सन्दर्भ:
हाल ही में असम के गरभंगा रिज़र्व फॉरेस्ट में मेंढक की एक नई प्रजाति लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम (Leptobrachium aryatium) की पहचान की गई है। यह प्रजाति मेगोफ्रीडे (Megophryidae) परिवार से संबंधित है जो अपनी अनोखी बनावट व पर्यावरणीय महत्व के कारण चर्चा में है।
लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम के बारे में:
• नामकरण: लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम को वर्ष 2025 में पुरकायस्थ और उनके साथियों द्वारा नई प्रजाति के रूप में औपचारिक रूप से वर्णित किया गया। इसका नाम " आर्याटियम ", गुवाहाटी स्थित आर्य विद्यापीठ कॉलेज के नाम पर रखा गया है, जिसने इस शोध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
o लेप्टोब्रैकियम वंश को आमतौर पर "एशियाई बुलफ्रॉग्स" कहा जाता है, जो चपटी देह और रहस्यमय (cryptic) रंग के लिए जानी जाती है।
• आकार और बनावट: वयस्क लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम का शरीर मजबूत होता है और हल्का नुकीला दिखाई देता है। इसका सिर चौड़ा और चपटा होता है, जिसमें गोल नाक और बड़ी, उभरी हुई आँखें होती हैं। आँख के सामने के कोने से नाक तक एक काली पट्टी और आँख के पिछले कोने से मुंह के किनारे तक एक स्पष्ट पट्टी दिखती है।
• रंग और छिपने की क्षमता: इस मेंढक की पीठ का रंग धूसर-भूरा होता है, जिस पर आंखों के बीच उल्टे V आकार में तीन गहरे भूरे रंग के धब्बे बने होते हैं। पेट सफेद से नीला-सफेद रंग का होता है, जिस पर काले जाल-जैसे धब्बे होते हैं, जो शरीर के पिछले हिस्से और कमर की ओर अधिक घने हो जाते हैं। इसकी टाँगें गहरे स्लेटी रंग की होती हैं जिन पर काली धारियाँ होती हैं। यह रंग और बनावट इसे पत्तियों से भरे जंगल के फर्श पर आसानी से छिपने और शिकार से बचने में मदद करते हैं।
• आवास और पारिस्थितिकी: लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम केवल असम के गरभंगा रिज़र्व फॉरेस्ट में पाया गया है। यह वन क्षेत्र गुवाहाटी के पास स्थित है और जैव-विविधता से भरपूर माना जाता है। यह मेंढक ज़्यादातर पत्तियों से ढकी नम ज़मीन पर रहता है, जहाँ इसका रंग इसे आसपास के वातावरण में घुलने और सुरक्षित रहने में सहायक होती है।
• संरक्षण की स्थिति: इस नई प्रजाति का अब तक IUCN द्वारा मूल्यांकन नहीं किया गया है। इसकी सीमित उपस्थिति और विशेष आवास पर निर्भरता को देखते हुए, यह पर्यावरणीय बदलावों और जंगलों के कटाव से खतरे में आ सकता है। इसके संरक्षण के लिए नियमित निगरानी और प्राकृतिक आवास की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है।
खोज का महत्व:
लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम की खोज उत्तर-पूर्व भारत की छिपी हुई जैव-विविधता को सामने लाती है। यह खोज न केवल क्षेत्र की जैविक संपदा को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि ऐसे अनोखे जीवों को बचाने के लिए लगातार शोध और संरक्षण प्रयास कितने ज़रूरी हैं। यह पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गरभंगा रिज़र्व फॉरेस्ट के बारे में:
गरभंगा रिज़र्व फॉरेस्ट, असम के गुवाहाटी के पास, मेघालय की सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण वन क्षेत्र है। यह वन्यजीव अभयारण्य हाथियों, बाघों और कई प्रकार की पक्षी प्रजातियों सहित समृद्ध और विविध वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र जैव-विविधता के संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन के लिहाज़ से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
लेप्टोब्रैकियम आर्याटियम असम के प्राकृतिक खजाने का एक शानदार उदाहरण है। इसकी चमकीली आंखें और जटिल बनावट भारतीय उभयचर प्रजातियों की विविधता को और भी समृद्ध बनाती हैं। इस अनोखी प्रजाति और इसके आवास की रक्षा करना हमारे जैव-विविधता संरक्षण प्रयासों के लिए अत्यंत आवश्यक है।