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Blog / 22 Apr 2025

विश्व कर्ल्यू दिवस और कर्ल्यू संरक्षण

संदर्भ:

हाल ही में 21 अप्रैल 2025 को विश्व कर्ल्यू दिवस मनाया गया। यह दिन कर्ल्यू पक्षियों की तेजी से घटती संख्या के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस पहल की शुरुआत 2017 में मैरी कॉलवेल (पर्यावरण कार्यकर्ता) ने की थी। यह एक वैश्विक समुदाय-आधारित अभियान है, जो लोगों को इन अद्भुत और अनोखी पक्षी प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है। कर्ल्यू पक्षियों को जिन प्रमुख खतरों का सामना करना पड़ रहा है, उनमें मानवजनित गतिविधियाँ जैसे प्राकृतिक आवासों का विनाश, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण प्रमुख हैं।

World Curlew Day - Galloway and Southern Ayrshire Biosphere

कर्ल्यू पक्षियों का महत्व:

कर्ल्यू पक्षियों की कुल 8 ज्ञात प्रजातियाँ हैं, जिनमें एस्किमो कर्ल्यू और स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू के विलुप्त या लगभग विलुप्त होने की आशंका जताई गई है। ये पक्षी मुख्यतः वेटलैंड यानी दलदली क्षेत्रों में पाए जाते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र में इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इनकी लंबी और अत्यधिक संवेदनशील चोंच ज़मीन के भीतर छिपे शिकार को पहचानने और निकालने में सक्षम होती है, जो इन्हें पारिस्थितिक दृष्टि से विशेष बनाती है। जैव विविधता को बनाए रखने में इनका विशेष योगदान है। IUCN की रेड लिस्ट के अनुसार, कर्ल्यू की अधिकांश प्रजातियाँ संकटग्रस्त श्रेणी में आती हैं।

मुख्य खतरे:

कर्ल्यू पक्षियों, विशेष रूप से स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू (Numenius tenuirostris) की संख्या में आई भारी गिरावट के पीछे कई गंभीर कारण हैं:

         जलवायु परिवर्तनसाइबेरिया स्थित इनके प्रजनन स्थल तेजी से सूखते जा रहे हैं।

         प्राकृतिक आवास का क्षरणभूमध्यसागर क्षेत्र के वेटलैंड लगातार नष्ट हो रहे हैं।

         प्रदूषणभोजन प्राप्त करने वाले क्षेत्र प्रदूषित हो गए हैं, जिससे इनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

         प्रवासन के दौरान जोखिमसुरक्षित विश्राम स्थलों की कमी और शिकार की घटनाएँ इनकी प्रवासी यात्रा को बेहद खतरनाक बना देती हैं।

पहले मोरक्को जैसे देशो में ये पक्षी बड़ी संख्या में देखे जाते थे, परन्तु वहाँ अब इनकी उपस्थिति लगभग समाप्त हो चुकी है। वर्ष 1995 के बाद से स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू का कोई विश्वसनीय प्रजनन रिकॉर्ड या पुष्टि की गई sighting सामने नहीं आई है।

कर्ल्यू पक्षियों की विशेषताएँ:

         कर्ल्यू पक्षियों की चोंच लंबी और अर्धचंद्राकार होती है, इसी विशेषता के आधार पर इनके वंश का नाम Numenius रखा गया है, जिसका अर्थ होता है "नया चाँद"

         इनकी चोंच अत्यधिक संवेदनशील होती है, जो इन्हें मिट्टी के भीतर छिपे कीड़ों और अन्य छोटे जीवों को पहचानने और पकड़ने में सक्षम बनाती है।

         चूंकि ये अपनी जीभ से चोंच के सिरे तक नहीं पहुँच पाते, इसलिए ये भोजन को हवा में उछालकर पकड़ते हैं और निगलते हैं।

स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू के बारे में:

स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू एक दुर्लभ प्रवासी पक्षी था, जो कभी साइबेरिया से लेकर भूमध्यसागर तक के क्षेत्रों में व्यापक रूप से पाया जाता था। इसे आखिरी बार वर्ष 1995 में देखा गया था और अब इसे लगभग विलुप्त माना जाता है। इसकी तेज़ी से घटती संख्या के पीछे प्रमुख कारण “प्राकृतिक आवास का विनाश, अत्यधिक शिकार और जलवायु परिवर्तन” हैं। यह पक्षी यूरोप, उत्तर अफ्रीका और पश्चिमी एशिया से विलुप्त होने वाला पहला ज्ञात पक्षी माना जाता है, जो जैव विविधता के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है।

निष्कर्ष:

कर्ल्यू पक्षियों का संरक्षण केवल इन पक्षियों की रक्षा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा का प्रतीक है। इन पक्षियों की सुरक्षा वैश्विक स्तर पर संरक्षण की भावना को मजबूत कर सकती है और जैव विविधता को बनाए रखने में मदद कर सकती है। स्लेंडर-बिल्ड कर्ल्यू का विलुप्त होना हमें यह महत्वपूर्ण संदेश देता है कि एक प्रजाति की रक्षा करने से केवल उस प्रजाति, बल्कि असंख्य अन्य प्रजातियों और हमारे पूरे जीवन तंत्र की भी रक्षा होती है।