(इनफोकस - InFocus) क्या है कृषि मेघ? (What is Krishi Megh?)
सुर्खियों में क्यों?
- हाल ही में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ यानी ICAR के डेटा रिकवरी सेंटर ‘कृषि मेघ’ का शुभारंभ किया। कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही निपटाया गया.
- इस मौके पर कृषि मंत्री ने उच्च कृषि शैक्षिक संस्थानों के लिये कृषि विश्व विद्यालय छात्र एल्युमनी नेटवर्क यानी ‘KVC ALUNET’ और ‘ऑनलाइन प्रत्यायन प्रणाली’ यानी Online Accreditation System की भी शुरुआत की।
कृषि मेघ से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
इस डेटा रिकवरी सेंटर का मकसद सरकार के प्रमुख अनुसंधान संस्थान ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ के अहम आँकड़ों को सिक्योर करना है।
- इसे हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी यानी NAARM में स्थापित किया गया है।
- ‘कृषि मेघ’ की स्थापना राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना यानी NAHEP के तहत की गई है।
राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (NAHEP)
इस प्रोजेक्ट का मकसद कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को नई शिक्षा नीति-2020 के मुताबिक प्रासंगिक और उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराना है।
- इसका वित्तपोषण भारत सरकार और विश्व बैंक द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है.
‘कृषि मेघ’ की अहमियत
इस डेटा रिकवरी सेंटर के जरिए कृषि में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई- प्रशासन की उपलब्धता और पहुँच, शोध, विस्तार तथा शिक्षा जैसे बिंदुओं पर काम किया जाएगा।
- इस केंद्र में इमेज विश्लेषण के जरिए फसलों से जुड़ी बीमारी, हानिकारक कीटों की पहचान, फलों के पकने से संबंधित जानकारी जुटाना और पशुओं को होने वाले रोगों की पहचान आदि मुद्दों पर काम किया जाना है.
- जिसके लिए इसमें ‘डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस’ के विकास और उपयोग के लिहाज से नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी AI / डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स आदि उपलब्ध हैं।
- "कृषि मेघ" किसानों, शोधकर्त्ताओं, छात्रों और नीति निर्माताओं को कृषि एवं अनुसंधान के बारे में अपडेटेड जानकारी मुहैया कराएगा।
भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (IASRI)
नई दिल्ली स्थित IASRI, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक महत्वपूर्ण संस्थान है.
- यह कृषि सांख्यिकी, कंप्यूटर एप्लीकेशंस और जैव सूचना विज्ञान में अनुसंधान, शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य करता है।
- इसकी स्थापना साल 1930 में की गई थी. उस वक्त इसे ‘इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च’ कहा जाता था।
- बता दें कि ICAR का मौजूदा मुख्य डेटा सेंटर IASRI में ही काम कर रहा है।