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Blog / 20 Feb 2025

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी

संदर्भ: हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही के लिए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) जारी किया। यह सर्वेक्षण शहरी बेरोज़गारी दर, श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate - LFPR) तथा विभिन्न रोज़गार श्रेणियों और क्षेत्रों में कार्यबल के वितरण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।

शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी दर:

अक्टूबर-दिसंबर 2024 तिमाही के दौरान शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए कुल बेरोज़गारी दर 6.4% रही। इसमें पुरुषों की बेरोज़गारी दर 5.8% रही, जबकि महिलाओं की बेरोज़गारी दर 8.1% दर्ज की गई।

• 2023 की इसी तिमाही की तुलना में, कुल बेरोज़गारी दर (6.5%) से मामूली सुधार देखा गया। इसी अवधि में, महिला बेरोज़गारी दर भी पिछले वर्ष के 8.6% से घटकर 8.1% हो गई।

पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर 2024) की तुलना में, कुल बेरोज़गारी दर 6.4% पर स्थिर बनी रही।

राज्यवार बेरोज़गारी के रुझान:

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज़्यादा शहरी बेरोज़गारी दर 10.4% दर्ज की गई।

गुजरात में सबसे कम बेरोज़गारी दर 3.0% थी।

महिलाओं में, हिमाचल प्रदेश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर 24% थी, जबकि दिल्ली में सबसे कम 1.3% दर्ज की गई।

शहरी क्षेत्रों में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR):

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), जो श्रम बल में सक्रिय रूप से शामिल आबादी के अनुपात को दर्शाता है, सभी आयु समूहों के लिए 39.6% थी - पिछले वर्ष इसी तिमाही में 39.2% से वृद्धि हुई।

महिलाओं के लिए LFPR में 0.1 प्रतिशत अंकों की मामूली वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष की तिमाही की तुलना में 19.9% ​​से बढ़कर 20% हो गई, हालाँकि यह पिछली तिमाही के 20.3% से थोड़ी कम हुई।

बिहार में सबसे कम LFPR दर्ज की गई, जिसमें कुल मिलाकर 30.7% और महिलाओं के लिए 9.9% थी।

शहरी क्षेत्रों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR):

15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 46.6% से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर 2024 में 47.2% हो गया।

शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों के लिए श्रमिक आबादी अनुपात अक्टूबर-दिसंबर, 2023 में 69.8 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर, 2024 के दौरान 70.9 प्रतिशत हो गया

रोजगार श्रेणियाँ:

       श्रमिकों को तीन व्यापक रोजगार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया:

• 39.9% स्व-नियोजित श्रमिक, नियोक्ता और घरेलू उद्यमों में अवैतनिक सहायक शामिल थे।

49.4% नियमित कर्मचारी थे, अर्थात वेतनभोगी/मजदूरी पाने वाले कर्मचारी।

10.7% आकस्मिक मजदूर थे, जो अस्थायी या अनियमित काम में लगे थे।

क्षेत्रवार कार्यबल वितरण:

       5.5% श्रमिक कृषि क्षेत्र में लगे थे।

       31.8% लोग द्वितीयक क्षेत्र में कार्यरत थे, जिसमें विनिर्माण, खनन और निर्माण शामिल हैं।

       62.7% कर्मचारी तृतीयक क्षेत्र में कार्यरत थे, जिसमें सेवाएँ, व्यापार, परिवहन, वित्त और अन्य पेशेवर गतिविधियाँ शामिल हैं।

 

निष्कर्ष:

रिपोर्ट शहरी रोजगार में हुई प्रगति और विद्यमान चुनौतियों दोनों को उजागर करती है। हालांकि, कुल बेरोज़गारी दर में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन लैंगिक असमानताएँ अभी भी स्पष्ट हैं, क्योंकि महिला बेरोज़गारी दर पुरुषों की तुलना में काफी अधिक बनी हुई है। इसके अतिरिक्त, राज्यवार भिन्नताएँ यह दर्शाती हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।