संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत के समुद्री क्षेत्र को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई नई पहलों की शुरुआत की। इनका उद्देश्य है - समुद्री अवसंरचना को आधुनिक बनाना, वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी बढ़ाना और समुद्री क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देना।
शुरू की गई प्रमुख पहलें:
‘एक राष्ट्र-एक बंदरगाह प्रक्रिया’ (ONOP) :
· इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत के सभी प्रमुख बंदरगाहों की प्रक्रियाओं और संचालन को एक समान (Standardize) बनाना है, ताकि दस्तावेज़ीकरण में जटिलताएं और प्रक्रियागत अंतर को खत्म किया जा सके।
· यह अक्षमताओं को कम करने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स लागत और अनावश्यक देरी को भी घटाएगी।
· प्रक्रियाओं के मानकीकरण से भारतीय बंदरगाहों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता मजबूत होगी, जिससे निर्यात बढ़ेगा और व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) में सुधार होगा।
लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉरमेंस इंडेक्स (एलपीपीआई):
· लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉरमेंस इंडेक्स भारतीय बंदरगाहों की प्रदर्शन दक्षता को मापने और निरंतर ट्रैक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
· इस इंडेक्स के तहत कार्गो हैंडलिंग दक्षता, टर्नअराउंड टाइम, बर्थ निष्क्रिय समय और कंटेनर डवेल टाइम जैसे प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (Key Performance Indicators - KPIs) के आधार पर बंदरगाहों का मूल्यांकन किया जाएगा।
· यह प्रमुख और गैर-प्रमुख दोनों प्रकार के बंदरगाहों के प्रदर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण करेगा, जिससे सुधार की संभावनाओं की पहचान की जा सकेगी और संचालन उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा।
· भारतीय बंदरगाहों के प्रदर्शन के राष्ट्रीय बेंचमार्किंग के लिए " सागर आंकलन" दिशानिर्देश सभी भारतीय बंदरगाहों पर लागू होंगे।
भारत पोर्ट्स ग्लोबल कंसोर्टियम:
· भारत द्वारा अपने वैश्विक व्यापार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम की शुरुआत की गई है। यह पहल बंदरगाहों के विस्तार, संचालन और वित्तपोषण पर केंद्रित है, जिसका उद्देश्य भारत की वैश्विक समुद्री पहुंच को मजबूत करना और वैश्विक व्यापार में उसकी लचीलता बढ़ाना है।
· इस कंसोर्टियम में इंडियन पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड (IPGL), SDCL (वित्तीय सहयोग) और इंडियन पोर्ट रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IPRCL) जैसे प्रमुख हितधारकों की भागीदारी है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत के बंदरगाह अवसंरचना को आधुनिक बनाना है, जिससे मेक इन इंडिया को मजबूती मिले और भारतीय निर्यात को वैश्विक बाजार में बढ़ावा दिया जा सके।
मैत्री (MAITRI - Master Application for International Trade and Regulatory Interface)
· भारत के समुद्री क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय पहल के रूप में मैत्री का लोगो लॉन्च किया गया है।
· यह पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से एकीकृत और सुव्यवस्थित करने के लिए तैयार की गई है।
· मैत्री पहल, भारत और यूएई के बीच भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) के हिस्से के रूप में एक वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर (VTC) स्थापित करने में मदद करेगी। भविष्य में इसका विस्तार आसियान और बिम्सटेक देशों तक करने की भी योजना है।
निष्कर्ष:
इन पहलों के साथ, भारत का समुद्री क्षेत्र व्यापक बदलाव की ओर बढ़ रहा है। मानकीकृत बंदरगाह संचालन, बेहतर प्रदर्शन मूल्यांकन, वैश्विक व्यापार सहयोग और डिजिटल एकीकरण जैसी रणनीतियाँ भारत की लॉजिस्टिक्स दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करेंगी।
इस बदलाव का पूरा लाभ उठाने के लिए, मजबूत समन्वय, निरंतर निवेश और समर्थक नीतियों (Enabling Policies) की आवश्यकता होगी। ये सभी कदम मिलकर वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका को और मजबूत करेंगे और आर्थिक विकास को गति देंगे।