(Video) Daily Current Affairs for UPSC, IAS, UPPSC/UPPCS, BPSC, MPSC, RPSC & All State PSC/PCS Exams - 01 December 2020
भारत ‘‘उड़ते ताबूत’’ के भरोशे क्यों है ?
- भारतीय वायुसेना, भारतीय सशस्त्र सेना का अंग है, जिसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी, जिसे आजादी से पहले रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद इसके नाम से ‘रॉयल’ शब्द हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया।
- प्रत्येक वर्ष 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाया जाता है।
- भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। भारत ने ताजिकिस्तान में भी अपना एक एयरबेस बना रखा है।
- भारत का सियाचिन में दुनिया का सबसे ऊँचा एयरफोर्स स्टेशन है।
- भारतीय वायुसेना वर्तमान समय में मिग-21, मिग-27, मिग-29, जगुआर, मिराज-2000, सुखोई Su-30, तेजस और रफाल विमान का प्रयोग कर रही है।
- मिग-21 सोवियत यूनियन के द्वारा बनाया गया लड़ाकू विमान है, जिसे 1960 के दशक में बनाया गया था। इसे रूस की सार्वजनिक कंपनी Mikoyan-Gurevich द्वारा विकसित किया गया है। भारतीय वायुसेना ने पहली बार 1960 में इन विमानों का अपने बेडे में शामिल किया था।
- इसका सर्वाधिक प्रयोग भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया है।
- इसके दो मॉडल मिग-21F मिग-21 बाइसन है। इसी मिग-21 बाइसन का प्रयोग भारतीय पायलेट अभिनंदन ने पाकिस्तान के F-16 को मारने के लिए किया था।
- यह 2000 किलोग्राम तक सामान (बम-हथियार) ले जा सकता हैं इसकी अधिकतम गति 2175 किमी/घंटा है। यह एक बार उड़ान भरने पर 1470 किमी- तक जाता है।
- मिग-27, मिग सीरिज का अगला विमान है जिसे 1975 में विकसित किया गया था। यह मुख्यतः ग्राउंड अटैक एयरक्रॉफ्रट होता है। यह 4000 किग्रा वजन ले जा सकता है। इसकी अधिकतम गति 1885 किमी-/घंटा होती है। यह एक बार में 2500 किमी- की उड़ान भर सकती है।
- मिग-29, मिग सीरिज का अगला उन्नत विमान है। इसे भी 1970 के दशक में विकसित किया गया था। इसे सभी वायुसेनाओं द्वारा प्रयोग से बाहर किया जा चुका है। लेकिन भारत में इसका प्रयोग अभी भी होता है।
- यह डबल इंजन वाला मिग लड़ाकू विमान हैं अधिकतम गति 2400 किमी/घंटा होती है। यह एक बार में 2100 किमी- की दूरी तक उड़ान भर सकता है।
- इसमें 30mm की गन (मशीनगन) लगती है। इसकी क्षमता 4000 किग्रा होती है, अर्थात इतना वजन लेकर यह उड़ान भर सकता है। इसमें 7 जगह बम लगाये जा सकते है। यह एयर टू एयर मिसाइल के लिए उन्नत विमानों में से एक है।
- भारतीय वायुसेना में शामिल मिग सीरिज के विमानों को ‘‘उड़ता ताबूत’’ कहा जाता है। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक 1970 से अभी तक 170 से अधिक भारतीय पायलटों ने अपनी जान गंवाई है।
- मिग सीरिज के पुराने विमानों को लगभग सभी देशों द्वारा अपनी वायुसेना से बाहर कर दिया गया है लेकिन भारतीय वायुसेना के यह अग्रणी विमान हैं।
- कई समीक्षकों का मानना है कि रिटायमेंट की उम्र से तीस साल बाद भी मिग विमानों को ढ़ोना ठीक नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता की बात है।
- जहां इसे वायुसेना से बाहर किये जाने की बात उठती आई है वहीं हालिया भारत-चीन सीमा तनाव के बीच भारत ने 21 नए मिग-29 विमान खरीदने की अनुमति दी।
- भारतीय वायुसेना से जुड़े कई लोगों का मानना है कि इस विमान में समय-समय पर अपग्रेड किया जाता रहा है, जिसके कारण यह चौथी पीढ़ी के अत्याधुनिक तकनीक और हथियार से लैस हैं। हथियार और युद्ध मामलों के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ टाइलर रोगोवे का मानना है कि आज मिग विमान आधुनिक कॉकपिट, रडार पर पकड़े जाने का संदेश देने वाला रिसीवर और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल के लगा देने की वजह से यह उन्नत विमान बन गया है।
- बाइसन में इजराइल निर्मित सेल्फ प्रोटेक्शन इलेक्ट्रॉनिक वाइफेयर पॉड भी लगा हुआ है जो दुश्मन के चौथी पीढ़ी के विमानों में लगे रड़ार सिस्टम को बेकार करने में सक्षम है।
- यह तेज रफ्रतार के साथ तुरंत मोड़ लेने में सक्षम है।
- वर्ष 1999 में कारिगल युद्ध के समय भारतीय वायुसेना के मिग-27 लडाकू विमानों ने पाकिस्तान सेना के सप्लाई और पोस्ट पर इतनी सटीक और घातक बमबारी की थी कि उनके पांव उखाड दिये थे।
- वर्ष 2019 में भारतीय वायुसेना ने जोधपुर में आयोजित एक समारोह के बाद मिरा-27 विमानों को अपने बेडे से बाहर कर दिया। इसने भारतीय वायुसेना में 38 साल सेवा दी थी।
- 1965 और 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में मिग-21 विमानों का इस्तेमाल किया गया था। 1971 में भारतीय मिग ने चेंगडु एफ विमान (ये भी मिग का ही एक और वेरियंट था जिसे चीन ने बनाया था) को मार गिराया था।
- 27 नवंबर 2020 को भारतीय नौसेना का मिग-29K ट्रेनी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में घायल एक पायलट तो मिल गये हैं लेकिन दूसरे पायलट की खोज की जा रही है।
- यह मिग विमान INS विक्रमादित्य विमान वाहक पोत पर लगाया गया था। हाल ही में खत्म हुई मालाबार एक्सरसाइज में भी मिग-29 विमानों ने भाग लिया था।
- इससे पहले फरवरी माह में मिग 29K विमान गोवा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। नवंबर 2019 में भी मिग 29K यहां दुर्घटना ग्रस्त हो गया था।
- मई 2020 में पंजाब के होशियारपुर में नवांशहर के पास इंडियन एयरफोर्स का एक लडाकू एयरक्रॉफ्रट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
- सितंबर 2020 में ग्वालियर में मिग-21 हादसे का शिकार हो गया था।
- हर साल मिग विमान के कई हादसे सामने आते हैं, इसलिए समीक्षकों का कहना है कि भले ही इसकी तकनीकी को उन्नत कर दिया गया है लेकिन दुर्घटनायें कम नहीं हुई है। यह दुर्घटनायें सिर्फ भारत में नहीं होती है बल्कि रूस में भी होती हैं।
- भारत में अभी मिग 21 बाइसन 54 हैं। मिग 29 की संख्या 65 है और 21और खरीदने का ऑर्डर दिया जा चुका है।
- नेवी के लिए बनाया गया मिग 21K की संख्या 36 है।
- मिग-29 के संदर्भ में वर्ष 2016 एवं 2019 में CAG ने अपनपी रिपोर्ट में कहा था यह सुरक्षित नहीं है और इसमें कई तरह की समस्याएं हैं। कैग ने कहा था कि इसके एयरफ्रेम में समस्या है, इसके RD MK-33 इंजन में समस्या है तथा फ्रलाई-बाई वॉयर में समस्या है।
- इसके साथ एक समस्या इसकी खराब सर्विस की भी है जो रूस द्वारा समय पर नहीं दी जाती है।
- कई समीक्षकों का मानना है कि भारत को अधिक संख्या में फाइटर जेट की आवश्यकता है, जिसकी पूर्ति बाहर के अन्य महंगे फाइटर जेट से नहीं हो सकती हैं जहां मिग 29K एक विमान की कीमत लगभग 15 मिलियन डॉलर आती है वहीं अन्य आधुनिक विमानों की लागत 55-60 मिलियन डॉलर तक होती है। कुछ की कीमत तो इससे भी ज्यादा है।
- भारतीय वायुसेना में कम से कम 42 स्क्वाड्रन की आवश्यकता है लेकिन विमानों की संख्या कम होने के कारण हमारे पास 31 ही स्क्वाइन हैं। एक स्क्वाड्रन में 12-24 (सामान्य 18) विमान होते है।
- भारत दो मोर्चो पर कार्य कर रहा है। पहला है रफाल जैसे आधुनिक विमान को अपने बेडे में शामिल करना तथा दूसरा है मिग की संख्या को तब तक बनाये रखना जब तक 5वीं पीढ़ी के अधिक लड़ाकू विमान बेडे में शामिल नहीं हो जाते है।
- हालांकि कई समीक्षकों का मानना है कि यह रणनीति ठीक नहीं है क्योंकि इनके क्रैश होने से न सिर्फ देश का पैसा बर्बाद होता है बल्कि पायलटों की मृत्यु हो जाती है जो देशहित में नहीं है।
OIC ने भारत के खिलाफ अब क्या बोला है ?
- इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation-OIC) संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 25 सितंबर 1969 को रबात में हुए ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में हुई थी।
- मुस्लिम समुदाय की सामूहिक आवाज के रूप में पहचान रखने वाले इस संगठन की सदस्य संख्या 57 है, जिसमें 40 मुस्लिम बहुत देश हैं।
- इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दा में है।
- रूस एवं थाईलैण्ड जैसे देश इसके पर्यवेक्ष राष्ट्र हैं। बांग्लादेश की तरफ से भारत को भी इसका पर्यवेक्षक बनाने की मांग की गई थी जिस पर अभी-निर्णय नहीं लिया जा सका है।
- OIC शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रत्येक तीन वर्ष बाद होता है।
- OIC के विदेश मंत्रियों की प्रथम बैठक वर्ष 1970 में संपन्न हुई थी, और इसके चार्टर को 1972 अपनाया गया था।
- वर्ष 2011 को अस्ताना (कजाकिस्तान) में हुई 38वीं बैठक के दौरान इसका नाम ‘‘ऑर्गनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कांफ्रेंस’’ से बदलकर ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन कर दिया गया था।
- इसका प्रमुख उद्देश्य विभिन्न देशों के लोगों के बीच अंतर्राष्ट्रीय शांति और सदभाव को बढ़ावा देना और मुस्लिम समुदाय के हितों का संरक्षण करना है।
- यह धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के प्रयासों में समन्वय स्थापित करता है तथा महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस्लामिक एकजुटता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।
- यह संगठन मुस्लिम समुदाय की गरिमा, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अधिकारों की रक्षा करने के लिए उनके उनके संघर्षो को मजबूती प्रदान करने का प्रयास करता है।
- OIC अपनी स्थापना के बाद से अपने भीतरी राजनीतिक विरोधाभासों को दूर करने के लिए संघर्ष करता रहा है। यह गैर सदस्य देश में मुस्लिम हित की तो बात करता है लेकिन मध्य-पूर्व में शिया-सुन्नी संघर्ष की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम साबित नहीं हो पाया है ।
- इसमें लाये गये किसी भी प्रस्ताव पर कोई भी सदस्य देश वीटो पावर का प्रयोग कर सकता है, जिससे किसी मुद्दे पर समाधान हो पाना कठिन हो जाता है।
- कई समीक्षकों का तो मानना है कि शायद इस्लामिक पहचान के अलावा कोई ऐसा दूसरा कारक नहीं है जो दो देशों को एक दूसरे के करीब लाने में सक्षम हो।
- भारत को 50 साल बाद पुनः मार्च 2019 में विदेश मंत्रियों को बैठक में बतौर ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ आमंत्रित किया गया। पाकिस्तान ने इसका उस समय काफी विरोध किया लेकिन वह सफल नहीं हो पाया।
- हालांकि इस बैठक में विदेशनमंत्री सुषमा स्वराज के शामिल होने के दूसरे ही दिन ही OIC ने जम्मू कश्मीर पर एक प्रस्ताव पारित कर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया था।
- इसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान और भारत के विवाद का अहम मुद्दा है और दक्षिण एशिया में शांति स्थापना के इसका हल होना जरूरी है। इसके अलावा कश्मीर में कथित मानवाधिकार हनन का मुद्दा भी उठाया गया था।
- भारत ने प्रस्ताव का खंडन करते हुए इसे भारत का आंतरिक मामला बताया।
- OIC की 47वीं काउंसिल ऑफ फॉरेन निमिस्टर की बैठक 27-29 नवंबर को नाइजर की राजधानी नियामें में आयोजित करवाया गया।
- यहां जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार द्वारा की जा रही गतिविधियों के संबंध में एक डिक्लरेशन घोषित किया गया। जिसे नियामे डिक्लरेशन के नाम से सामने रखा गया है।
- इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर विवादित मुद्दा है। जिसका शांतिपूर्वक समाधान किया जाना चाहिए, जिसका आधार UN की सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव होना चाहिए।
- इसमें यह भी कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का जो दर्जा 5 अगस्त 2019 से पहले था, उसे कायम करना चाहिए। यहां भारत किये गये परिवर्तन को गैरकानूनी बताया गया है।
- इसके अलावा इसमें मानवाधिकार के मुद्दे को उठाया गया है तथा भारत की कई मुद्दों पर आलोचना की गई है।
- यह भी कहा गया है कि भारत जो यहां निवास का प्रमाणपत्र बाहर के लोगों को दे रहा है उसे निरस्त किया जाना चाहिए।
- 48वीं बैठक OIC की पाकिस्तान में होगी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को फिर से उठाया जा सकता है।
- यहां हमे यह भी ध्यान देना चाहिए कि भारत को ट्रंप प्रशासन से जो समर्थन मिलता आया है वह शायद नये राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद न मिले।
- भारत सरकार ने इस गलत और बिना मतलब के नप्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया है और कहा है कि OIC का कोई अधिकार नहीं है कि वह भारत के आंतरिक मुद्दों के खिलाफ कोई प्रस्ताव पास करे।
- भारत ने यह भी कहा है कि OIC को पाकिस्तान के तरफ झुकने के प्रति चेताया भी है और कहा है कि OIC को समझना चाहिए कि वह किसका समर्थन कर रहा है।