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Daily-static-mcqs 13 Sep 2024
Q1:
राइजोबियम के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. यह दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रंथिकाओं के रूप में रहने वाला सहजीवी जीवाणु है। 2. यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर उसे पौधों को उपलब्ध कराता है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
राइजोबियम दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रंथिकाओं के रूप में रहने वाला सहजीवी जीवाणु है जो कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कर उसे पौधों को उपलब्ध कराता है। मुख्य रूप से मीसोराइजोबियम एवं साइनो राइजोबियम ऐसे जीवाणु हैं जो कि दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रंथियां बनाने में तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक सिद्ध हुए हैं। अतः कथन 1 और 2 दोनों सही है।
Q2:
नील-हरित शैवाल के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. सभी नील-हरित शैवाल नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने में सक्षम होते हैं। 2. कुछ नील-हरित शैवाल उच्चवर्गीय पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
नील-हरित शैवालः यह जलीय सूक्ष्मजीव हैं। ये जीव नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन सभी नील हरित शैवाल नाइट्रोजन यौगिकीकरण में समर्थ नहीं होते। अतः कथन 1 सही नहीं है।
कुछ प्रजातियां ही यह कार्य कर सकती हैं। कुछ नील हरित शैवाल उच्चवर्गीय पौधों के साथ सहजीवी के रूप में भी पाए जाते हैं। जैसे नोस्टाक व एनाबिना, आदि। आर्थिक रूप से कम लागत के ये जैव उर्वरक नाइट्रोजन यौगिकीकरण द्वारा फसलों को वांछित लाभ देने में समर्थ होते हैं। अतः कथन 2 सही है।
Q3:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. सूर्य ऊर्जा का एकमात्र नवीकरणीय स्रोत है। 2. पानी, परमाणु ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन सभी पारंपरिक ऊर्जा स्रोत हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
पृथ्वी पर सूर्य ऊर्जा का सर्वकालीन स्रोत है। कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन है और अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी हैं। यह बेहद चिंताजनक है कि ये ऊर्जा स्रोत उद्योग एवं परिवहन की जरूरतों को पूरा करने के चलते तेजी से समाप्त होते जा रहे हैं। सूर्य की रोशनी, पवन, जल, बायोमास, भूतापीय ऊष्मा ही कुछ ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधन हैं। अतः कथन 1 सही नहीं है।
इनमें से जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस , तेल शैल , बिटुमेन, टार रेत और भारी तेल), पानी और परमाणु ऊर्जा, परम्परागत संसाधन हैं जबकि सौर, जैव, पवन, समुद्री, हाइड्रोजन एवं भूतापीय ऊर्जा अपरम्परागत या वैकल्पिक ऊर्जा संसाधन हैं। अन्य स्तर पर हमारे पास वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत हैं तथा लकड़ी ईंधन, गाय का गोबर तथा कृषि अपशिष्ट जैसे गैर-वाणिज्यिक संसाधन भी हैं। अतः कथन 2 सही है।
Q4:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. जलविद्युत और कोयला-दहन शक्ति संयंत्र दोनों ही टरबाइन को घुमाने के लिए शक्ति स्रोत का उपयोग करते हैं। 2. जलविद्युत संयंत्र सौर ऊर्जा का अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग करते हैं। 3. नदियों पर बांध बनाने से बाढ़ रोकने में मदद मिलती है। उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
जलविद्युत एवं कोयला-दहन शक्ति संयंत्रों से विद्युत का उत्पादन एक समान तरीके से होता है। दोनों मामलों में शक्ति स्रोत का प्रयोग टरबाइन को घुमाने के लिए किया जाता है। एक कोयला-दहन शक्ति संयंत्र टरबाइन ब्लेड्स को घुमाने के लिए भाप का इस्तेमाल करता है; जबकि एक जलविद्युत संयंत्र टरबाइन को घुमाने के लिए गिरते हुए जल का प्रयोग करता है। अतः कथन 1 सही है।
जलविद्युत संयंत्र, जिन्हें जल टरबाइन द्वारा चलायमान किया जाता है, सौर ऊर्जा का अप्रत्यक्ष प्रयोग करते हैं। प्रवाहमय एवं गिरता जल बादल से होती वर्षा के समान टरबाइन पर गिरकर उसके ब्लेड्स को घुमाता है। आज भी पहाड़ी क्षेत्रों के दुर्गम स्थानों से लकड़ी के लट्ठों के परिवहन में बहते हुए पानी की ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। पनचक्की का प्रयोग अनाज पीसने में होता रहा है। जल चक्र में वाष्पन के समय सौर ऊर्जा का एक भाग पानी के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा में बदल जाता है। अतः कथन 2 सही है।
ये अणु वायुमंडल में ऊपर उठकर बादल बनाते हैं जिससे वर्षा व हिमपात के समय पानी के अणुओं की ये स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। बहते हुए पानी की गतिज ऊर्जा का उपयोग जल विद्युत संयंत्रों द्वारा वृहत पैमाने पर विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। नदियों का बहाव बांध बनाकर रोका जाता है। जहां बांध के ऊपरी भाग से जल पाइपों द्वारा बांध के आधार के पास बने टरबाइनों के ब्लेडों के ऊपर गिराया जाता है। अतः कथन 3 सही है।
Q5:
ऊर्जा ग्राम एक ऐसी अवधारणा है जिसका उद्देश्य गांवों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। ऊर्जा ग्राम के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. ऊर्जा ग्राम में खाना बनाने के लिए बायोगैस संयंत्र, दूरदर्शन, रेडियो आदि के लिए सौर बैटरियां और सिंचाई के लिए पवन चक्की का उपयोग होता है। 2. ऊर्जा ग्राम की स्थापना के लिए गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत विभाग द्वारा 'ग्रामीण पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली' (आर.आर.ई.एस.) नामक योजना शुरू की गई है। 3. आर.आर.ई.एस. योजना के अंतर्गत कई गांवों में ऊर्जा गांव सफलतापूर्वक स्थापित किए जा चुके हैं तथा कई अन्य गांवों में कार्य चल रहा है। उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
ऊर्जा ग्राम एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की समस्त ऊर्जा आवश्यकताएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा स्रोतों से पूरी करने की व्यवस्था की जाती है। इसका उद्देश्य गांवों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाना है। इससे घरेलू ऊर्जा, प्रकाश व्यवस्था, सिंचाई, आदि की जरूरतें तो पूरी होती ही हैं; वाणिज्यक ऊर्जा के रूप में भी इसके प्रयोग की संभावनाएं बनती हैं। एक आदर्श ऊर्जा ग्राम में खाना बनाने के लिए बायोगैस संयंत्र; दूरदर्शन, रेडियो आदि के लिए सौर बैटरियां; बायोगैस इंजन से संचालित पवन चक्की, जिससे पेयजल एवं सिंचाई की व्यवस्था हो-अपेक्षित हैं। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत विभाग ने 'ग्रामीण पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली' आर.आर.ई.एस. की स्थापना की है। इस प्रणाली के तहत् कई गांवों में इसका सफल प्रयोग किया गया है और कई गांवों में इस पर कार्य चल रहा है। अतः तीनों कथन सही है।