होम > DNS

Blog / 22 Oct 2020

(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्टॉकहोम समझौता : क्यों है सुर्ख़ियों में? (Stockholm Convention : Why in News?)

image


(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) स्टॉकहोम समझौता : क्यों है सुर्ख़ियों में? (Stockholm Convention : Why in News?)



मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव के मद्देनज़र, बीते 7 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत सूचीबद्ध सात स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों (POP) पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र सरकार ने यह कदम एक विशिष्ट नियम और विनियमन के अनुसमर्थन यानी रेटिफिकेशन के लिहाज से उठाया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत 5 मार्च, 2018 को स्थाई कार्बनिक प्रदूषक विनियमन नियम जारी किया था। इस रेटिफिकेशन से भारत वैश्विक पर्यावरण सुविधा यानी GEF के वित्तीय संसाधनों का लाभ प्राप्त कर पाएगा। इस लाभ से भारत अपने राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना (NIP) को अद्यतन कर सकेगा. साथ ही, इससे दुनिया को एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा कि हम स्वास्थ्य और पर्यावरणीय ख़तरों को बर्दाश्त नहीं करते हैं।

डीएनएस में आज हम आपको स्टॉकहोम कन्वेंशन के बारे में बताएंगे और साथ ही समझेंगे से जुड़े कुछ दूसरे महत्वपूर्ण पहलुओं को भी

स्टॉकहोम कन्वेंशन क्या है?

स्टॉकहोम कन्वेंशन कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है. इसका मकसद पर्यावरण में उपस्थित स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों को धीरे-धीरे कम करना है। इस कन्वेंशन में 183 पार्टियाँ शामिल हैं, जिसमें से 151 देशों ने इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने मई 2002 में इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर और जनवरी 2006 में इसका अनुसमर्थन किया था। अफ्रीकी देश इक्वेटोरियल गिनी ने 24 दिसंबर, 2019 को इसकन्वेंशन का अनुसमर्थन किया। मध्य एशियाई देश उज़्बेकिस्तान ने भी 2019 में ही इसको रैटीफ़ाइ किया था।

स्टॉकहोम कन्वेंशन के अनुच्छेद 16 के मुताबिक कन्वेंशन द्वारा अपनाए गए उपायों की प्रभावशीलता का नियमित अंतराल पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

स्टॉकहोम कन्वेंशन को 22 मई, 2001 को अपनाया गया था. इसके बाद, 50 देशों द्वारा रैटीफ़ाइ करने के बाद इसे 17 मई, 2004 को लागू कर दिया गया था। इस कन्वेंशन का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों यानी POP से बचाना है। POP में कीटनाशक, औद्योगिक रसायन और उपोत्पाद शामिल होते हैं। सभी पीओपी बेहद ही खतरनाक और विषाक्त होते हैं. इनमें बायोएक्युम्युलेशन यानी जैवसंचयन और पर्यावरण में काफी लंबी दूरी तक प्रसारित होने की क्षमता होती है।

कौन-कौन से रसायन प्रतिबंधित किए गए हैं?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिन 7 रसायनों पर प्रतिबंध लगाया है अब उनका निर्माण, व्यापार, उपयोग, आयात और निर्यात करना गैरकानूनी होगा. इन रसायनों में क्लोर्डेकोन, हेक्साब्रोमोबाईफेनिल, हेक्साब्रोमोडाईफेनिल ईथर और हेप्टाब्रोमोडाईफेनिल ईथर (कमर्शियल ऑक्टा-बीडीई), टेट्राब्रोमोडाईफेनिल ईथर और पेंटाब्रोमोडाईफेनिल ईथर (वाणिज्यिक पेंटा-बीडीई), पेंटाक्लोरोबेंजीन, हेक्साब्रोमोसायक्लोडोडेक और हेक्साक्लोरोब्यूटाडाइन।

स्थाई कार्बनिक प्रदूषक यानी POP क्या हैं?

POP ऐसे रसायन होते हैं जो लंबे समय तक पर्यावरण में बरकरार रहते हैं और मनुष्यों और वन्यजीवों के लिए विषाक्त होते हैं. साथ ही, ये भौगोलिक रूप से काफी लंबी दूरी तक फैल जाते हैं और सजीव जीवों के वसायुक्त ऊतकों में जमा होते हैं। प्रारंभ में, 12 प्रदूषकों को POP घोषित किया गया था, इनमें एल्ड्रिन, क्लोर्डेन, डीडीटी, डाइड्रिन, एंड्रीन, हेप्टाक्लोर, मिरेक्स, टॉक्सिफीन, पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफेनोल्स या पीसीबी, हेक्साक्लोरोबेंजीन, डाइऑक्सिन और फ़्यूरोन शामिल हैं। इन्हें "डर्टी डोज़न्स" के तौर पर भी जाना जाता है। वर्तमान में, पीओपी सूची में 28 खतरनाक रसायनों को रखा गया है।

पीओपी के प्रभाव:

पीओपी एक प्रक्रिया के जरिए सजीव जीवों के भीतर एकत्रित हो जाते हैं, इसे बायोएक्कुम्यूलेशन या फिर जैव संचयन कहा जाता है। वैसे तो POP पानी में घुलनशील नहीं होते है, लेकिन ये आसानी से वसायुक्त ऊतक में अवशोषित हो जाते हैं, जहां इनकी सांद्रता सामान्य स्तर से 70,000 गुना तक ज्यादा बढ़ सकती है। चूँकि मछली, शिकारी पक्षी, स्तनधारी और मनुष्य आदि जीव खाद्य श्रृंखला में उच्च स्तर पर होते हैं, इसलिए ये जीव ज़्यादा POP अवशोषित करते हैं। POP अवशोषित कर चुके ये जीव जब एक स्थान से दूसरे स्थान को जाते हैं तो इनके साथ यह POP भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाता है।

पीओपी के संपर्क में आने से कैंसर, केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान, प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी बीमारियां, प्रजनन संबंधी विकार और सामान्य शिशु एवं बाल विकास बाधित हो सकता है। सदस्य देशों के बीच गहन वैज्ञानिक अनुसंधान, विचार- विमर्श और वार्ता के बाद स्टॉकहोम कन्वेंशन के तमाम अनुबंधों में पीओपी रसायनों को सूचीबद्ध किया गया है।

इस वैश्विक कन्वेंशन के लिए वित्तीय व्यवस्था:

इस वैश्विक कन्वेंशन के वित्तीय व्यवस्था के लिए वैश्विक पर्यावरण सुविधा यानी GEF को अंतरिम इकाई बनाया गया है। पीओपी परियोजनाओं को गति देने के लिहाज से GEF अब तक 100 से अधिक देशों को वित्तीय संसाधन प्रदान कर चुका है। स्टॉकहोम कन्वेंशन के जरिए विकसित और विकासशील देश भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक पीओपी मुक्त विश्व के लिए संयुक्त रुप से प्रयास कर रहे हैं। इस प्रयास में उद्योग जगत और पर्यावरण के लिए काम कर रहे समूह भी शामिल हैं.

स्टॉकहोम कन्वेंशन के लिए COP की 9वीं बैठक

स्थाई कार्बनिक प्रदूषकों हेतु स्टॉकहोम कन्वेंशन के लिए COP की 9वीं बैठक 2019 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित की गई थी। बैठक की थीम थी - “स्वच्छ ग्रह, स्वस्थ लोग: रसायन और अपशिष्ट का बेहतर प्रबंधन। इस 9वीं बैठक में स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत अनुलग्नक ए में "डाइकोफ़ोल" को बिना किसी छूट के सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया था। स्टॉकहोम कन्वेंशन के अनुलग्नक ए में कुछ छूट के साथ "PFOA" को भी सूचीबद्ध किया गया था।