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Blog / 06 Feb 2025

धन्यवाद प्रस्ताव

संदर्भ:
हाल ही में लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार की नीतियों, उपलब्धियों और राष्ट्रीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

धन्यवाद प्रस्ताव के बारे में:
धन्यवाद प्रस्ताव संसद की एक महत्वपूर्ण औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत दोनों सदन राष्ट्रपति के अभिभाषण के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। यह अभिभाषण प्रत्येक संसदीय वर्ष के प्रारंभ में और सामान्य चुनावों के बाद दिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत यह अभिभाषण अनिवार्य है, जिसमें सरकार आगामी वर्ष के लिए अपनी नीतियों, कार्यक्रमों और विधायी प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करती है।

धन्यवाद प्रस्ताव के प्रमुख पहलू:

1.   राष्ट्रपति का अभिभाषण:
यह अभिभाषण ब्रिटेन की थ्रोन स्पीचकी तरह होता है, जिसमें सरकार अपनी नीतियों, योजनाओं और प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करती है और बताती है कि वह आने वाले वर्ष में किस दिशा में कार्य करेगी।

2.   चर्चा और प्रस्ताव:
धन्यवाद प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण को स्वीकार करने और उस पर चर्चा करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

o   प्रधानमंत्री प्रस्ताव को प्रस्तुत करने और समर्थन देने के लिए सदस्यों का चयन करते हैं।

3.   चर्चा का दायरा:
सदस्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रपति के अभिभाषण में उल्लिखित शासन संबंधित मामलों पर चर्चा कर सकते हैं।

o   चर्चा आमतौर पर तीन दिन चलती है और समय का वितरण पार्टी प्रतिनिधित्व के आधार पर होता है।

4.   संशोधन:
सदस्य, विशेषकर विपक्ष, धन्यवाद प्रस्ताव में बदलाव (संशोधन) का सुझाव दे सकते हैं ताकि वे किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी असहमति या चिंता व्यक्त कर सकें।

o   यदि कोई संशोधन स्वीकार कर लिया जाता है, तो प्रस्ताव को  संशोधित रूप में अपनाया जाता है। पहला ऐसा उदाहरण 30 जनवरी 1980 को हुआ था।

5.   मतदान:
चर्चा के बाद, प्रस्ताव पर मतदान किया जाता है, और इसके पारित होने के लिए साधारण बहुमत (अर्थात, जो सदस्य उपस्थित हैं और मतदान कर रहे हैं, उनमें से बहुमत) की आवश्यकता होती है।

महत्व और सीमाएँ:
धन्यवाद प्रस्ताव लोकसभा में सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण संसदीय माध्यम है, जिसके माध्यम से सदन सरकार के प्रति विश्वास या अविश्वास प्रकट कर सकता है।

  • यदि प्रस्ताव पारित नहीं होता, तो यह सरकार के लिए संसदीय पराजय मानी जाती है, जिससे उसकी स्थिति संकट में सकती है।

हालांकि, केंद्रीय सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर के मुद्दों को इस चर्चा में शामिल नहीं किया जा सकता।

  • इसके अतिरिक्त, बहस के दौरान राष्ट्रपति की व्यक्तिगत आलोचना वर्जित होती है, क्योंकि उनका अभिभाषण सरकार की नीतियों और दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है, कि उनके व्यक्तिगत विचारों को।

निष्कर्ष:
धन्यवाद प्रस्ताव संसदीय कार्यवाही में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह सदस्यों को सरकार की नीतियों की समीक्षा करने और विपक्ष को सरकार के रुख को चुनौती देने का अवसर प्रदान करता है। इसका पारित होना सरकार में विश्वास की पुनः पुष्टि करता है, जबकि इसका अस्वीकृत होना सरकार के लिए संकट का संकेत माना जाता है।