(डेली न्यूज़ स्कैन - DNS हिंदी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए क्षेत्र (7 New Circles of Archaeological Survey of India)
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए क्षेत्रों की घोषणा की है....एक वीडियो संदेश में संस्कृति और पर्यटन मंत्री, प्रहलाद सिंह पटेल ने इस फैसले के बारे में जानकारी दी...
पुरातात्विक स्मारकों के पंजीकरण और संरक्षण की प्रक्रिया को सुविधाजनक और मजबूत बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान के अनुसार ही यह कदम उठाया गया है. इससे पहले, पूरे भारत में 29 उनतीस ASI सर्कल थे...
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 7 नए क्षेत्र मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और गुजरात में बनाए गए हैं...
इन राज्यों में जिन स्थानों पर नए क्षेत्रों की घोषणा की गई है, उनके नाम हैं:
रायगंज , त्रिची , राजकोट, झांसी, जबलपुर, मेरठ, हम्पी (उप-क्षेत्र जिसे अब एक नया पूर्ण सर्कल बनाया गया है)
इन नए क्षेत्रों की व्याख्या करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने इन स्थानों के महत्व और पुरातात्विक स्मारकों को संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में भी बताया.
चूंकि तमिलनाडु में चोल राजाओं के हजारों मंदिर और शानदार यादें हैं, इसलिए त्रिची को सरकार ने चेन्नई के क्षेत्र के साथ एक नया क्षेत्र बना दिया है.
कर्नाटक में, क्योंकि हम्पी शहर पुरातात्विक विरासत के दृष्टिकोण के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय महत्व का स्थान है, इसलिए मंत्रालय ने हम्पी को उप-क्षेत्र से एक नया पूर्ण क्षेत्र बनाने का फैसला किया.
पश्चिम बंगाल के रायगंज को भी कोलकाता के साथ एक नए क्षेत्र के तौर पर बनाया गया है और यह भौगोलिक असुविधा को भी खत्म कर देगा.
गुजरात में राजकोट को वडोदरा के साथ एक नए क्षेत्र के तौर पर घोषित किया गया है.
मध्य प्रदेश में, जबलपुर को भोपाल के साथ एक नए क्षेत्र के तौर पर घोषित किया गया है. इसमें रीवा, जबलपुर, सागर, शहडोल संभागों के स्मारक भी शामिल होंगे.
उत्तर प्रदेश में, पश्चिमी यूपी के मेरठ और बुंदेलखंड में झांसी को आगरा और लखनऊ के साथ दो नए क्षेत्रों के तौर पर घोषित किया गया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
यह राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिए एक प्रमुख संगठन है ....भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है । इसके अतिरिक्त, प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 अठावन के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है । यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 बहत्तर को भी विनियमित करता है । राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थलों तथा अवशेषों के रखरखाव के लिए सम्पूर्ण देश को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है । संगठन के पास मंडलों, संग्रहालयों, उत्खनन शाखाओं, प्रागैतिहासिक शाखा, पुरालेख शाखाओं, विज्ञान शाखा, उद्यान शाखा, भवन सर्वेक्षण परियोजना, मंदिर सर्वेक्षण परियोजनाओं तथा अन्तरजलीय पुरातत्व स्कन्ध के माध्यम से पुरातत्वीय अनुसंधान परियोजनाओं के संचालन के लिए बड़ी संख्या में प्रशिक्षित पुरातत्वविदों, संरक्षकों, पुरालेखविदों, वास्तुकारों तथा वैज्ञानिकों का कार्य दल है ।