Daily Current Affairs for UPSC, IAS, State PCS, SSC, Bank, SBI, Railway, & All Competitive Exams - 14 December 2019
New Seeds Bill, 2019
- इस बिल का उद्देश्य किसानों को अच्छी गुणवत्ता की बीज आपूर्ति करना है।
- गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इसमें प्रावधान किया गया है कि किसी भी बीज को बेचने से पूर्व उसका रजिस्ट्रेशन करवाया जायेगा।
- बिल में एक प्रावधान यह भी है कि बीज उत्पादक को यह बताना होगा कि बीज का प्रदर्शन (उत्पादन) कैसा होगा।
- यह बिल वर्तमान समय में लागू बीज अधिनियम 1966 को परिवर्तित करेगा।
- प्रदर्शन (उत्पादन) यदि बताये गये क्षमता को प्राप्त नहीं करता है तो किसान क्षतिपूर्ति का क्लेम कर सकते हैं। यह क्लेम उपभोक्ता (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत किया जायेगा।
- 1966 के अधिनियम में सभी प्रकार के बीज को कवर नहीं किया गया था तो साथ ही गुणवत्ता एवं उत्पादन प्राप्त न होने पर क्षतिपूर्ति के प्रावधान स्पष्ट नहीं थे।
- इस बिल को 1966 में जब लाया गया था उस समय प्राइवेट बीज उत्पादक बहुत कम थे तो साथ ही उस समय की आवश्यकताएं भी अलग थीं !
- वर्तमान समय में बीज उत्पादन में प्राइवेट सेक्टर का उत्पादन बहुत बढ़ गया है, इसलिए रेगुलेशन की जरूरत है ताकि किसानों का अहित न हो।
- अभी तक जो प्राइवेट कम्पनियों के बीज बाजार में बिकते थे उनमें से अधिकांश को कभी नोटिफाई नहीं किया गया। लगभग सभी नोटिफाइड बीज सरकारी क्षेत्र के ही थे।
- प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय बीज कमेटी बनाने का प्रावधान भी इस बिल में है।
- कीमत नियंत्रण के प्रावधान भी इसमें किये गये हैं।
भारतीय कृषि
- भारत के लगभग 50% लोगों को रोजगार प्रदान करने वाली सेक्टर
- यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग 18% का योगदान देता है लेकिन आजादी के समय इसका योगदान 55% से ज्यादा था।
- आज हम दाल, चावल, गेहूँ, मसाला के सबसे बड़े उत्पादनकर्ता में एक हैं।
- कृषि का महत्व सिर्फ खाद्यान्न तक सीमित नहीं है ऐसे में इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएं
- जोत का आकार छोटा होना।
- अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का आभाव एवं पर्याप्त आपूर्ति का आभाव
- उर्वरक एवं कीटनाशकों का अति प्रयोग
- सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण मानसून पर निर्भरता
- कम मशीनीकरण/यंत्रीकरण
- भण्डारण एवं बाजार की कमी
- परिवहन एवं आपूर्ति की समस्या
सुधार की आवश्यकता
- अच्छे किस्म के सस्ते बीजों की उपलब्धता
- माइक्रो सिंचाई प्रणाली को अपनाना
- मशीनीकरण, बाजारी करण एवं सततता बनाये रखना
- कृषि संबंधित क्षेत्रों को बढ़ाना जिससे कृषि की गिरावट को संभालना जा सके।