सन्दर्भ : हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आपराधिक न्याय प्रणाली में गंभीर खामियों का उल्लेख करते हुए, पत्नी और 12 वर्षीय बेटी की हत्या के दोषी व्यक्ति को दी गई मृत्युदंड की सजा को निरस्त कर दिया। साथ ही अदालत ने इस निर्णय में निष्पक्ष सुनवाई (Fair Trial) और उचित प्रक्रिया (Due Process) के सिद्धांतों को विशेष रूप से रेखांकित किया, विशेषकर आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित व्यक्तियों के संदर्भ में।
मृत्यु दंड को रद्द करने के कारण:
1. कानूनी प्रतिनिधित्व का अभाव : अभियुक्त को मुकदमे के महत्वपूर्ण चरणों में पर्याप्त कानूनी सहायता नहीं मिली। उचित कानूनी बचाव (adequate legal defense)का अभाव ही मुख्य कारणों में से एक था जिसके कारण न्यायालय ने मुकदमे को अनुचित पाया।
2. प्रक्रियागत कमियाँ : न्यायालय ने पाया कि मुकदमे के संचालन में गंभीर खामियाँ थीं, जिनमें अभियुक्त को उचित कानूनी सलाह न दिया जाना भी शामिल था। इससे न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हुई।
3. कमजोर समूहों द्वारा सामना किए जाने वाले नुकसान : न्यायालय ने माना कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण साबित होती है। इस मामले में, अभियुक्त को अपनी कमजोर सामाजिक स्थिति के कारण अतिरिक्त कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ा।
4. मृत्युदंड और अपराध की निश्चितता : पीठ ने मृत्युदंड के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मृत्युदंड, सजा का सबसे कठोर रूप है, इसे तभी लगाया जाना चाहिए जब अभियुक्त के अपराध के बारे में पूर्ण निश्चितता हो। इस मामले में, न्यायालय ने पाया कि ऐसी निश्चितता का अभाव था।
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली:
भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) का उद्देश्य अपराध को रोकना, अपराधियों को दंडित करना, पीड़ितों को न्याय दिलाना और समाज में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना है। यह प्रणाली पुलिस, न्यायपालिका और सुधारात्मक तंत्र से मिलकर बनी है।
मुख्य घटक:
1. पुलिस
- यह आपराधिक न्याय प्रणाली का पहला स्तंभ है।
- अपराध की सूचना प्राप्त करना, जांच करना, अपराधियों को गिरफ्तार करना और अदालत में अभियोजन पक्ष को साक्ष्य उपलब्ध कराना इसकी मुख्य जिम्मेदारियां हैं।
2. न्यायपालिका
- न्यायपालिका का कार्य अपराधों की निष्पक्ष सुनवाई करना और दोषियों को सजा सुनाना है।
- यह संविधान और दंड संहिता के अनुसार न्यायिक प्रक्रिया को संचालित करती है।
- इसमें उच्चतम न्यायालय (Supreme Court), उच्च न्यायालय (High Court) और अधीनस्थ न्यायालय (Lower Courts) शामिल हैं।
3. सुधारात्मक प्रणाली (Correctional System)
- इसका उद्देश्य दोषियों का पुनर्वास करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है।
- इसमें जेल प्रणाली, प्रोबेशन, परोल और सुधारगृह शामिल हैं, जो अपराधियों को पुनः अपराध करने से रोकने के लिए बनाए गए हैं।
आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार से जुड़ी प्रमुख समितियाँ:
1. वोहरा समिति, 1993
प्रमुख सिफारिशें:
o विभिन्न एजेंसियों द्वारा एकत्रित खुफिया सूचनाओं का विश्लेषण और साझा करने के लिए एक समर्पित संस्था (Dedicated Agency) की स्थापना।
o आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार कर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करना।
2. मलिमथ समिति, 2003
- प्रमुख सिफारिशें:
- न्यायिक अधिकारियों एवं जांच एजेंसियों को अधिक संसाधन और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना।
- अभियोजन (Prosecution) और पुलिस व्यवस्था को अधिक कुशल बनाने हेतु अभियोजन एजेंसियों को अधिक स्वायत्तता देना।