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Blog / 05 Aug 2019

(आर्थिक मुद्दे) क्रिप्टो करेंसी और अर्थव्यवस्था (Cryptocurrency and Economy)

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(आर्थिक मुद्दे) क्रिप्टो करेंसी और अर्थव्यवस्था (Cryptocurrency and Economy)


एंकर (Anchor): आलोक पुराणिक (आर्थिक मामलो के जानकार)

अतिथि (Guest): अजय दुआ (पूर्व वाणिज्य सचिव), हरवीर सिंह (संपादक, आउटलुक हिंदी)

चर्चा में क्यों?

क्रिप्टोकरेंसी के सम्बन्ध में गठित अंतर मंत्रालयी समूह ने बीते 22 जुलाई को अपनी सिफारिशें पेश कर दीं। आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाले इस समूह ने देश में क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने और इससे जुड़े लेन-देन को ग़ैर-क़ानूनी क़रार देने का सुझाव दिया है। साथ ही इस समूह ने एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा पेश करने और RBI द्वारा इसके बेहतर नियमन की भी सिफारिश की है। समूह का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े तकनीक मसलन डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी और ब्लॉकचेन तकनीक को बेहतर तरीके से उपयोग में लाया जाना चाहिए।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी डिजिटल करेंसी है जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर काम करती है। यह एक स्वतंत्र करेंसी है जिसका किसी संस्था द्वारा कोई रेगुलेशन नहीं किया जाता। यानी जिस प्रकार रुपए का रेगुलेटर और गारंटर आरबीआई है उसी तरह क्रिप्टोकरेंसी का कोई भी रेगुलेटर/गारंटर नहीं होता। आमतौर पर इसका उपयोग सामान या सेवाओं की खरीदारी करने के लिए किया जा सकता है।

  • दुनिया में सबसे पहले बिटकॉइन नामक क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी ये साल 2009 में प्रचलन में आई थी। कहा जाता है कि इसको जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था।
  • मौजूदा वक्त में 1500 से भी ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी बाजार में उपलब्ध हैं, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में काम करती हैं।
  • पियर-टू-पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम का मतलब ये हुआ कि आपको लेनदेन के दौरान किसी भी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। आसान शब्दों में समझें तो जब हम किसी को पैसा ट्रांसफर करते हैं उसमें हमें बैंक की जरूरत पड़ती है। लेकिन क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन करने के लिए हमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है।
  • क्रिप्टो करेंसी की कीमत मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर तय होती है यानी जब उसकी मांग ज्यादा होगी और आपूर्ति कम होगी तो इसकी कीमत भी ज्यादा होगी लेकिन अगर मांग कम हुई और आपूर्ति ज्यादा हो गई तो उसकी कीमत भी कम हो जाएगी।

क्या फायदे हैं क्रिप्टोकरेंसी के?

क्रिप्टोकरंसी के अभी तक के रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ज्यादा पैसा होने पर क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। इसके पीछे वजह यह है कि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल आता है। यानी निवेश के लिहाज़ से यह एक अच्छा प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है।

  • चूँकि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है ऐसे में, इसमें धोखाधड़ी की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है।
  • ज़्यादातर क्रिप्टो करेंसी के वॉलेट उपलब्ध हैं जिसके चलते ऑनलाइन खरीददारी और पैसे का लेन-देन काफ़ी आसान हो चुका है।
  • क्रिप्टोकरेंसी की मूल्य कोई अथॉरिटी या संस्था तय नहीं करती। इसकी कीमत पूरी तरह मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। इसके चलते नोटबंदी और अवमूल्यन जैसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता।
  • सुरक्षा के लिहाज से क्रिप्टोकरेंसी काफी अहम है। क्योंकि इसका लेनदेन ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होता है जिसके एक्सेस के लिए आपको ऑथेंटिकेशन की जरूरत पड़ती है। क्रिप्टो करेंसी के सिस्टम को हैक करना काफी मुश्किल है क्योंकि किसी भी ट्रांजैक्शन को हैक करने के लिए आपको पूरी ब्लॉकचेन तकनीक को माइन करके एक साथ हैक करना पड़ेगा।

क्रिप्टोकरेंसी के साथ दिक्कत क्या है?

वैसे तो कुछ देशों में क्रिप्टो करेंसी को सरकारी मान्यता मिली हुई है लेकिन ज्यादातर देश ऐसे हैं जहां क्रिप्टो करेंसी वैध नहीं मानी जाती और भारत भी उनमें से एक है। साथ ही कुछ देशों ने इसे 'ग्रे जोन' में रखा है, यानी वहां पर ना तो इसे कानूनी तौर पर बैन किया गया है और ना ही इसके उपयोग को सरकारी मान्यता दी गई है।

  • इस करेंसी के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अगर कोई गड़बड़ी हुई तो आप कहीं शिकायत नहीं कर सकते। क्योंकि इस करेंसी का कोई रेगुलेटर या गारंटर नहीं है।
  • इसका दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसका कोई भौतिक अस्तित्व ही नहीं है, क्योंकि इसकी छपाई नहीं की जा सकती।
  • इसको कंट्रोल करने के लिए कोई देश, सरकार या संस्था नहीं है जिससे इसकी कीमतों में काफी अस्थिरता बनी होती है। कभी इसकी कीमतों में बहुत अधिक उछाल देखने को मिलता है तो कभी बहुत ज्यादा गिरावट, जिसकी वजह से क्रिप्टो करेंसी में निवेश करना काफी जोखिम भरा सौदा है।
  • इसका उपयोग तमाम प्रकार के गैरकानूनी कामों मसलन हथियार की खरीद-फरोख्त, ड्रग्स सप्लाई, कालाबाजारी आदि में आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दो लोगों के बीच ही किया जाता है। लिहाजा, यह काफी खतरनाक भी हो सकता है।
  • इसका एक और नुकसान यह है कि यदि कोई ट्रांजैक्शन आपसे गलती से हो जाय तो आप उसे वापस नहीं मंगा सकते हैं, जिससे आपको घाटा होता है।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी का क़ानूनी पहलू

किसी भी देश में मुद्रा या करेंसी जारी करना उस देश की सरकार का संप्रभु अधिकार होता है। यह बात भारत में भी लागू होती है। भारत सरकार की तरफ से मुद्रा जारी करने का अधिकार आरबीआई के पास है। इसके अलावा अगर कोई अन्य संगठन या निजी संस्था किसी भी प्रकार की समानांतर मुद्रा जारी करती है तो यह फर्जी करेंसी छापने जैसा होगा जो कि एक कानूनी अपराध है।

साथ ही क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में गठित अंतर मंत्रालय समूह ने ‘क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019’ को भी लाने की वकालत की है। इस कानून को लाने का मकसद क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाना है। हालांकि इस समूह ने क्रिप्टो करेंसी में इस्तेमाल तकनीक मसलन ब्लॉकचेन और डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी की अपार संभावनाएं बताई है।

फेसबुक मुद्रा: लिब्रा

सोशल नेटवर्किं साइट फ़ेसबुक ने अपनी मुद्रा शुरू करने की योजना बना ली है। उस मुद्रा का प्रस्तावित नाम है -लिब्रा। लिब्रा भी एक क्रिप्टोकरेंसी ही है जिसे साल 2020 तक बाजार में लाने की योजना है। स्विट्जरलैंड का एक संगठन इसका प्रस्तावक होगा। इस संगठन के 100 से ज्यादा सदस्य है। उबर, वीसा, ईबे, पे- पाल जैसे बड़े ब्रांड इसके सदस्य हैं। लिब्रा का उद्देश्य यह बताया जा रहा है कि इस मुद्रा का इस्तेमाल के ग्लोबल मुद्रा के तौर पर होगा। यानी लोग तमाम वस्तुओं और सेवाओं की खरीद बिक्री में लिब्रा का प्रयोग करेंगे। यह मुद्रा आभासी होगी यानी छपी हुई न होगी। खरीद बिक्री में इसका इस्तेमाल होगा। बहरहाल एक खबर के मुताबिक़ कुछ वज़हों के चलते अभी लिब्रा की लॉन्चिंग को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया है।

निष्कर्ष

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी पिछले साल बैंकों समेत सभी विनियामक एजेंसियों को क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से को रोकने का निर्देश दिया था। बहरहाल, हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और इस सिक्के पर भी यही बात लागू होती है। क्रिप्टोकरेंसी में संभावनाएं तो बहुत है लेकिन इसके ऑपरेशन को भी चुस्त-दुरुस्त करना होगा।