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Daily-static-mcqs 23 Jul 2024

यूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली स्टेटिक MCQ क्विज: संविधान एवं राजव्यवस्था (Polity) 23 Jul 2024

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यूपीएससी और सभी राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के लिए हिंदी में डेली स्टेटिक MCQ क्विज: संविधान एवं राजव्यवस्था (Polity)

Q1:

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1.    भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के अनुसार, देशी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने का विकल्प दिया गया था।

2.    वर्ष 1950 में भारतीय संविधान ने भारतीय संघ के राज्यों को चार भागों में वर्गीकृत किया - भाग , भाग , भाग और भाग घ।

3.    वर्ष 1950 में, 549 देशी रियासतें भारत में शामिल हो गईं, और शेष 3 रियासतों (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) को बाद में भारत में शामिल किया गया।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

A: केवल एक

B: केवल दो

C: सभी तीन

D: कोई भी नहीं

उत्तर: C

स्पष्टीकरण:

आजादी के समय भारत में राजनीतिक इकाईयों की दो श्रेणियां थीं-ब्रिटिश प्रांत (ब्रिटिश सरकार के शासन के अधीन) और देशी रियासतें (राजा के शासन के अधीन लेकिन ब्रिटिश राजशाही से संबद्ध) भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (1947) के अंतर्गत दो स्वतंत्र एवं पृथक् प्रभुत्व वाले देश भारत और पाकिस्तान का निर्माण किया गया और देशी रियासतों को तीन विकल्प दिए गए - भारत में शामिल हों, पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहे। अतः कथन 1 सही है।


वर्ष 1950 में संविधान ने भारतीय संघ के राज्यों को चार प्रकार से वर्गीकृत किया-भाग , भाग , भाग एवं भाग घ। ये सभी संख्या में 29 थे। भाग में वे राज्य थे, जहां ब्रिटिश भारत में गर्वनर का शासन था। भाग में 9 राज्य विधानमंडल के साथ शाही शासन, भाग में ब्रिटिश भारत के मुख्य आयुक्त का शासन एवं कुछ में शाही शासन था। भाग में राज्य (कुल 10) का केंद्रीकृत प्रशासन था। अंडमान एवं निकोबार द्वीप को अकेले भाग राज्य में रखा गया था। अतः कथन 2 सही है।


वर्ष 1950 में 552 देशी रियासतें, भारत की भौगोलिक सीमा में थीं। 549 भारत में शामिल हो गयीं और बची हुयी तीन रियासतों (हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर) ने भारत में शामिल होने से इंकार कर दिया। यद्यपि कुछ समय बाद इन्हें भी भारत में मिला लिया गया- हैदराबाद को पुलिस कार्यवाही के द्वारा, जूनागढ़ को जनमत के द्वारा एवं कश्मीर को विलय पत्र के द्वारा भारत में शामिल कर लिया गया। अतः कथन 3 सही है।


                            

Q2:

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह संविधान लागू होने के बाद अर्जन एवं समाप्ति के बारे में उपबंध करता है।
  2. यह अधिनियम 1955 में पारित हुआ था।
  3. यह अधिनियम 2003 में पहली बार संशोधित हुआ था।
  4. यह अधिनियम अब तक चार बार संशोधित किया गया है।

उपर्युक्त में से कितनें कथन नागरिकता अधिनियम, 1955 के बारे में सही है?

A: केवल एक

B: केवल दो

C: केवल तीन

D: सभी चार

उत्तर: C

स्पष्टीकरण:

नागरिकता अधिनियम (1955) संविधान लागू होने के बाद अर्जन एवं समाप्ति के बारे में उपबंध करता है। इस अधिनियम को अब तक चार बार संशोधित किया गया है। ये संशोधन इस प्रकार हैं:



  1. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 1986

  2. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 1992

  3.  नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003

  4. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2005


अतः विकल्प (c) सही है।


                            

Q3:

संपत्ति का अधिकार मूल अधिकारों की सूची से क्यों हटा दिया गया था?

1.  यह माना जाता था कि यह अधिकार सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

2.  यह माना जाता था कि यह अधिकार केवल धनी लोगों को लाभान्वित करता है।

3.  यह माना जाता था कि यह अधिकार विकास के लिए बाधा है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

A: केवल एक

B: केवल दो

C: सभी तीन

D: कोई भी नहीं

उत्तर: C

स्पष्टीकरण:

संपत्ति का अधिकार अमीरों को गरीबों का शोषण करने का साधन दे सकता था। यह सामाजिक गतिशीलता को बाधित कर सकता था और गरीबी और असमानता को बढ़ा सकता था। गरीब लोगों के पास अक्सर संपत्ति नहीं होती है, इसलिए वे इस अधिकार से लाभान्वित नहीं होते थे। यह अधिकार धनी लोगों को अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने का अधिकार देता था, भले ही उन्होंने इसे कैसे अर्जित किया हो। सरकार को विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहीत करना मुश्किल बना सकता था। यह निजी क्षेत्र के निवेश को भी बाधित कर सकता था।


44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा संपत्ति का अधिकार मूल अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था। इसे संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300- के तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया है। इसका मतलब यह है कि सरकार संपत्ति के अधिकार को उचित प्रतिबंधों के अधीन कर सकती है। अतः तीनों कथन सही है।


                            

Q4:

निम्नलिखित में से किन विषयों पर संशोधन हेतु संसद के दो तिहाई बहुमत के साथ-साथ कम-से-कम आधे राज्यों के विधानमंडलों की स्वीकृति आवश्यक है?

1. सातवीं अनुसूची का कोई विषय

2. अनुच्छेद-73

3. अनुच्छेद-241

4. अनुच्छेद-368

उपर्युक्त में से कितने सही हैं?

A: केवल एक

B: केवल दो

C: केवल तीन

D: सभी चार

उत्तर: D

स्पष्टीकरण:

भारतीय संविधान के कुछ विशेष प्रावधानों को संशोधित करने के लिए संसद के दो तिहाई बहुमत के साथ-साथ कम-से-कम आधे राज्यों के विधानमंडलों की स्वीकृति आवश्यक है। इन प्रावधानों में शामिल हैं:


सातवीं अनुसूची में भारत के संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण शामिल है। इस अनुसूची में किसी भी विषय को संशोधित करने के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है।


अनुच्छेद-73 राष्ट्रपति को आपातकाल के दौरान कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है। इस अनुच्छेद को संशोधित करने के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है।


अनुच्छेद-241 उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करता है। इस अनुच्छेद को संशोधित करने के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है।


अनुच्छेद-368 संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। इस अनुच्छेद को संशोधित करने के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति आवश्यक है।


इन विशेष प्रावधानों को संशोधित करने के लिए विशेष बहुमत और राज्यों की स्वीकृति की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि ये प्रावधान भारत के संघीय ढांचे की नींव हैं, राज्यों के अधिकारों और हितों को प्रभावित करते हैं  तथा देश के सभी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।


                            

Q5:

संविधान का प्रथम संशोधन जो वर्ष 1951 में पारित हुआ निम्न में से किससे संबंधित था?

A: अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से

B: कुछ राज्यों में किए गए कृषि व कृषि-भूमि संबंधी सुधारों के संरक्षण से

C: देश की सुरक्षा से

D: प्रधानमंत्री की सुरक्षा से

उत्तर: B

स्पष्टीकरण:

संविधान का प्रथम संशोधन 18 जून 1951 को पारित हुआ था। यह संशोधन मुख्य रूप से कुछ राज्यों द्वारा किए गए कृषि कृषि-भूमि संबंधी सुधारों को संरक्षित करने के लिए लाया गया था। इस संशोधन में अनुच्छेद 31A जोड़ा गया, जो कुछ राज्यों द्वारा किए गए कृषि कृषि-भूमि संबंधी सुधारों को न्यायिक समीक्षा से बचाता है। अनुच्छेद 31B जोड़ा गया, जो कुछ राज्यों द्वारा किए गए जमींदारी उन्मूलन अधिनियम को न्यायिक समीक्षा से बचाता है।  अनुच्छेद 19(1)(f) में संशोधन किया गया, जिससे न्यायालयों को कृषि कृषि-भूमि संबंधी सुधारों के आधार पर संपत्ति के अधिकार को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों की वैधता को चुनौती देने से रोका गया।