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Blog / 10 Apr 2025

वरिष्ठ नागरिकों का अपने बच्चों को संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार

सन्दर्भ:

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक वरिष्ठ दंपत्ति द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने "वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007" (Senior Citizens Act) के अंतर्गत अपने बेटे को उनके घर से बेदखल करने की माँग की थी।

बेदखली से इनकार के कारण:

·        सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुत मामले में ऐसा कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि बेटे ने अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार या उपेक्षा की हो। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि हर मामले में बेदखली का आदेश देना अनिवार्य नहीं है। ऐसा आदेश तभी दिया जा सकता है जब पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हों कि वरिष्ठ नागरिक के साथ दुर्व्यवहार या उपेक्षा की गई है।

·        सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को अपने बच्चों या रिश्तेदारों से भरण-पोषण पाने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। यदि यह जिम्मेदारी निभाई नहीं जाती, तो संबंधित वरिष्ठ नागरिक "वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007" के तहत न्यायाधिकरण में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। न्यायाधिकरण परिस्थितियों और साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा कि बेदखली का आदेश उचित है या नहीं।

वरिष्ठ नागरिक अधिनियम, 2007 के बारे में:

  • इस अधिनियम का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा, देखभाल और कल्याण प्रदान करना है।
  • इसमें बच्चों को अपने माता-पिता का भरण-पोषण करने का कानूनी दायित्व दिया गया है।
  • इसके साथ ही सरकार को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह वृद्धाश्रम और वरिष्ठ नागरिकों के लिए चिकित्सा सुविधाएँ सुनिश्चित करे।
  • अधिनियम के तहत प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Tribunal) और अपीलीय न्यायाधिकरण बनाए गए हैं ताकि वरिष्ठ नागरिकों को समय पर न्याय मिल सके।

वरिष्ठ नागरिक की परिभाषा:

  • अधिनियम के अनुसार, जो व्यक्ति 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं, उन्हें वरिष्ठ नागरिक माना जाता है।

भरण-पोषण का अधिकार:

  • अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि बच्चों या उत्तराधिकारियों का यह कानूनी दायित्व है कि वे अपने बुजुर्ग माता-पिता या वरिष्ठ नागरिकों (जो स्वयं अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं) के भरण-पोषण का प्रबंध करें।
  • यदि वरिष्ठ नागरिक स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, तो वे अपने बच्चों या उत्तराधिकारियों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए भरण-पोषण न्यायाधिकरण में जा सकते हैं।

त्यागने पर सजा:

  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई बच्चा या उत्तराधिकारी जानबूझकर वरिष्ठ नागरिक को अकेला छोड़ देता है, तो यह दंडनीय अपराध है।
  • ऐसा करने पर ₹5,000 तक का जुर्माना या 3 महीने तक की जेल या दोनों हो सकते हैं।

संपत्ति और उत्तराधिकार का अधिकार:

  • वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों से भरण-पोषण के साथ-साथ संपत्ति में हिस्सा मांग सकते हैं।
  • यदि उन्हें उनकी संपत्ति या उत्तराधिकार से वंचित किया जाता है, तो वे इस अधिनियम के तहत न्याय की मांग कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला यह दिखाता है कि न्यायालय माता-पिता और बच्चों, दोनों के हितों को संतुलित करते हुए फैसला देता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि बिना पर्याप्त प्रमाण के सीधे बेदखली जैसा कठोर कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। प्रत्येक मामला उसकी परिस्थितियों के अनुसार देखा जाना चाहिए।