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Blog / 06 Nov 2019

(आर्थिक मुद्दे) एफएटीएफ : आतंक विरोधी वित्तीय उपाय (FATF: Anti Terror Financial Norms)

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(आर्थिक मुद्दे) एफएटीएफ : आतंक विरोधी वित्तीय उपाय (FATF: Anti Terror Financial Norms)


एंकर (Anchor): आलोक पुराणिक (आर्थिक मामलों के जानकार)

अतिथि (Guest): पिनाक रंजन चक्रवर्ती (पूर्व राजनयिक), अनिल कुमार उपाध्याय (गेस्ट प्रोफेसर, सीबीआई अकादमी)

चर्चा में क्यों?

बीते दिनों 13-18 अक्‍टूबर के दौरान पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्‍तान को फरवरी 2020 तक के लिए ‘ग्रे-लिस्‍ट’ में रखने का फैसला लिया गया। आपको बता दें कि एफएटीएफ की इस बैठक से पहले एशिया पैसेफिक ग्रुप यानी APG की बैठक हुई थी। APG की इस बैठक में बताया गया कि पाकिस्‍तान ने 40 तय मानकों में से 32 को पूरा नहीं किया था। जिसके चलते APG ने पाकिस्‍तान को ब्‍लैकलिस्‍ट करने की सिफारिश की थी। ग़ौरतलब है कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून, 2018 से ही ग्रे लिस्ट में डाल रखा है।

एफएटीएफ क्या है?

एफएटीएफ, पेरिस स्थित एक वैश्विक संगठन है जो आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए काम करती है। साल 1989 में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन में मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के मक़सद से फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इसका सचिवालय पैरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी OECD के मुख्यालय में है। साल 2001 में इसके कार्य क्षेत्र को थोड़ा विस्तार दिया गया और आतंकवाद को धन मुहैया कराने के विरूद्ध नीतियां बनाना भी इसकी जिम्मेदारियों में शामिल कर दिया गया।

अभी एफएटीएफ में 39 सदस्य हैं जिसमें 2 क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय कमीशन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल शामिल है। साथ ही, इंडोनेशिया इसमें बतौर आब्जर्वर शामिल है। भारत 2010 में एफटीएफ का सदस्य बना था।

इसकी बैठक में क्या होता है?

इसकी बैठक में समीक्षा की जाती है कि संबंधित देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने में सक्षम है या नहीं। साथ ही ये संस्था इन अपराधों को रोकने के लिए नीतियां और मानक भी तैयार करता है।

किस तरह के लिस्ट जारी करता है एफएटीएफ?

एफएटीएफ मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के मामले में वित्तपोषण को लेकर देशों का वर्गीकरण करता है। उसके लिए यह संस्था दो प्रकार के लिस्ट जारी करती है - ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट।

ग्रे लिस्ट: दरअसल किसी भी देश को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब है कि उस देश को आतंकी वित्त-पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में लिप्त पाया गया है। किसी भी देश को ग्रे लिस्ट में डाला जाना उस देश के लिए एक चेतावनी जैसा है। यानी अगर कोई देश आतंकवाद की फंडिंग करने से बाज नहीं आता है या उसे रोकने के लिए ज़रूरी क़दम नहीं उठाता है तो आगे उस देश को ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है।

ब्लैक लिस्ट: FATF साल 2000 से ब्लैक लिस्ट जारी करता है। इस लिस्ट में केवल उन देशों को डाला जाता है जो अनकोआपरेटिव टैक्स हैवेन (uncooperative tax havens) देश की श्रेणी में आते हैं। इन देशो को नॉन-कॉपरेटीव कंट्री या टेरीट्रीज के रूप में भी जाना जाता है। दूसरे शब्दों में, जो देश आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त-पोषण कर रहे हैं या मनी लॉन्डरिंग जैसे अपराध में लिप्त हैं, साथ ही इस मामले में वे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ समुचित सहयोग नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें FATF द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है।

क्या होगा अगर कोई देश ब्लैक लिस्टेड हो गया?

अगर कोई देश ब्लैक लिस्टेड हो जाता है तो आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और एडीबी जैसे तमाम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान इस पर आर्थिक पाबंदियां लगा सकते हैं। साथ ही इस पर, दूसरे बड़े देश भी इसी तरह की आर्थिक पाबंदियां लगा सकते हैं। इसके अलावा, ब्लैकलिस्टेड देशों को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी और अन्य देशों से कर्ज नहीं मिलता है। ब्लैक लिस्टेड देश में बाहर से आर्थिक निवेश में कमी आ जाती है। जिसके चलते इस तरह के देशों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में काफी गिरावट आ जाती है।

आखिर चीन क्यों बचा रहा है पाकिस्तान को?

दरअसल, चीन ने बुनियादी ढांचे से जुड़े अपने प्रोजेक्ट CPEC के जरिए पाकिस्‍तान में अरबों का निवेश किया हुआ है। साथ ही, CPEC के अलावा भी चीन के कई प्रोजेक्‍ट पाकिस्‍तान में चल रहे हैं। इतना ही नहीं, चीन ने अरबों डॉलर का कर्ज भी पाकिस्‍तान को दिया है, जिसका ब्‍याज चुकाना पाकिस्‍तान के लिए आसान नहीं है। इसलिए पाकिस्तान लगातार वर्ल्‍ड बैंक और आईएमएफ के सामने कर्ज देने की मांग कर रहा है। लेकिन अगर पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टेड हो गया तो उसे इन तमाम बड़े अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा कर्ज नहीं मिल पाएगा। ऐसे में, पाकिस्तान चीन से लिए गए अपने कर्ज का ब्याज चीन को वापस देने में सक्षम नहीं होगा। यानी चीन की एक बड़ी राशि जोखिम के जद में आ सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान ही ऐसा देश है जिसके जरिए चीन भारत जैसे देशों को प्रभावित कर सकता है।

पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने से भारत को क्या फायदा होगा?

भारत लम्बे वक़्त से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित है। भारत एक अरसे से इस सम्बन्ध में समूचे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह जताने की कोशिश करता रहा है कि पाकिस्तान किस प्रकार से आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषित कर रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत ने इस बात को पूरी सक्रियता से उठाया जिसके परिणामस्वरूप समूची अंतरष्ट्रीय बिरादरी ने इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों का वित्त-पोषण कर रहा है। यानी जैसे-जैसे पाकिस्तान को तमाम स्रोतों के जरिए मिलने वाले आर्थिक सहायता में कमी आएगी, वैसे-वैसे पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद की फंडिंग में भी कमी आएगी।