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Daily-static-mcqs 15 Jan 2024
Q1:
चतुर्थ बौद्ध संगीति के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. इसका आयोजन कुषाण शासक कनिष्क के राज्यकाल में वैशाली में किया गया था। 2. इसकी अध्यक्षता वसुमित्र ने की तथा अश्वघोष इसके उपाध्यक्ष बने थे। 3. इसी समय बौद्ध धर्म हीनयान एवं महायान नामक दो स्पष्ट संप्रदायों में विभक्त हो गया था। उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ करने आदि के उद्देश्य से संगीति की प्रथा चल पड़ी थी। इन्हें धम्म संगीति कहा जाता है। बौद्ध परंपरा के अनुसार परिनिर्वाण के बाद राजगृह में प्रथम बौद्ध संगीति हुई थी। दूसरी बौद्ध संगीति वैशाली में हुई। महावंस के अनुसार उस समय मगध का राजा कालाशोक था। तीसरी बौद्ध संगीति अशोक के संरक्षण में पाटलिपुत्र में आयोजित की गई थी। चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कुषाण शासक कनिष्क के राज्यकाल में कश्मीर के कुंडलवन में हुई, न कि पाटलिपुत्र में। अतः कथन 1 सही नहीं है।
चतुर्थ बौद्ध संगीति की अध्यक्षता वसुमित्र ने की तथा अश्वघोष इसके उपाध्यक्ष बने। इस सभा में महासांघिक का वर्चस्व था। यहां बौद्ध ग्रंथों के कठिन अंशों पर सम्यक विचार किया गया तथा प्रत्येक पिटक पर भाष्य लिखकर उन्हें 'विभाषाशास्त्र' नामक टीकाओं में संकलित कर दिया गया। इसी समय बौद्ध धर्म हीनयान एवं महायान नामक दो स्पष्ट संप्रदायों में विभक्त हो गया। अतः कथन 2 तथा 3 सही है।
Q2:
प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: साहित्यिक कृति रचनाकार मिलिंद-पन्ह नागसेन मालविकाग्निमित्र कालिदास मृच्छकटिकम विशाखदत्त देवीचंद्रगुप्तम हर्षवर्धन उपर्युक्त युग्मों में से कितने सही सुमेलित हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: केवल तीन
D: सभी चार
उत्तर: B
स्पष्टीकरण:
मिलिन्द –पन्ह, पालि भाषा में रचित एक बौद्ध ग्रन्थ है जिसका रचनाकाल लगभग 100 ई॰पूर्व है। इसमें बौद्ध भिक्षु नागसेन तथा भारत-यूनानी शासक मिलिन्द के बीच हुए वार्तालाप का वर्णन किया गया है। अतः युग्म 1 सही सुमेलित है।
'मालविकाग्निमित्र' पांच अंकों का एक नाटक है, जिसमें मालविका और अग्निमिन्त्र की प्रणय कथा वर्णित है। अग्निमित्र शुंग शासक, पुष्यमित्र शुंग का पुत्र था। 'मालविकाग्निमित्र' के रचनाकार कालिदास है। अतः युग्म 2 सही सुमेलित है।
मृच्छकटिकमएक प्राचीन संस्कृत ग्रंथ है। इस ग्रंथ के रचनाकर महाराज शूद्रक हैं। शूद्रक द्वारा रचित इस नाटक से गुप्तकालीन सांस्कृतिक इतिहास की जानकारी मिलती है। अतः युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है।
'देवीचंद्रगुप्तम' नाटक के रचनाकार विशाखदत्त है। यह एक ऐतिहासिक नाटक है, जिसमें चंद्रगुप्त के दुश्मनों के खिलाफ चाणक्य की चतुराई का वर्णन किया गया है। अतः युग्म 4 सही सुमेलित नहीं है।
Q3:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर उसके मंत्री वसुदेव ने कण्व वंश की स्थापना की थी। 2. कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मन की हत्या सिमुक ने की और एक नवीन ब्राह्मण वंश आंध्र सातवाहन की स्थापना की। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने की थी शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर उसके मंत्री वसुदेव ने 75 ई.पू. में कण्व वंश की स्थापना की थी। कण्व वंश एक ब्राह्मण वंश था, इसमें केवल चार शासक वसुदेव, भूमिमित्र, नारायण तथा सुशर्मन थे।
शुंग वंश के अंतिम शासक सुशर्मन की हत्या 30 ई.पू. में सिमुक ने की और एक नवीन ब्राह्मण वंश आंध्र सातवाहन की स्थापना की। अतः कथन 1 तथा 2 दोनों सही है।
Q4:
जैन साहित्यिक स्रोतों के संबंध में,निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. जैन ग्रंथों की रचना प्राकृत भाषा में हुई थी। 2. जैन साहित्यिक स्रोतों को ईसा की सातवीं सदी में वल्लभी में संकलित किया गया था। 3. जैन ग्रंथों में व्यापार और व्यापारियों के उल्लेख बार-बार मिलते हैं। उपर्युक्त में से कितने कथन सही नहीं हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: A
स्पष्टीकरण:
बौद्ध ग्रंथ के साथ-साथ जैन ग्रंथ भी एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत रहे हैं, जिनकी रचना प्राकृत भाषा में की गई है। अतः कथन 1 सही है।
जैन साहित्यिक स्रोतों को ईसा की सातवीं सदी में नहीं, बल्कि छठी सदी में गुजरात के वल्लभी नगर में अंतिम रूप से संकलित किया गया था। अतः कथन 2 सही नहीं है।
जैन ग्रंथों के अनेक ऐसे अंश हैं, जिनके आधार पर हमें महावीर कालीन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक, इतिहास के पुनर्निर्माण में सहायता प्राप्त होती है। इस ग्रंथ में व्यापार और व्यापारियों से संबंधित उल्लेख बार-बार मिलते हैं। अतः कथन 3 सही है।
Q5:
निम्नलिखित में से किस चोलकालीन रचना को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है?
A: तमिल रामायण
B: तिक्कन्ना
C: कन्नड़ काव्य
D: तिरुमुरई
उत्तर: A
स्पष्टीकरण:
चोलकालीन रचना 'तिरुमुरई' को 'पाँचवें वेद' की संज्ञा दी गई है। तिरुमुरई को बारहवीं सदी के आरंभ में संकलित किया गया था। इसे अलवार तथा नयनार संतों द्वारा रचित एक पवित्र ग्रंथ की श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाता है।