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Daily-static-mcqs 16 Jan 2024
Q1:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. अवशिष्ट सूची से संबद्ध विषयों पर विधान बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल तथा संसद को है। 2. संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
वैसे विषयजो संघ, राज्य तथा समवर्ती सूचियों में सम्मिलित नहीं है, उन्हें अवशिष्ट विषय मान लिया गया हैं। अवशिष्ट सूची से संबद्ध विषयों पर विधान बनाने का अधिकार संसद को है। इस अवशिष्ट शक्ति में अवशिष्ट करों के आरोपण के संबंध में विधान बनाने की शक्ति भी शामिल है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
अनुच्छेद 245(1) के अनुसार, संसद भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी और किसी राज्य का विधानमंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा। अतः कथन 2 सही है।
Q2:
अंतर्राज्यीय परिषद् के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. अंतर्राज्यीय परिषद् एक संवैधानिक संस्था है। 2. अंतर्राज्यीय परिषद् के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। 3. यह एक सलाहकारी संस्था है, जिसमें आम सहमति के आधार पर निर्णय लिया जाता है। उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
अंतर्राज्यीय परिषद् एक संवैधानिक संस्था है। इसकी स्थापना का प्रावधान संविधान के अनु. 263 के अंतर्गत किया गया है। यह एक सलाहकारी संस्था है, जिसमें आम सहमति के आधार पर निर्णय लिया जाता है।
अंतर्राज्यीय परिषद् के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। इसके अलावा गृह-मंत्री समेत प्रधानमंत्री के द्वारा नामित केन्द्रीय मंत्रिमंडल के छह सदस्य, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं। अतः उपर्युक्त तीनों कथन सही है।
Q3:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. संविधान के भाग XIIIमेंकेन्द्र और राज्यों के बीच विधायी संबंधों का प्रावधान किया गया है। 2. संविधान की 7वीं अनुसूची में केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का आवंटन एवं कार्यप्रणाली का प्रावधान किया गया है। उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
भारतीय संविधान ने संघीय राजनीति की स्थापना की है। इसने केन्द्र एवं राज्यों के बीच स्पष्ट एवं विस्तृत शक्तियों का विभाजन किया है। संविधान के अंतर्गत विभिन्न प्रावधान किये गये है जो विधायी, प्रशासनिक तथा वित्तिय संबंधों से संबंधित है।संविधान के भाग XIमें अनुच्छेद 245 से255 तक केन्द्र और राज्यों के बीच विधायी संबंधों का प्रावधान किया गया है, न कि भाग XIII में। अतः कथन 1 सही नहीं है।
संविधान की 7वीं अनुसूची में केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का आवंटन एवं कार्यप्रणाली का प्रावधान किया गया है। इसमें तीन सूचियों का प्रावधान है - (1) संघ सूची (2) राज्य सूची एवं ( 3 ) समवर्ती सूची । अतः कथन 2 सही है।
Q4:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: कथन-I :भारतीय संविधान अर्द्ध-संघात्मक है। कथन-II :भारतीय संविधान न तो संघात्मक है और न ही एकात्मक। उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?
A: कथन-1 और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-1 की सही व्याख्या है
B: कथन-1 और कथन II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-1 की सही व्याख्या नहीं है
C: कथन-1 सही है किन्तु कथन-II गलत है
D: कथन-1 गलत है किन्तु कथन II सही है
उत्तर: A
स्पष्टीकरण:
अर्ध-संघात्मक सरकार, संघात्मक और एकात्मक सरकारों का मिश्रण होती है। यह सरकार की एक प्रणाली है, जो क्षेत्रीय स्वायत्तता और एक मज़बूत केंद्रीय प्राधिकरण की ज़रूरत को संतुलित करती है। यह केंद्र सरकार और क्षेत्रीय सरकारों के बीच सत्ता के बंटवारे की अनुमति देती है। भारतीय संविधान को अर्ध-संघात्मक माना जाता है। संघीय सिद्धांतकार के. सी. व्हेयर ने भारतीय संविधान को अर्ध-संघात्मक माना है। अर्ध-संघात्मक शब्द का तात्पर्य है कि भारतीय संविधान में संघीय और एकात्मक दोनों तरह की सुविधाएं हैं। भारतीय संविधान संघात्मक है, लेकिन इसका निर्माण स्वतंत्र राष्ट्रों के बीच किसी संविदा के ज़रिए नहीं हुआ है। यह उन राज इकाइयों के मेल से बना है, जो पहले से ही स्वतंत्र एकात्मक भारत का हिस्सा थीं।
Q5:
भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किस एक के अंतर्गत विधान परिषद की स्थापना या समाप्ति की व्यवस्था कीगई है?
A: अनुच्छेद 168
B: अनुच्छेद 169
C: अनुच्छेद 170
D: अनुच्छेद 171
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
संविधान के अनुच्छेद 169(1) के अनुसार, राज्य में दूसरे सदन अर्थात विधान परिषद की स्थापना या विघटन संसद विधि द्वारा तब कर सकती है, जब संबंधित राज्य की विधानसभा इस आशय का संकल्प सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित एवं मत देने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से पारित कर दे। तत्संबंधी विधि को संसद साधारण विधेयक की भांति सामान्य बहुमत से पारित कर सकती है तथा अनुच्छेद 169 (3) के तहत ऐसी विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।