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Blog / 22 Mar 2025

श्रम प्रवासन से दक्षिणी राज्यों में बढ़ती मुद्रास्फीति

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा किए गए एक अध्ययन में दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में श्रम प्रवासन के कारण बढ़ती मुद्रास्फीति पर प्रकाश डाला गया है। इस अध्ययन के अनुसार, निम्न-आय वाले राज्यों से उच्च-आय वाले राज्यों में प्रवासन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि कर रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में मुद्रास्फीति और बढ़ रही है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

1. क्षेत्रीय मुद्रास्फीति प्रवृत्तियाँ:

·         अध्ययन के अनुसार दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु में भारत के अन्य क्षेत्रों की तुलना में उच्च मुद्रास्फीति दर दर्ज की गयी है। इसके विपरीत, पूर्वोत्तर और पश्चिमी राज्यों में अपेक्षाकृत कम मुद्रास्फीति देखी गई है।

2. श्रम प्रवास का प्रभाव:

·         इस मुद्रास्फीति प्रवृत्ति के पीछे प्राथमिक चालकों में से एक निम्न आय वाले राज्यों से आर्थिक रूप से समृद्ध दक्षिणी राज्यों में श्रमिकों का प्रवास है। प्रवासियों की बढ़ती संख्या आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की माँग को बढ़ाती है, जिससे कीमतें बढ़ जाती हैं।

3. उच्च क्रय शक्ति:

·         अध्ययन में यह भी बताया गया है कि दक्षिणी राज्यों में रहने वाले लोगों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में वृद्धि हुई है, जो आर्थिक विकास और प्रवासन के कारण संभव हुआ है। स्थानीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने और मजदूरी दर में वृद्धि से वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में उछाल आता है।

4. कराधान और नीति:

·         अध्ययन में कराधान को भी एक योगदान कारक के रूप में पहचाना गया है। पेट्रोल, डीज़ल, शराब और ऑटोमोबाइल और फ़्लैट के लिए पंजीकरण शुल्क जैसी वस्तुओं पर उच्च कर इन राज्यों में मुद्रास्फीति को बढ़ा रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए रोज़मर्रा की वस्तुएँ अधिक महंगी हो रही हैं।

राज्यवार मुद्रास्फीति दर

·         केरल:

फरवरी में केरल ने 7.3% की उच्चतम मुद्रास्फीति दर दर्ज की, जो राज्य में जीवन यापन की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। प्रवासी मज़दूरों पर राज्य की भारी निर्भरता ने मुद्रास्फीति के दबाव को और बढ़ा दिया है।

·         तमिलनाडु:

तमिलनाडु ने पिछले 13 वर्षों में से 9 वर्षों में राष्ट्रीय औसत से अधिक मुद्रास्फीति दर का सामना किया है। यह प्रवृत्ति राज्य में श्रम प्रवाह (Labour Influx) जैसे संरचनात्मक आर्थिक कारकों (Structural Economic Factors) के कारण बनी हुई है, जो निरंतर मुद्रास्फीति दबाव का प्रमुख कारण है।

मुद्रास्फीति क्या है?

मुद्रास्फीति का तात्पर्य क्रय शक्ति के क्रमिक ह्रास से है, जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। क्रय शक्ति में इस गिरावट का अर्थ है कि प्रत्येक मुद्रा इकाई से पहले की तुलना में कम वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदी जा सकती हैं।  मुद्रास्फीति दर की गणना एक वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं की एक चयनित टोकरी की कीमत वृद्धि के औसत से की जाती है। यह दर यह मापने में मदद करती है कि पिछले वर्ष की तुलना में कीमतों में कितनी वृद्धि हुई है।

उच्च मुद्रास्फीति: जब कीमतें तेजी से बढ़ती हैं, जिससे मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है।

कम मुद्रास्फीति: जब कीमतें धीमी गति से बढ़ती हैं, जिससे क्रय शक्ति पर अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष:

एसबीआई अध्ययन दक्षिणी राज्यों में श्रम प्रवास और मुद्रास्फीति के बीच जटिल संबंधों को रेखांकित करता है। जबकि प्रवास ने केरल और तमिलनाडु में आर्थिक विकास में योगदान दिया है, इसने बढ़ती मांग और उच्च कराधान के कारण उच्च मुद्रास्फीति को भी जन्म दिया है। नीति निर्माताओं को इन क्षेत्रों में संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए इन मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है।