(इनफोकस - InFocus) यमुना नदी में बढ़ता अमोनिया स्तर (Rising Level of Ammonia in the Yamuna River)
सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, दिल्ली में यमुना नदी के पानी में अमोनिया के स्तर में काफी बढ़ोत्तरी होने की बात सामने आई है। इसके चलते तकरीबन 30 से अधिक इलाकों में लाखों लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ी। भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS के मुताबिक, पीने के पानी में अमोनिया की अधिकतम स्वीकार्य सीमा 0.5 पार्ट पर मिलियन यानी ppm होनी चाहिए, जबकि अभी ये स्तर लगभग 3 ppm हो गया था। ग़ौरतलब है कि यमुना नदी में अमोनिया का स्तर बढ़ने के कारण लगभग हर साल दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में पानी आपूर्ति बाधित हो जाती है।
क्या होता है अमोनिया?
अमोनिया एक गैस है जो रासायनिक उत्पादों और उर्वरकों में पाई जाती है। मानव शरीर में भी अमोनिया पाया जाता है, लेकिन इसका स्तर बहुत कम होता है। WHO के मुताबिक अमोनिया और अमोनियम लवण का उपयोग घटकों को साफ करने और खाद्य योजक के रूप में किया जाता है। जबकि अमोनियम क्लोराइड का इस्तेमाल मूत्रवर्धक औषधि के रूप में किया जाता है।
क्यों बढ़ रहा है अमोनिया का स्तर?
पिछले कई सालों से सर्दियों से पहले यमुना में अमोनिया के स्तर में एक बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। दरअसल अमोनिया का इस्तेमाल एक औद्योगिक रसायन के रूप में किया जाता है। यह औद्योगिक अपशिष्टों से होकर जमीन या जल स्रोतों के माध्यम से लोगों तक पहुँचता है। बताया जा रहा है हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों से प्रदूषित पानी छोड़ने से यमुना नदी में अमोनिया की मात्रा बढ़ी है। विशेषज्ञों के मुताबिक शुद्ध और साफ़ पानी में अमोनिया नहीं पाया जाता है। जीवाश्म ईंधन जलाने, डाई यूनिट, डिस्टिलरी, फ़ैक्टरियों और सीवेज की वजह से पानी में अमोनिया का स्तर बढ़ता है।
शरीर पर अमोनिया का क्या प्रभाव होता है?
मनुष्य अपने मूत्र के जरिए अमोनिया उत्सर्जित करता है, क्योंकि जब प्रोटीन ठोस अवस्था से टूटकर यौगिक में बदलता है, तो यह यूरिन के जरिए बाहर निकलता है। वैसे तो, अमोनिया कैंसरकारी नहीं है, लेकिन अमोनिया से सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- अमोनिया का पानी पीने से लिवर संक्रमित हो सकता है। साथ ही, इससे पीलिया, हेपेटाइटिस और डिहाइड्रेशन समेत कई अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं। इससे कोमा में जाने का खतरा भी रहता है।
- अमोनिया युक्त पानी पीने से बुखार, खांसी, छाती में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी और सिर चकराने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- इसके अलावा, गंभीर पेट दर्द, सांस लेने मे तकलीफ़, होंठ में सूजन, चलने में कठिनाई, बेचैनी और अस्थायी अंधापन जैसी समस्याएं होने का भी डर रहता है।
- अगर पानी में अमोनिया का स्तर 1 ppm से कम होता है, तो यह मछली और अन्य जल जीवों के लिए खतरनाक साबित होता है।
आगे क्या किया जाना चाहिए?
पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ना सेहत के लिए काफी खतरनाक है। इसलिए ज़रूरत है कि समय रहते इससे बचाव के उपाय किए जाएं।
- इसके लिए हानिकारक कचरे को नदी में फेंकने से रोका जाए, अनुपचारित सीवेज/वाहित मल पानी में ना फेंका जाए और जल के पारिस्थितिक प्रवाह को बनाए रखा जाए।
- बता दें कि पारिस्थितिक प्रवाह पानी की वह न्यूनतम मात्रा है जो हर समय नदी में नदी के मुहाने पर स्थित पारिस्थितिकी तंत्र, मानव आजीविका और स्वतः नियमित को बनाए रखने के लिये प्रवाहित होनी चाहिये।
- इसके अलावा, हमें अपने घरों में भी इस प्रदूषण से बचने के उपाय करने चाहिए जैसे कि प्रदूषित अमोनिया पानी में मीठा जल मिलाकर ही प्रयोग में लाएं। इससे पानी में अमोनिया का स्तर कुछ कम हो जाता है।
- पानी को क्लोरीनीकरण की मदद से शुद्ध करें और साथ ही इसे उबालकर इस्तेमाल में लाएं।
- बता दें कि क्लोरीनीकरण पानी में सोडियम हाइपोक्लोराइट जैसे क्लोरीन या क्लोरीन यौगिकों को जोड़ने की प्रक्रिया है। इस विधि का इस्तेमाल नल के पानी में कुछ बैक्टीरिया और अन्य रोगाणुओं को मारने के लिये किया जाता है।
- हालांकि क्लोरीन अत्यधिक विषाक्त है, इसलिए इसका भी प्रयोग संतुलित मात्रा में ही करना चाहिये।