(इनफोकस - InFocus) ऐतिहासिक लीबिया युद्ध विराम समझौता क्या है? (What is Historic Libya Ceasefire Agreement?)
सुर्ख़ियों में क्यों?
बीते 23 अक्टूबर को लिबिया के विरोधी दलों ने ऐतिहासिक युद्धविराम का एलान किया। ये एलान जेनेवा में चले 5 दिन के 5+5 लीबिया संयुक्त सैन्य आयोग वार्ता के बाद किया गया। माना जा रहा है कि इस एलान के बाद लम्बे समय से चले आ रहे विवाद पर पूर्ण विराम लग जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र की और से तैनात कार्यकारी विशेष प्रतिनिधि स्टेफनी विलियम्स ने कहा की ये समझौता लिबिया की आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और इससे लीबिया में लम्बे वक़्त से चले आ रही समस्या पर अंकुश लग सकेगा।
क्या हो रहा है लीबिया में?
लीबिया में नाटो समर्थित सेना द्वारा तानाशाह मुअम्मार ग़द्दाफ़ी के सत्ता से निकासी के बाद लीबिया में सत्ता के लिए संघर्ष चल रहा था। ग़ौरतलब है कि सत्ता से हटाए जाने के बाद ग़द्दाफ़ी को विद्रोही सेना द्वारा जान से मार दिया गया था। ग़द्दाफ़ी की मौत ने पूर्व सेना अधिकारी के 42 साल पुराने उस शासन को ख़त्म कर दिया जिसे ग़द्दाफ़ी ने एक सैन्य तख्तापलट के दौरान वहाँ के शासक इदरीस से साल 1969 में छीन लिया था।
- ग़द्दाफ़ी के सत्ता से बाहर होने के बाद दर्जनों नागरिक सेनाओं के ज़रिये सत्ता हथियाने के लिए लीबिया में गृह युद्ध शुरू हो गया।
- इसका नतीजा ये हुआ कि ग़द्दाफ़ी की हत्या के बाद लीबिया एक ऐसे जंग के मैदान में तब्दील हो गया जहां सैकड़ों लड़ाके समूह यहां की सत्ता पर काबिज़ होने के लिए संघर्षरत थे।
- फसाद की जड़ सिर्फ सत्ता हथियाना ही नहीं थी बल्कि इन गुटों द्वारा तेल अवसंरचना प्रशासन, राष्ट्रीय वित्त और सेना पर कब्ज़ा करना भी है।
और कौन से देश शामिल हैं इस समझौते में?
लिबिया में इस वक़्त संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार चल रही है जिसे गवर्नमेंट नेशनल एकॉर्ड यानी GNA के नाम से जाना जाता है। इसके मुखिया फ़ाएज़ अल सर्राज हैं। फ़ाएज़ अल सर्राज को क़तर और टर्की का समर्थन मिला हुआ है।
- एक जानकारी के मुताबिक़ टर्की ने लीबिया में अपनी सेनाएँ भेजी हैं, जिसमे सीरिया के कुछ बागी लड़ाकू भी शामिल हैं जो टर्की का साथ दे रहे हैं। हालांकि टर्की ने ये दलील दी है कि उसके इन लड़ाकुओं को भेजने का मकसद लीबिया में संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार को समर्थन देना है। GNA की सरकार को लीबिया के पूर्व में कब्ज़े वाले दल से लगातार चुनौती मिल रही है।
- लीबिया का पूर्वी इलाक़ा लीबिया की राष्ट्रीय सेना के ज़रिये नियंत्रित है जिसकी अगुवाई जनरल खलीफा हफ्तार कर रहे हैं। माना जाता है कि जनरल खलीफा हफ्तार को रूसी सेना का समर्थन मिला है।
- साल 2014 -19 के दरमियान लीबिया की राष्ट्रीय सेना ने पूर्व में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ मुहिम चलाई थी।
- इस्लामिक स्टेट के बढ़ते कदम की वजह से यहां मुश्किलें बढ़ गयी थीं जिसकी वजह से अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
लीबिया में नागरिक गृह युद्ध का क्या रहा है असर?
ग्लोबल कनफ्लिक्ट ट्रैकर जो कि काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की एक संस्था है के मुताबिक़ गृह युद्ध की वजह से लीबिया में तकरीबन 50 हज़ार से ज़्यादा लोग शरणार्थी हो गए, जबकि यहां से बेघर होने वाले लोगों की संख्या तकरीबन 2 लाख 68 हज़ार के आस-पास है।
कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक़ अप्रैल 2019 से लेकर अब तक तकरीबन 2600 लीबिया वासी गृह युद्ध की वजह से मारे जा चुके हैं.
क्या है इस युद्ध विराम के नए मसौदे में?
संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित नए मसौदे के मुताबिक़ सभी विदेशी और लीबिया की सेनाओं को अगले 90 दिनों के भीतर हटना होगा। इस समझौते में ये भी तय हुआ है कि अगर युद्ध विराम की शर्तों को कोई भी तोड़ने की कोशिश करता है तो इसका निपटारा एक संयुक्त सैन्य बल के ज़रिये किया जाएगा।
- हालांकि यह युद्ध विराम संयुक्त राष्ट्र दवारा नामित किसी भी आतंकी समूह पर नहीं लागू होता है।
- इस समझौते के तहत एक संयुक्त पुलिस कार्यबल भी बनाया गया है जिसका काम सेना या सैन्य समूह द्वारा खाली किये गए इलाकों में नए और ख़ास इंतज़ामात को लागू करना होगा।
- इसके अलावा समझौते में सभी सड़क मार्गों और हवाई मार्गों को भी खोलने पर सहमति बनी है जिसके ज़रिये लीबिया के सभी इलाके और शहर आपस में एक दूसरे से जुड़ते हैं.
- ग़ौरतलब है कि लीबिया में अफ्रीका के सबसे ज़्यादा तेल और गैस के भंडार हैं।
- तेल उत्पादन के मद्देनज़र अलग समूहों ने इस बात पर सहमति जताई कि पूर्व और पश्चिम में पेट्रोलियम भंडारों के कमांडर नेशनल आयल कार्पोरेशन द्वारा नियुक्त किये गए प्रतिनिधि के साथ काम करेंगे।
- प्रतिनिधि का काम पेट्रोलियम सुविधाओं का पुनर्गठन करना होगा ताकि यहाँ से बाकी देशों को तेल की आपूर्ति होती रहे।
- समझौते में यह एक अहम कदम माना जा रहा है क्योंकि लीबिया में GNA और LNA के बीच पेट्रोलियम भंडारों के नियंत्रण को लेकर तनातनी चलती रहती है।