संदर्भ:
हाल ही में मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद, नई सरकार के गठन में विफलता के कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का निर्णय लिया।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
- शासन व्यवस्था: राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसमें मुख्य सचिव सहायता करेंगे।
- विधानसभा की स्थिति : राज्य की विधान सभा को निलंबित किया जा सकता है या भंग किया जा सकता है।
- अध्यादेश लागू करने का शक्ति : जब संसद सत्र में नहीं होती है, तब राष्ट्रपति को राज्य प्रशासन से संबंधित अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त होता है।
संवैधानिक पहलू:
राष्ट्रपति शासन के बारे में:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है, जब किसी राज्य सरकार को संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ पाया जाता है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार राज्य का प्रत्यक्ष नियंत्रण अपने हाथ में ले लेती है, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद को पद से हटा दिया जाता है और राज्य विधानमंडल को या तो निलंबित किया जाता है या भंग कर दिया जाता है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की शर्तें:
· शासन व्यवस्था में अस्थिरता: जब किसी राज्य में गठबंधन सरकार टूट जाती है और कोई भी दल या गठबंधन नया सरकार बनाने में सक्षम नहीं होता है।
· संवैधानिक नियमों का उल्लंघन: जब राज्यपाल अपनी रिपोर्ट में यह उल्लेख करता है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है और राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।
· चुनावों की अनिश्चितता: जब युद्ध, प्राकृतिक आपदा, या महामारी जैसी असाधारण परिस्थितियों के कारण चुनाव स्थगित करने की आवश्यकता हो।
आलोचना और सुझाव
- दुरुपयोग को लेकर चिंता: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अनुच्छेद 356 का उपयोग संघीय ढांचे को प्रभावित करने के लिए किया गया है।
- सिफारिशें:
o सरकारिया आयोग (1983) ने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति शासन को केवल अंतिम उपाय के रूप में ही लागू किया जाना चाहिए, जब सभी अन्य विकल्प समाप्त हो चुके हों।
o एस. आर. बोम्मई मामला (1994): राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए सख्त दिशानिर्देश बनाए गए।
राष्ट्रपति शासन के प्रमुख उदाहरण
- जम्मू और कश्मीर: वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
- मणिपुर में अब तक 11 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है, जो कि किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है।
- छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अब तक राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया गया है।
मणिपुर में जातीय हिंसा:
मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा राज्य की अस्थिरता का एक प्रमुख कारण रही है। यह संघर्ष मुख्य रूप से बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी-जो समुदाय के बीच हुआ।
इस तनाव की शुरुआत मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद हुई, जिसमें मैतेई समुदाय को कुछ विशेषाधिकार देने की सिफारिश की गई थी। इस निर्णय से दोनों समुदायों के बीच असंतोष बढ़ गया, क्योंकि मैतेई समुदाय मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में निवास करता है, जबकि कुकी-जो समुदाय पहाड़ी इलाकों में रहता है।
इस संघर्ष के परिणामस्वरूप राज्य में आगजनी, तोड़फोड़ और अन्य गंभीर अपराधों की घटनाएं बढ़ गईं, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
निष्कर्ष:
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का लागू होना राज्य में प्रशासनिक विफलता और निरंतर जारी अशांति को दर्शाता है। स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है और शांति एवं स्थिरता बहाल करने के लिए समस्त हितधारको के द्वारा व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।