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Blog / 19 Feb 2025

आठवां हिंद महासागर सम्मेलन (आईओसी)

सन्दर्भ : हाल ही में भारत के  विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मस्कट, ओमान में आयोजित आठवें हिंद महासागर सम्मेलन (IOC) को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की।

यह सम्मेलन भारत, सिंगापुर और ओमान की साझेदारी में आयोजित किया गया, जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र के रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

संबोधित मुद्दे:

1. भू-राजनीतिक अस्थिरता: विदेश मंत्री ने पश्चिम एशिया और हिंद-प्रशांत दोनों में अस्थिरता पर प्रकाश डाला। पश्चिम एशिया में संघर्षों और हिंद-प्रशांत में बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक शिपिंग में व्यवधान पर जोर दिया गया, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान करने और यथास्थिति में एकतरफा बदलाव से बचने का आह्वान किया गया।

2. समझौतों का पालन: उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए राष्ट्रों द्वारा समझौतों का पालन करने और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया।

3. तटीय राज्यों के लिए चुनौतियाँ: हिंद महासागर में द्वीप राष्ट्रों द्वारा सामना की जाने वाली संसाधन बाधाओं, ऋण बोझ और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की चुनौतियों का मुद्दा उठाया गया। ये जटिलताएँ अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (ईईजेड) की निगरानी और अवैध गतिविधियों को रोकने के प्रयासों को प्रभावित करती हैं।

4. कनेक्टिविटी का पुनर्निर्माण: औपनिवेशिक व्यवधानों के बाद पुनर्निर्माण और क्षेत्र के सभी देशों के लिए समान लाभ सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी और समावेशी कनेक्टिविटी पहलों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

5. सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अवैध तस्करी, आतंकवाद और हिंद महासागर में मछली पकड़ने के हितों की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गईं। इन महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया गया।

हिंद महासागर का महत्व:

सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत जुड़ाव-

·        भू-राजनीतिक "इंडो-पैसिफिक" के विपरीत, हिंद महासागर एक अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं। यह 26 देशों के तटों तक फैला हुआ है और नेपाल भूटान जैसे भूमिबद्ध (landlocked) देशों के लिए जीवनरेखा  का कार्य करता है, जिससे वे वैश्विक व्यापार से जुड़े रहते हैं।

आर्थिक महत्व-

·        हिंद महासागर एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग है, जो दुनिया के 70% कंटेनर यातायात को संभालता है। यह भारत के 80% बाहरी व्यापार और 90% ऊर्जा व्यापार को सुगम बनाता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक आर्थिक केंद्र बन जाता है।

सामरिक महत्व-

·        हिंद महासागर का सामरिक महत्व भी है, क्योंकि यहां सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसी वैश्विक शक्तियां इस क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं, और चीन अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से निवेश कर रहा है।

भारत द्वारा समुद्री प्रभाव को बढ़ाने के लिए उठाए गए कदम :

·        2015 में, भारत ने अपने समुद्री प्रभाव को बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पहल शुरू की।

प्रमुख चिंताएँ-

·        भारत को इस क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें समुद्री डकैती, आतंकवाद, अवैध मछली पकड़ना और मानव तस्करी शामिल हैं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, समुद्र स्तर में वृद्धि और समुद्री संचार नेटवर्क में हुवावे जैसी चीनी कंपनियों के प्रभाव जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

क्षेत्रीय समुद्री नेतृत्व का आह्वान-

·        अल्फ्रेड सिद्धांत के अनुसार, हिंद महासागर पर नियंत्रण सीधे वैश्विक प्रभाव के बराबर है। आईओसी (Indian Ocean Conference) क्षेत्रीय नेताओं के लिए इस "शांति के क्षेत्र" के हितों की रक्षा करने के लिए एक आवश्यक मंच के रूप में कार्य करता है।