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Blog / 25 Mar 2025

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के वर्गीकरण के लिए नए संशोधित मानदंड

संदर्भ:

हाल ही में भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के वर्गीकरण के लिए नए संशोधित नियम जारी किए हैं। ये नए मानदंड 1 अप्रैल से लागू होंगे और इसमें प्रत्येक श्रेणी के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा बढ़ाई गई है।

नए वर्गीकरण मानदंड क्या हैं?

संशोधित मानदंडों के तहत, एमएसएमई (MSME) को निवेश और टर्नओवर की उच्च सीमाओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। ये बदलाव उद्यमों को अधिक लचीलापन और वृद्धि के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से किए गए हैं। नए वर्गीकरण इस प्रकार हैं:

1. सूक्ष्म उद्यम:

o निवेश सीमा: 2.5 करोड़ तक (पहले 1 करोड़)

o टर्नओवर सीमा: 10 करोड़ तक (पहले 5 करोड़)

इन संशोधनों का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमों की परिभाषा का विस्तार करना है, ताकि वे अपेक्षाकृत उच्च निवेश और टर्नओवर के बावजूद इस श्रेणी में बने रह सकें। इससे छोटे उद्यमों को अधिक लचीलापन और संस्थागत समर्थन प्राप्त होगा, जिससे उनकी सतत वृद्धि, वित्तीय समावेशन और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।

2. लघु उद्यम:

  • निवेश सीमा:  25 करोड़ तक (पहले 10 करोड़)
  • टर्नओवर सीमा:  100 करोड़ तक (पहले 50 करोड़)

लघु उद्यमों के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा में की गई यह वृद्धि उनके विकास और विस्तार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई है। यह संशोधन उद्योग में नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के साथ-साथ अधिक व्यवसायों को इस श्रेणी में सम्मिलित होने में सक्षम बनाएगा।

3. मध्यम उद्यम:

 

  • निवेश सीमा: 125 करोड़ तक (पहले 50 करोड़)
  • टर्नओवर सीमा: 500 करोड़ तक (पहले 250 करोड़)

मध्यम उद्यमों के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा में की गई इस वृद्धि का उद्देश्य बड़े एमएसएमई (MSME) को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाना है। यह संशोधन उन्हें वित्तपोषण, प्रोत्साहन और नए अवसरों तक बेहतर पहुँच प्रदान करेगा, जिससे उनकी वृद्धि और विस्तार को बल मिलेगा।

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नए मानदंडो की आवश्यकता:

संशोधित मानदंडों का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के विकास को गति देना और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है। इन परिवर्तनों के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • विकास और विस्तार को प्रोत्साहित करना: संशोधित मानदंड अधिक व्यवसायों को MSME श्रेणी के अंतर्गत आने की अनुमति देते हैं, जिससे वे विभिन्न सरकारी योजनाओं, वित्तीय सहायता और संसाधनों का लाभ उठा सकें। इससे उद्यमों को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।
  •  रोजगार सृजन को बढ़ावा देना: MSME क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है। उद्यमों के विस्तार से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, जिससे आर्थिक सुधार को बल मिलेगा और सरकार की प्राथमिकतारोजगार वृद्धिको मजबूती मिलेगी।
  • वर्गीकरण को सरल बनाना:  उच्च निवेश और टर्नओवर की सीमा के साथ MSME वर्गीकरण को अधिक व्यापक और समकालीन बनाया गया है। इससे उद्यमों के आकार और कार्यक्षेत्र को बेहतर ढंग से परिभाषित करने में सहायता मिलेगी।

एमएसएमई की परिभाषा:

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small & Medium Enterprises - MSME) ऐसे उद्योग होते हैं जो उत्पादन, विनिर्माण (manufacturing), सेवा प्रदायन (service sector) और व्यापार से जुड़े होते हैं। इनकी मुख्य विशेषता सीमित पूंजी निवेश, अपेक्षाकृत कम टर्नओवर और श्रम-प्रधान संरचना होती है।

·        सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 MSME के संवर्धन और विकास के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है।

·        इस अधिनियम का उद्देश्य MSME के सतत विकास और विस्तार को सुगम बनाने के लिए एक अनुकूल नीति वातावरण, ऋण तक पहुंच और तकनीकी उन्नयन की सुविधा प्रदान करना है।

निष्कर्ष:

संशोधित मानदंडों से MSME को वित्तीय सहायता और सरकारी योजनाओं तक अधिक सुलभता मिलेगी, जिससे वे नवाचार (innovation) और संचालन के विस्तार (scalability) पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। भारत में 5 करोड़ से अधिक पंजीकृत MSME हैं, जो 20 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं और देश के विनिर्माण क्षेत्र में 36% तथा निर्यात में 45% का योगदान करते हैं। इन संशोधनों के परिणामस्वरूप MSME क्षेत्र को दीर्घकालिक स्थिरता मिलेगी और यह भारत के आर्थिक सुधार और समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।