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Blog / 26 Feb 2025

सरस आजीविका मेला

संदर्भ:

हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नोएडा हाट में सरस आजीविका मेला 2025 का उद्घाटन किया। 21 फरवरी से 10 मार्च, 2025 तक आयोजित होने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम पूरे भारत के ग्रामीण शिल्प कौशल और कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।

सरस आजीविका मेले के विषय में :

सरस आजीविका मेला 2025 अपने पांचवें संस्करण में "परंपरा, कला और संस्कृति" थीम के साथ आयोजित किया गया। इस बार, विशेष फोकस लखपति SHG दीदियों (स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों) की निर्यात क्षमता बढ़ाने पर किया गया है। इस मेले का आयोजन ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज (NIRDPR) के सहयोग से किया गया, जिसमें भारत की समृद्ध ग्रामीण विरासत को प्रदर्शित किया गया।

SHG की भागीदारी और उत्पाद प्रदर्शन:

     मेले में 30 राज्यों से लगभग 450 स्वयं सहायता समूह (SHG) सदस्य भाग ले रहे हैं।

    200 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें SHG सदस्य अपने उत्पादों को प्रदर्शित और बेच रहे हैं।

    प्रदर्शनी में हथकरघा, हस्तशिल्प और प्राकृतिक खाद्य उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला शामिल है।

प्रमुख आकर्षण:

1. पारंपरिक वस्त्र और शिल्पकला:

मेले में विभिन्न राज्यों की पारंपरिक शिल्पकला और वस्त्रों का प्रदर्शन हो रहा हैं , जिनमें शामिल हैं:

    आंध्र प्रदेशकलमकारी (हस्तनिर्मित पेंटिंग और वस्त्र)

    असममेखला चादर (रेशमी पारंपरिक वस्त्र)

    छत्तीसगढ़कोसा साड़ी (रेशमी साड़ी)

    उत्तराखंडपश्मीना शॉल (ऊनी वस्त्र)

2. क्षेत्रीय खाद्य विशेषताएँ:

    25 लाइव फूड स्टॉल 20 राज्यों के  व्यंजन पेश कर रहे हैं।

    इन व्यंजनों में अदरक, चाय, दाल, कॉफी जैसी क्षेत्रीय विशेषताएँ शामिल हैं।

3. निर्यात संवर्धन मंडप :

    यह आयोजन का प्रमुख आकर्षण है, जिसका उद्देश्य SHG उत्पादों की वैश्विक पहुँच का विस्तार करना है।

    इससे ग्रामीण कारीगरों और महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक अवसरों में वृद्धि होगी।

4.समावेशी व्यवस्थाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम:

    वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और माताओं के लिए विशेष सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

    विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ मेले को एक जीवंत और आकर्षक अनुभव बनाती हैं। यह मेला भारत की ग्रामीण विरासत, कला और परंपरा का सच्चा उत्सव है।

 निष्कर्ष :

सरस आजीविका मेला प्रधानमंत्री की 'वोकल फ़ॉर लोकल' पहल के साथ संरेखित है और "2047 तक विकसित भारत" के दृष्टिकोण का समर्थन करता है। ग्रामीण कारीगरों को सशक्त बनाकर और उनकी शिल्पकला को बढ़ावा देकर, यह आयोजन भारत के ग्रामीण समुदायों में समावेशी विकास और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।