्ता परिवर्तन करने के प्रयास प्रारंभ कर दिया।
- धीरे-धीरे मीलिशिया संगठनों की संख्या बढ़ने लगी।
- पश्चिमी अफ्रीकी देशों में तुआरेग (Tuareg/Twareg) समुदाय की एक बड़ी आबादी लीबिया, अल्जीरिया, नाइजर, माली एवं बुर्किना फासो में निवास करती है।
- यह लड़ाकू एवं हिंसक समुदाय के रूप में जाने जाते है।
- जनवरी 2012 में तुआरेग समुदाय ने विद्रोह कर उत्तरी माली के कुछ क्षेत्रें पर कब्जा कर लिया और एक नया देश बनाने का ऐलान कर दिया।
- यहां की उस समय की सरकार इस विद्रोह को रोक नहीं पाई और इसके बाद मार्च 2012 में सेना ने पुनः तख्तापलट कर दिया।
- वैश्विक समुदाय एवं पड़ोसी देशों के दबाव के बाद हालांकि सेना ने सत्ता असैनिक सरकार को सौंप दी।
- इस सरकार ने भी पहले की सरकारों की तरह दक्षिण की ओर ही अपना पूरा ध्यान दिया।
- फिर से यहां असंतोष बढ़ने लगा और अलगाववादी एवं आतंकी संगठनों ने अपनी गतिविधियाँ उत्तर के उपेक्षित क्षेत्रों पर बढ़ा दीं और तुआरेग भी इनके साथ शामिल हो गया।
- धीरे-धीरे इन मीलिशिया एवं विद्रोही संगठनों ने कई क्षेत्रें पर कब्जा कर लिया।
- फ्रांस, संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन एवं अन्य वैश्विक सहयोग ने माली के कब्जे वाले क्षेत्रें को इन लड़ाकों से मुक्त कराया।
- सितंबर 2013 में माली में चुनाव हुए और यहां के राष्ट्रपति बने इब्राहिम बाउबकर कीता (Ibrahim Baubaker Keita)।
- इस नई सरकार ने तुआरेग समुदाय के साथ बातचीत प्रारंभ की। वर्ष 2015 में सरकार और तुआरेग के बीच एक शांति समझौता हुआ।
- इसके बाद अन्य आतंकी एवं अलगाववादी गुट ज्यादा सक्रिम हो गये और हिंसा बढ़ा दी।
- वर्ष 2018 में पुनः चुनाव हुए और इब्राहिम बाउबकर कीता पुनः राष्ट्रपति बने हालांकि यह चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं था।
- धीरे-धीरे विपक्ष पर हमला बढ़ता गया और एक दलीय शासन व्यवस्था की ओर देश बढ़ने लगा।
- इस सरकार पर भ्रष्टाचार, तानाशाही के आरोप लगे, असंतोष बढ़ा।
- कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों ने असंतोष को और बढ़ा दिया।
- जून माह में यहां की सरकार के खिलाफ राजधानी बमाको में बड़ी संख्या में लोग आंदोलन में शामिल होने लगे।
- आंदोलन ने जन विद्रोह का रूप धारण कर अपना विस्तार राजधानी से बाहर कर लिया।
- 18 अगस्त को बमाको के पास एक सैन्य शिविर में असंतुष्ट व नाराज सैनिको ने व्रिदोह कर दिया।
- यह सैनिक राष्ट्रपति का विरोध कर रहे लोगों के साथ मिल गये।
- इसके बाद कई जगह हिंसा प्रारंभ हो गई। इसके बाद सैनिकों ने यहां के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री को बंधक बना लिया।
- राष्ट्रपति ने आधी रात को अपना इस्तीफा दे दिया।
- फ्रांस ,यूरोपीय यूनियन एवं संयुक्त राष्ट्र ने इसकी आलोचना की है।
- यहां का तख्तापलट पड़ोसी देशों में भी अशांति फैला सकता है, विद्रोहियों एवं अलगाववादियों को मजबूत कर सकता है और क्षेत्रिय अस्थिरता का कारण बन सकता है।
प्लास्टिक से समुद्री प्रदूषण
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार मुंबई के मछुआरे जब मछली पकड़ते हैं तो 17 किलोग्राम मछली के साथ 1 किलोग्राम प्लास्टिक भी साथ में आ जाता है।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओश्यिनोग्रफी (NIO) के 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान वैज्ञानिकों ने कहा है कि माइक्रो प्लास्टिक की समस्या प्लास्टिक की समस्या से भी अधिक भयावह और खतरनाक है जो पूरे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रही है।
- वर्ष 2017 का एक शोध बताता है कि लगभग 24 लाख टन प्लास्टिक कचरा हर साल समुद्र में जाता है।
- हमारे-आपके और पूरे विश्व द्वारा जो प्लास्टिक उपयोग किया जाता है वह नालों-नदियों के माध्यम से समुद्र तक पहुंचता है और इसका योगदान कुल समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण का 67 प्रतिशत है।
- वर्ल्डवॉच इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर के समुद्रों की सतह पर 10 खरब से ज्यादा प्लास्टिक पार्टीकल तैर (flow) रहे हैं।
- दुनिया में रोजाना 8 टन प्लास्टिक का निर्माण होता है जिसका बहुत बड़ा हिस्सा समुद्र में अपशिष्ट के रूप में हर साल पहुंचता है।
- यदि समुद्री प्रदूषण की यही दर रही तो अगले तीन दशकों में करीब 12 अरब टन कचरा समुद्र में जमा हो जायेगा जिसे साफ करने में सैकड़ों साल का समय लग जायेगा।
- प्लास्टिक के उत्पादन में हर साल 8 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है लेकिन अपशिष्ट निपटान इस गति से नहीं बढ़ रहा है जिससे इसका एक बड़ा भाग प्रतिवर्ष समुद्र में फैल रहा है।
- पहला मानव निर्मित प्लास्टिक अलेक्जेंजर पार्क्स द्वारा बनाया गया था, जिसका प्रदर्शन उन्होंने 1862 में किया था।
- पूरी तरह से सिंथेटिक तरीके से प्लास्टिक का अविष्कार 1907 में लियो बेकलैंड द्वारा किया गया था जिसने प्लास्टिक शब्द गढ़ा था।
- प्लास्टिक का निमार्ण दुनिया के सबसे बड़े अविष्कार में शामिल है जिसने सामानों को लाने-ले जाने का न सिर्फ नजरिया बदला बल्कि सुविधाजनक बना दिया लेकिन आज यह पर्यावरण की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
- हाल ही वैज्ञानिको के एक दल ने अटलांटिक महासागर में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या का अध्ययन किया।
- वैज्ञानिक शोध पत्रिका नेचर कम्यूनिकेशन (Nature Communication) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अटलांटिक महासगार में 11.6 से 21.1 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषक होने का अनुमान है।
- यहां यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि इतनी मात्रा सतह से सिर्फ 200 मीटर की गहराई तक मिला है। अधिक गहराई पर और भी प्लास्टिक हो सकती है।
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अटलांटिक महासागर में 17- 47 मिलियन टन प्लास्टिक अपशिष्ट हो सकता है।
- अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पॉलीइथाइलीन, पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीस्टाइरिन को अध्ययन का आधार बनाया।
- प्लास्टिक के इन्हीं तीन प्रकारों का सर्वाधिक उपयोग पैकेजिंग में होता है।
- वैज्ञानिकों ने यह माना कि विगत 65 वर्षों में उत्पन्न हुए कुल वैश्विक प्लास्टिक कचरे का 0.3-08 प्रतिशत अटलांटिक महासागर में फेंका गया।
- यह प्लास्टिक समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाता है जिसे न सिर्फ समुद्री उत्पादकता प्रभावित होती है बल्कि जैवविविधता को भी क्षति पहुंचती है।
- समुद्री जानवरों द्वारा इसके टुकड़े को खा लिया जाता है जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है।
- प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण समुद्री खाद्य श्रंृखला से होकर मनुष्यों तक पहुंच जाते है जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यह प्लास्टिक पर्यटन स्थलों के सौंदर्य को प्रभावित करता है।
- माइक्रोप्लास्टिक्स पांच मिलीमीटर से भी छोटे आकार के प्लास्टिक के टुकड़े होते है।
- यह प्लास्टिक के टूटने के साथ-साथ कई अन्य स्रोतों से स्वतंत्र रूप से समुद्र में पहुंचता है।
- वायु धाराओं, जल धाराओं, सूर्य से प्राप्त पराबैगनी विकिरणों से प्लास्टिक के टुकड़े छोटे-छोटे कणों (माइक्रोप्लास्टिक-5 मिमी से छोटे कण, नैनोप्लास्टिक 100 नैनोमीटर से छोटे-छोटे कण) में टूट जाता है।
- माइक्रोबीड्स भी एक प्रकार का माइक्रोप्लास्टिक होता है जो सौंदर्य प्रसाधन एवं औद्योगिक क्रियाओं द्वारा पहुँचाता है।
- इस अध्ययन से महासागरीय पारिस्थितिक तंत्र के विषय एक चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
- अटलांटिक महासागर के अलावा हिंद महासागर, प्रशांत महासागर में भी यह प्रदूषण बढ़ रहा है।
- महाद्वीपों के किनारे स्थित सागरों में कई जगह इसका प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ऊपरी तरह प्लास्टिक से आच्छादित हो गई है।
माली की सीमा निम्न में से किस देश के साथ सार्वाधिक लगती है।
(A) Guinea
(B) Burkina Faso
(C) Niger
(D) Mauritania
तुआरेग समुदाय की उपस्थिति निम्न में से किस देश में नहीं है-
(A) स्वाजीलैंड
(B) लीबिया
(C) अल्जीरिया
(D) नाइजर