संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने 100 गीगावॉट (GW) से अधिक स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता प्राप्त की, जिससे भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को और सुदृढ़ किया है। यह उपलब्धि न केवल देश के महत्वाकांक्षी ऊर्जा लक्ष्यों का प्रतीक है, बल्कि 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
सौर ऊर्जा में वृद्धि:
· भारत का सौर क्षेत्र पिछले दशक में अभूतपूर्व वृद्धि देख चुका है। 2014 में केवल 2.82 GW की मामूली स्थापित सौर क्षमता से बढ़कर 31 जनवरी 2025 तक यह 100.33 GW तक पहुँच चुकी है, जो 3,450% की आश्चर्यजनक वृद्धि को दर्शाता है।
· वर्तमान में, 84.10 GW सौर परियोजनाएँ क्रियान्वयन के तहत हैं और अतिरिक्त 47.49 GW निविदा चरण में हैं, जो क्षेत्र की तेजी से बढ़ती गति को दर्शाता है।
· हाइब्रिड और राउंड-द-क्लॉक (RTC) नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ भी तेजी से प्रगति कर रही हैं, जिनमें 64.67 GW विकासाधीन हैं। इससे सौर और हाइब्रिड परियोजनाओं का संयुक्त कुल 296.59 GW हो जाता है।
· अब तक, सौर ऊर्जा भारत की कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का 47% योगदान करती है, जो इसे देश की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि का प्रमुख घटक बनाता है। राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य इस वृद्धि में अग्रणी रहे हैं, जो भारत की कुल उपयोगिता-स्तरीय सौर क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
· रूफटॉप सौर क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें 2024 में 4.59 GW नई क्षमता स्थापित की गई, जो 2023 से 53% की वृद्धि दर्शाता है। इस प्रगति का मुख्य चालक पीएम सूर्या घर मुफ्त बिजली योजना है, जो 2024 में शुरू की गई थी और जिसका उद्देश्य भारत के घरों में रूफटॉप सौर इंस्टॉलेशन को और सुलभ बनाना है।
सौर विनिर्माण में वृद्धि:
भारत ने सौर निर्माण में भी शानदार प्रगति की है, जो इसकी नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं का एक अहम हिस्सा है। 2014 में देश में केवल 2 GW की सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता थी। 2024 तक, यह क्षमता बढ़कर 60 GW हो गई है, जिससे भारत सौर निर्माण में वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करता है। निरंतर नीति समर्थन के साथ, भारत 2030 तक सौर मॉड्यूल उत्पादन क्षमता को 100 GW तक पहुँचाने का लक्ष्य रखता है, जिससे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में अपनी भूमिका को और मजबूत किया जा सके।
भारत के पंचामृत लक्ष्य:
भारत के पंचामृत लक्ष्य पांच प्रमुख उद्देश्यों का सेट हैं, जिनका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना है। ये लक्ष्य भारतीय सरकार ने 2021 में ग्लासगो में आयोजित COP26 जलवायु सम्मेलन में घोषित किए थे।
पंचामृत लक्ष्य:
· गैर-फॉसिल ईंधन क्षमता: 2030 तक 500 गीगावॉट (GW) तक गैर-फॉसिल ईंधन क्षमता बढ़ाना।
· नवीकरणीय ऊर्जा: 2030 तक ऊर्जा की 50% आवश्यकता को नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करना।
· कार्बन उत्सर्जन: 2030 तक कुल कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कमी करना।
· कार्बन तीव्रता: 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 2005 के स्तरों के मुकाबले 45% की कमी करना।
· नेट-जीरो उत्सर्जन: वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना।
निष्कर्ष:
100 GW की सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करना भारत के स्वच्छ, हरित और स्थिर ऊर्जा भविष्य के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भारत ने लक्षित नीतियों और योजनाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विस्तार करे, जिससे देशभर में लाखों लोगों को स्वच्छ, किफायती और सतत ऊर्जा उपलब्ध हो सके।
यह भारत की वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है और इसके नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में अग्रसर होने की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है। भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा स्वावलंबन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, और यह आशा व्यक्त की जा रही है कि वह इन लक्ष्यों को न केवल प्राप्त करेगा।