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Daily-static-mcqs 06 Jul 2024
Q1:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. भारतीय सवाना के प्रमुख घास डार्ककेथियम, सेहिमा, फ्रेगमाइट्स सैकेरम, सेंक्रम, इपरेटा तथा लसियुरस हैं। 2. एक सींग वाला गैंडा पूर्वोत्तर भारत के घास के मैदानों में पाई जाने वाली एक संवेदनशील प्रजाति है? उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
भारतीय सवाना के प्रमुख घास डार्ककेथियम, सेहिमा, फ्रेगमाइट्स सैकेरम, सेंक्रम, इपरेटा तथा लसियुरस हैं। सामान्यतः सवाना की काष्ठीय जाति उन वनों की अवशिष्ट जातियाँ हैं जिनसे सवाना की उत्पत्ति हुई है। सवाना के सामान्य वृक्ष एवं झाड़ियाँ प्रोसोपिस, जिफिस, कैपैरिस, एकोसिया, व्युटिया इत्यादि हैं। अतः कथन 1 सही है।
सूक्ष्म कीटों से लेकर विशाल स्तनधारियों तक शाकाहारियों की एक बहुत बड़ी संख्या घास के मैदानों में पाई जाती है। चूहे, हिरन, कुत्ते, भैंसे, नेवले सामान्य रूप में पाए जाने वाले जीव हैं। उत्तर-पूर्वी भारत में एक सींग वाला गैंडा उन सुभेद्ध (Vulnerable) जन्तुओं में से एक हैं जो इस क्षेत्र के घास के मैदानों में पाया जाता है। पक्षियों की भी एक बड़ी संख्या घास के मैदानों में पाई जाती हैं। अतः कथन 2 सही है।
Q2:
विश्व मरूस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस कब मनाया जाता है?
A: 17 जून
B: 22 मार्च
C: 5 जून
D: 2 अक्टूबर
उत्तर: A
स्पष्टीकरण:
मरूस्थलीयकरण की परिभाषा के अनुसार, यह जमीन के खराब होकर अनुपजाऊ हो जाने की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिविधियों समेत अन्य कई कारणों से शुष्क, अर्द्धशुष्क और निर्जल अर्द्धनम इलाकों की जमीन रेगिस्तान में बदल जाती है। वैश्विक स्तर पर मरूस्थलीय के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1995 से प्रत्येक वर्ष 17 जून को विश्व मरूस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम, दिवस मनाया जाता है। मरूस्थलीय एवं सूखा रोकथाम रियो डी जेनेरियो, पर्यावरण शिखर सम्मेलन और सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) का भी हिस्सा है। विदित हो कि वर्ष 2018 के लिए विश्व मरूस्थलीकरण एवं सूखा रोकथाम दिवस की थीम "लैण्ड हैज टू वैल्यू-इन्वेस्ट इन इट" है। अतः विकल्प (a) सही है।
Q3:
नीरी (NEERI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के प्रमुख नगरों में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? 1. औद्योगिक गतिविधियाँ 2. वाहनों का उत्सर्जन 3. कृषि संबंधी गतिविधियाँ उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: C
स्पष्टीकरण:
नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इन्जीनियरिंग शोध संस्थान (NEERI) ने वर्ष 1970 तथा 2010 में संकलित तथ्यों के आधार पर 9 प्रमुख नगरों की वायु गुणवत्ता का रिपोर्ट प्रकाशित किया। यह रिपोर्ट भारत के कुछ चुने हुए शहरों की वायु गुणवत्ता के नाम से प्रकाशित हुई। शहरों में वायु प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक इकाइयां, ऊर्जा संयंत्र और कूड़ा-करकट या फसल अवशेष का जलाया जाना आदि शामिल होते हैं। जैसे-जैसे शहरी क्षेत्र का प्रसार होता है, परिवहन साधनों में वृद्धि के साथ ऊर्जा की मांग भी बढ़ती है। अतः विकल्प (c) सही है।
Q4:
नीरी (NEERI) की रिपोर्ट के अनुसार 1970 तथा 2010 के बीच भारत के प्रमुख नगरों की वायु गुणवत्ता में क्या परिवर्तन हुआ? 1. वायु प्रदूषणकारी तत्व की मात्रा निर्धारित सीमा से लगभग दो गुनी हो चुकी है। 2. वायु प्रदूषणकारी तत्व की मात्रा निर्धारित सीमा से लगभग आधी हो चुकी है। 3. वायु प्रदूषणकारी तत्व की मात्रा निर्धारित सीमा से लगभग समान ही बनी हुई है। उपर्युक्त में से कितने कथन सही नहीं हैं?
A: केवल एक
B: केवल दो
C: सभी तीन
D: कोई भी नहीं
उत्तर: A
स्पष्टीकरण:
नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इन्जीनियरिंग शोध संस्थान (NEERI) ने वर्ष 1970 तथा 2010 में संकलित तथ्यों के आधार पर 9 प्रमुख नगरों की वायु गुणवत्ता का रिपोर्ट प्रकाशित किया। यह रिपोर्ट भारत के कुछ चुने हुए शहरों की वायु गुणवत्ता (Air Quality in Selected Cities in India) के नाम से प्रकाशित हुई। नीरी (NEERI) के रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि नगरों में वायु प्रदूषणकारी तत्व की मात्रा निर्धारित सीमा से लगभग दो गुनी हो चुकी है। यह स्थिति वर्तमान रिपोर्ट में भयावह बनी हुई है। अतः विकल्प (a) सही है।
Q5:
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: 1. प्राकृतिक वातावरण में मौजूद ठोस कण के रूप में धूल का प्रभाव फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित नहीं करता है । 2. धूल की अधिकता केवल हृदय को भी प्रभावित करती है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A: केवल 1
B: केवल 2
C: 1 और 2 दोनों
D: न तो 1 और न ही 2
उत्तर: D
स्पष्टीकरण:
प्राकृतिक वातावरण में ठोस कण के रूप में धूल की उपस्थिति होती है। यह घातक प्रदूषण है। आवागमन और कार्यस्थलों पर हमें धूल का सामना करना पड़ता है, जिसमें विद्यमान घातक प्रदूषक जहाँ हमारे श्वसन तंत्र को दुष्प्रभावित करते हैं, वहीं ये फेफड़ों की कार्यक्षमता को भी घटा देते हैं। इससे व्यक्ति की साँस फूलने लगती है और स्थिति बिगड़ने पर उसकी जान तक जा सकती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
धूल की अधिकता हृदय को भी प्रभावित करती है। धूल के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव इस बात पर निर्भर करते हैं कि वायु में धूल की सांद्रता कितनी है, धूल के प्रभाव की अवधि क्या है, धूल के कण कितने बारीक हैं तथा इनके रासायनिक घटक क्या हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।