संदर्भ:
नेचर पत्रिका के एक हालिया अध्ययन में, अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों ने सीधे सिलिकॉन वेफर्स पर पहला लघु लेजर सफलतापूर्वक बनाया। यह सिलिकॉन फोटोनिक्स में एक बड़ा कदम है, जो सिलिकॉन चिप्स के साथ फोटोनिक (प्रकाश-आधारित) भागों को जोड़ने में लंबे समय से चली आ रही समस्या को हल करता है। यह तेज़, अधिक ऊर्जा-कुशल कंप्यूटिंग और डेटा ट्रांसफ़र का द्वार खोलता है।
सिलिकॉन चिप्स का विकास:
सिलिकॉन चिप्स ने डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्थानांतरित करके हमारे संचार करने के तरीके को बदल दिया है। अब, फोकस इलेक्ट्रॉनों से फोटोन-प्रकाश के कणों पर स्थानांतरित हो रहा है, जो कम ऊर्जा हानि के साथ तेज गति से अधिक डेटा ले जा सकते हैं। इस बदलाव ने सिलिकॉन फोटोनिक्स को जन्म दिया है, जिसका उपयोग डेटा केंद्रों, सेंसर और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी भविष्य की तकनीकों में बढ़ रहा है।
फोटोनिक चिप की संरचना:
एक सिलिकॉन फोटोनिक चिप में चार मुख्य भाग होते हैं:
• लेज़र (प्रकाश उत्पन्न करता है),
• वेवगाइड्स (प्रकाश को मार्ग देता है),
• मॉड्यूलेटर्स (प्रकाश की विशेषताओं को बदलकर डेटा को एन्कोड/डिकोड करते हैं), और
• फोटोडिटेक्टर्स (प्रकाश को विद्युत संकेतों में बदलते हैं)।
सबसे बड़ी चुनौती लेज़र को सीधे सिलिकॉन पर बनाना रहा है। सिलिकॉन प्रकाश उत्सर्जन में अच्छा नहीं होता क्योंकि उसका अप्रत्यक्ष बैंडगैप होता है। गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) जैसे अन्य तत्वों का प्रत्यक्ष बैंडगैप होता है, जिससे वे बेहतर प्रकाश उत्सर्जक होते हैं, लेकिन उनकी सिलिकॉन के साथ परमाणु संरचना मेल नहीं खाती, जिससे दोष उत्पन्न होते हैं और प्रदर्शन घटता है।
वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को कैसे हल किया?
- वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि अपनाई जो मौजूदा CMOS (कॉम्प्लिमेंट्री मेटल-ऑक्साइड-सेमीकंडक्टर) चिप निर्माण तकनीक के साथ काम करती है।
- उन्होंने 300-mm सिलिकॉन वेफर में बहुत छोटे ट्रेंच (खांचे) बनाए, उन्हें सिलिकॉन डाइऑक्साइड से भरा और सबसे नीचे गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) जोड़ा। इस व्यवस्था ने दोषों को निचले हिस्से में ही रोक दिया, जिससे ऊपर अच्छे गुणवत्ता वाला गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) क्रिस्टल विकसित हो सका।
- इसके बाद उन्होंने इंडियम गैलियम आर्सेनाइड (InGaAs) जोड़ा,जो 20% इंडियम के साथ गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) का एक रूप है, जिससे प्रकाश उत्सर्जन अधिक प्रभावी हो गया। एक सुरक्षात्मक इंडियम गैलियम फॉस्फाइड (InGaP) परत जोड़ी गई और इलेक्ट्रिकल कॉन्टैक्ट्स के ज़रिए डिवाइस को पावर दी गई, जिससे फोटॉन्स (प्रकाश) उत्पन्न हुए।
प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाएँ:
वैज्ञानिकों ने एक मानक 300-mm वेफर में 300 काम करने वाले लेज़र एम्बेड किए। प्रत्येक लेज़र ने 1,020 नैनोमीटर तरंगदैर्ध्य की रोशनी उत्पन्न की, जो चिप-से-चिप संचार के लिए उपयुक्त है।
इन्हें केवल 5 मिलीएम्पीयर करंट (एक एलईडी की तरह) की ज़रूरत थी और इन्होंने लगभग 1 मिलीवॉट पावर दी। ये लेज़र कमरे के तापमान (25°C) पर 500 घंटे तक चले।
हालाँकि, 55°C से ऊपर प्रदर्शन घटने लगा, जिससे पता चलता है कि ताप प्रबंधन अभी भी एक चुनौती है—खासकर जब कुछ ऑप्टिकल चिप्स 120°C तक संभाल सकते हैं।
निष्कर्ष:
यह पहली बार है जब बड़े सिलिकॉन वेफर पर लेज़र डायोड्स को पूरी तरह से एकीकृत करने का सफल प्रदर्शन हुआ है। यह विधि विस्तार योग्य, किफायती और वर्तमान निर्माण प्रक्रियाओं के अनुरूप है। यह चिप निर्माण के तरीके को बदल सकती है और कंप्यूटिंग क्षमता को बढ़ाते हुए ऊर्जा खपत को कम कर सकती है, खासकर AI सिस्टम्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में। जैसे-जैसे फोटोनिक्स आगे बढ़ेगा, ऐसे नवाचार भविष्य की तकनीकों की ज़रूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएँगे।