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Blog / 09 Apr 2019

(आर्थिक मुद्दे) जीएसटी का हाल और सवाल (GST: Current Situation and Apprehensions)

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(आर्थिक मुद्दे) जीएसटी का हाल और सवाल (GST: Current Situation and Apprehensions)


एंकर (Anchor): आलोक पुराणिक (आर्थिक मामलो के जानकार)

अतिथि (Guest): प्रोफेसर अरुण कुमार (जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय), मनीष गुप्ता (चार्टर्ड एकाउंटेट)

सन्दर्भ:

GST को लागू हुए क़रीब 2 साल पूरे होने वाले हैं। जुलाई 2019 में इस कर व्यवस्था को लागू हुए दो साल हो जायेंगे। 1 जुलाई 2017 को लागू हुए GST का मक़सद तमाम तरह के टैक्सों और दरों को कम करना है। जीएसटी समूचे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है। जो भारत को एकीकृत समान्य बाजार बनाने के लिहाज से तैयार किया गया है। जीएसटी विनिर्माता से उपभोक्ता तक माल और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया कर है। GST कर अधार को विस्तार प्रदान करने तथा सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में भी सक्षम है।

सरकार का मानना है कि GST के आने से अब उन लोगों का टैक्स के दायरे से बचना मुश्किल हो गया है, जो कर से बचने का इंतजाम कर लिया करते थे। सरकार का दावा है कि जीएसटी ने पारदर्शिता को बढ़ावा दिया और काले धन को पैदा करने वाले सौदों की आशंकाओं को न्यूनतम कर दिया है।

GST को लागू करने के वक़्त से ही काफी आलोचनाओं और विरोधों का सामना करना पड़ा है। जानकारों का कहना है कि पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी लागू किये जाने से देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ 28 फ़ीसदी तक का टैक्स जीएसटी में लगाया गया है। कई सेवाएं भी जीएसटी के लागू किये जाने के बाद महंगी हुई हैं।

कई आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक जीएसटी का न सिर्फ नियोजन गलत है बल्कि यह व्यवस्था अपनी संरचनात्मक समस्याओं से भी जूझ रही है। जीएसटी के मौजूदा स्वरूप के कारण असंगठित क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ा है। जानकारों का कहना है कि इससे संगठित क्षेत्र का विस्तार होगा, जबकि असंगठित क्षेत्र में कमी आएगी जिससे असमानताएं और बढ़ेंगी।

कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि GST के कारण असंगठित क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। कुछ अनुमानों के मुताबिक मौजूदा समय में असंगठित क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा है, बल्कि असंगठित क्षेत्र सिकुड़ रहा है। असंगठित क्षेत्र के कारोबार बंद हो रहे हैं। कारोबार बंद होने का एक परिणाम यह है कि रोजगार की स्थिति चिंताजनक हुई है। हालांकि जीएसटी व्यवस्था के फायदे भी हुए हैं।

2018 में आई विश्व बैंक की 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' रैंकिंग में भी भारत ने लंबी छलांग लगाई है। 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' में 23 अंकों की छलांग लगाते हुए भारत मौजूदा समय में 77वें पायदान पर पहुंच गया है।