संदर्भ:
हाल ही में अन्ना विश्वविद्यालय के जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन केंद्र (CCCDM) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार तमिलनाडु के मैंग्रोव वनों में 8.73 लाख टन कार्बन का भंडार है। यह उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक अमूल्य संपत्ति बनाता है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
● जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन केंद्र (Centre for Climate Change and Disaster Management - CCCDM) के अध्ययन के अनुसार, तमिलनाडु में मैंग्रोव क्षेत्र 2021 में 4,500 हेक्टेयर से बढ़कर 2024 तक 9,039 हेक्टेयर हो गया है, जो एक उल्लेखनीय वृद्धि है।
● इस विस्तार का प्रमुख कारण प्राकृतिक पुनर्जनन और संगठित वनीकरण प्रयास हैं। विशेष रूप से, पिछले दशक में बढ़े कुल मैंग्रोव क्षेत्र का 40.1% हिस्सा नए वृक्षारोपण से जुड़ा है, जो राज्य की सतत वनीकरण नीतियों और संरक्षण रणनीतियों की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
मैंग्रोव:
● मैंग्रोव एक विशिष्ट वृक्ष प्रजाति है, जो ज्वारीय खारे पर्यावरण (Tidal Saline Environment) में विकसित होती है, विशेष रूप से नदियों के मुहाने और तटीय डेल्टाओं के किनारे। ये वृक्ष आवर्ती बाढ़, उच्च लवणता और कठोर तटीय परिस्थितियों के प्रति उच्च अनुकूलन क्षमता प्रदर्शित करते हैं।
● मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र न केवल तटीय स्थिरता और जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration) के माध्यम से जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण में भी योगदान देते हैं।
मैंग्रोव की विशेषताएँ :
● लवण सहिष्णु वन : मैंग्रोव पेड़ खारे पानी (Saltwater) में जीवित रहने के लिए अनुकूलित होते हैं और अधिक लवणता को सहन कर सकते हैं।
● लवण निष्कासन तंत्र: ये वृक्ष अतिरिक्त लवण को पत्तियों से बाहर निकालते हैं या इसे जड़ों में जमा कर लेते हैं, जिससे वे ज्यादा नमक की मात्रा से होने वाले नुकसान से बचते हैं।
● अनुकूलित जड़ प्रणाली: मैंग्रोव में न्यूमेटोफोर (Pneumatophores) या हवाई जड़ें होती हैं, जो पानी के ऊपर ऑक्सीजन ग्रहण करने में सक्षम होती हैं। यह अनुकूलन उच्च ज्वार के दौरान भी पेड़ों को जीवित रहने में सहायता करता है।
● तापमान प्रतिरोधी: इन पेड़ों ने उच्च तापमान के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है, जिससे चुनौतीपूर्ण तटीय वातावरण में उनके जीवित रहने में सहायता मिलती है।
● प्राकृतिक प्रजनन प्रणाली: इन पेड़ों के बीज मूल पेड़ पर ही अंकुरित हो जाते हैं और जब वे पानी में गिरते हैं, तो वहीं जल्दी नए पौधों के रूप में विकसित हो जाते हैं। इससे मैंग्रोव वनों का विस्तार तेज़ी से होता है
मैंग्रोव का महत्व:
● जैव विविधता हॉटस्पॉट (Biodiversity Hotspot): मैंग्रोव मछलियों, सरीसृपों (जैसे समुद्री कछुए, मगरमच्छ), और अकशेरुकी जीवों (जैसे केकड़े, घोंघे, सीप) के लिए महत्वपूर्ण आश्रय स्थल हैं।
● तटीय संरक्षण (Coastal Protection):इनकी घनी जड़ प्रणाली तलछट को फँसाती (Trap Sediments) है और तटरेखा को स्थिर करती है। ये प्राकृतिक अवरोध के रूप में कार्य करते हैं, जो चक्रवातों, तूफानों, और समुद्री जल स्तर वृद्धि से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
● पोषक चक्रण (Nutrient Cycling):मैंग्रोव पानी को छानने और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करते हैं।
● प्रजनन स्थल :ये समुद्री प्रजातियों के लिए नर्सरी (Nurseries for Marine Species) का कार्य करते हैं और युवा मछलियों व अन्य जलीय जीवों को आश्रय और भोजन प्रदान करते हैं।
● कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration): मैंग्रोव वन एक महत्वपूर्ण कार्बन सिंक हैं, जो वायुमंडल से बड़ी मात्रा में CO₂ अवशोषित कर इसे बायोमास और मिट्टी में संग्रहीत करते हैं। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।