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Blog / 22 Feb 2025

लघु खनिजों के वर्गीकरण में बदलाव

संदर्भ:

हाल ही में खान मंत्रालय ने बैराइट्स, फेल्सपार, अभ्रक और क्वार्ट्ज को लघु खनिजों से प्रमुख खनिजों में पुनर्वर्गीकृत किया है। यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के अनुरूप है। इस मिशन का लक्ष्य भारत में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, खनन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है, साथ ही इन खनिजों की मौजूदा खदानों से अधिकतम दोहन सुनिश्चित करना है।

पुनर्वर्गीकरण का कारण:

यह खनिज ऊर्जा संक्रमण, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य सेवा और अंतरिक्ष उद्योग जैसे उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये खनिज प्रायः लिथियम, बेरिलियम और टैंटलम जैसे रणनीतिक खनिजों के साथ पाए जाते हैं। जिन्हें अब तक सीमित रूप से ही निकाला गया या लघु खनिज श्रेणी के अंतर्गत रखा जाता था।  पुनर्वर्गीकरण का उद्देश्य इन महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता और उपयोग को बढ़ाना, वैज्ञानिक अन्वेषण को बढ़ावा देना और खनन दक्षता को बढ़ाना है।

पुनर्वर्गीकृत खनिजों के प्रमुख अनुप्रयोग:

·        बैराइट्स: तेल और गैस ड्रिलिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा विकिरण परीक्षण और एक्स-रे में उपयोगी।

·        फेल्सपार: कांच, सिरेमिक और निर्माण सामग्री के उत्पादन में उपयोगी।

·        अभ्रक अयस्क: इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य प्रसाधनों और विद्युत उपकरणों में इन्सुलेशन सामग्री के रूप में महत्वपूर्ण।

·        क्वार्ट्ज: कांच, सिरेमिक और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में व्यापक रूप से प्रयुक्त, साथ ही लिथियम और टिन जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का प्रमुख स्रोत।

पट्टों पर प्रभाव (Impact on Leases):

सुचारू रूप से विनियामक बदलाव सुनिश्चित करने के लिए चार महीने की संक्रमण अवधि (जून 2025 तक) लागू की गई है। इस दौरान मौजूदा पट्टे बिना किसी बाधा के जारी रहेंगे, जबकि प्रमुख खनिजों के विनियमन में क्रमिक परिवर्तन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, खनिज और खदानें (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) के तहत, पट्टों की अवधि अनुदान की तिथि से 50 वर्ष तक या किसी भी नवीनीकरण अवधि के पूरा होने तक बढ़ाई जाएगी।

भारत में खनिजों का वर्गीकरण:

खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) के तहत खनिजों का वर्गीकरण विनियमन, लाइसेंसिंग और रॉयल्टी शुल्क निर्धारित करता है:

प्रमुख खनिज: एमएमडीआर अधिनियम की पहली अनुसूची में सूचीबद्ध, इन खनिजों का उच्च आर्थिक और रणनीतिक महत्व है। उदाहरण: कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट, मैंगनीज अयस्क, तांबा अयस्क, सोना, यूरेनियम।

गौण खनिज: पहली अनुसूची में सूचीबद्ध नहीं होने के कारण, ये खनिज कम मूल्यवान होते हैं और राज्य स्तर द्वारा प्रबंधित होते हैं। उदाहरण: चूना पत्थर, बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, बजरी, रेत, साधारण मिट्टी, इमारती पत्थर।

प्रमुख खनिजों पर सरकार की सख्त निगरानी होती है, गौण खनिजों पर राज्य स्तर के नियमन लागू होते हैं, जिनमें अधिक उदार निष्कर्षण प्रक्रियाएँ होती हैं।

आगे की राह:

बैराइट्स, फेल्सपार, मीका और क्वार्ट्ज का प्रमुख खनिजों के रूप में पुनर्वर्गीकरण टिकाऊ और कुशल खनन की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परिवर्तन को दर्शाता है। यह कदम महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षा, औद्योगिक विकास को सुदृढ़ करने और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करने में सहायक होगा। हालाँकि, इस बदलाव को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए व्यापक योजना और सावधानीपूर्वक रणनीति की आवश्यकता होगी। यह क़दम भारत खनन और औद्योगिक विकास में व्यापक संभावनाएँ प्रस्तुत करता है।