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Blog / 19 Feb 2025

नक्शा (NAKSHA) परियोजना

सन्दर्भ : हाल ही में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने "राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण (नक्शा)" नामक एक पायलट परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य भू-स्थानिक तकनीक (Geospatial Technology) के माध्यम से शहरी भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण करना है।

नक्शा (NAKSHA) परियोजना :

NAKSHA कार्यक्रम को 2024 में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) के तहत शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व का सटीक और अपडेटेड रिकॉर्ड तैयार करना है, जिससे पारदर्शिता बढ़े और भूमि विवाद कम हों।

·         विस्तार (Coverage): यह परियोजना वर्तमान में अपने 1-वर्षीय पायलट चरण में है, जिसे 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) के 152 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में लागू किया जा रहा है। पायलट चरण की सफलता के बाद इसे पूरे देश में विस्तारित किया जाएगा।

·         तकनीकी भागीदार : इस परियोजना में भारतीय सर्वेक्षण विभाग तकनीकी भागीदार के रूप में कार्य कर रहा है। वह हवाई सर्वेक्षण और ऑर्थोरेक्टिफाइड इमेजरी  के माध्यम से सटीक मानचित्रण सुनिश्चित करेगा।

·         प्लेटफ़ॉर्म विकास : मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम (MPSEDC) इस परियोजना के लिए एक संपूर्ण वेब-जीआईएस प्लेटफ़ॉर्म (Web-GIS Platform) विकसित कर रहा है।

·         समन्वय : इस पहल का समन्वय राज्य स्तरीय समिति (SLC) द्वारा किया जा रहा है, जो मुख्य सचिव (Chief Secretary) के कार्यालय के अधीन कार्य करती है ताकि प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण का महत्व:

  1. नागरिकों को सशक्त बनाना:  भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण नागरिकों को भूमि स्वामित्व का कानूनी दस्तावेज उपलब्ध कराकर उनके अधिकारों को सशक्त बनाती हैं।
  2. विवादों में कमी: डिजिटल भूमि अभिलेख स्वामित्व से जुड़े विवादों को कम करने में मदद करते हैं, जिससे न्यायिक प्रणाली पर भार घटता है।
  3. शासन में सुधार: पारदर्शी और प्रभावी डिजिटल दस्तावेजीकरण के माध्यम से यह परियोजना शहरी योजना और नीति निर्माण को अधिक सुगम बनाती है।
  4. निवेश को प्रोत्साहन: भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से व्यापार करना आसान होता है, जिससे शहर निवेश के आकर्षक केंद्र बन सकते हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के बारे में:

राष्ट्रीय भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (NLRMP), जिसे भारत सरकार ने वर्ष 2008 में शुरू किया था, का वर्ष 2016 में नाम बदलकर डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) रखा गया। इसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, आधुनिकीकरण और एक केंद्रीकृत प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है-

  • यह एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme) है, जिसे 100% केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
  • DILRMP को 2021-2026 की अवधि के लिए पांच वर्षों तक बढ़ाया गया है।

मुख्य घटक:

  • भूमि और पंजीकरण अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण।
  • राजस्व न्यायालयों (Revenue Courts) का डिजिटलीकरण।
  • आधार के साथ एकीकरण, जिससे स्वामित्व सत्यापन में पारदर्शिता आएगी।

अन्य प्रमुख पहलें:

  • विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (ULPIN) : इसे भूमि की आधार संख्या भी कहा जाता है, यह प्रत्येक भूखंड के लिए एक विशिष्ट पहचान है। इसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों में धोखाधड़ी को रोकना है, जिससे भूमि स्वामित्व की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।
  • भूमि सम्मान : भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्यों और जिलों को सम्मानित करने की पहल।