संदर्भ: हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से संयुक्त राज्य अमेरिका की वापसी के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह निर्णय इस एजेंसी में 'अमेरिका विरोधी पूर्वाग्रह' को लेकर उठाई गई चिंताओं के आधार पर लिया गया था।
संयुक्त राज्य अमेरिका की वापसी के प्रभाव:
· प्रभाव में कमी: संयुक्त राज्य अमेरिका की वापसी से परिषद में मानवाधिकारों पर होने वाली चर्चाओं और निर्णयों पर इसका प्रभाव कम हो जाएगा, जिससे इसकी प्रभावशीलता में कमी आएगी।
· सख्त निगरानी में कमी: सक्रिय अमेरिकी भागीदारी के बिना, अन्य सदस्य देशों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों पर निगरानी में कमी हो सकती है।
· आइसोलेशनवादी प्रवृत्तियाँ: यह कदम आइसोलेशनवाद की ओर संकेत करता है, जो वैश्विक शासन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में अमेरिका की भूमिका को सीमित कर सकता है।
· मित्र देशों पर प्रभाव: इस वापसी को सहयोगी देशों द्वारा बहुपक्षीय प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने के रूप में देखा जा सकता है, जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सामूहिक प्रयासों पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
· वैश्विक मानदंडों पर प्रभाव: संयुक्त राज्य अमेरिका का इन संगठनों से बाहर जाना अन्य देशों को अंतर्राष्ट्रीय समझौतों पर प्रश्न उठाने या उनसे पीछे हटने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे वैश्विक मानदंडों और मानकों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के बारे में:
· स्थापना: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) की स्थापना 15 मार्च 2006 को की गई थी, जिसने मानवाधिकार आयोग की जगह ली।
· सदस्यता: इसमें 47 सदस्य होते हैं, जिन्हें तीन वर्षों के लिए क्षेत्रीय समूहों के आधार पर चुना जाता है। सदस्य एक कार्यकाल पूरा करने के बाद पुनः चुनाव के लिए योग्य नहीं होते।
· कार्य:
o UN सदस्य देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करना।
o महत्वपूर्ण विषयों पर ध्यान देना, जिनमें शामिल हैं:
§ व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सभा का अधिकार: व्यक्तियों के अपने विचार व्यक्त करने और शांतिपूर्वक सभा करने के अधिकार की रक्षा करना।
§ महिलाओं और LGBTI अधिकार: महिलाओं और LGBTI व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा और समानता को बढ़ावा देना।
§ जातीय और नस्लीय अल्पसंख्यकों के अधिकार: जातीय और नस्लीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना।
संयुक्त राज्य अमेरिका की UNHRC से वापसी वैश्विक मानवाधिकार मुद्दों पर इसके प्रभाव को सीमित कर देती है और अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव से पीछे हटने का संकेत देती है, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव वैश्विक सहयोग और मानवाधिकार मानकों पर पड़ सकता है।