संदर्भ: राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने भारत के तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव संरक्षण से संबंधित सरकारी प्रयासों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।
मैंग्रोव संरक्षण के लिए नियामक उपाय:
भारत सरकार ने मैंग्रोव पारिस्थितिकी प्रणालियों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा स्थापित किया है। प्रमुख नियामक उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:
• कोस्टल रेगुलेशन जोन (CRZ) अधिसूचना (2019): पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 के तहत, यह अधिसूचना उन गतिविधियों पर रोक लगाती है जो मैंग्रोव और अन्य तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे उनके संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए सतत विकास की अनुमति मिलती है।
• वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972: यह अधिनियम मैंग्रोव सहित वन्यजीव आवासों की रक्षा करता है और उन मानव गतिविधियों को नियंत्रित करता है जो इन पारिस्थितिकी प्रणालियों को खतरे में डाल सकती हैं।
• भारतीय वन अधिनियम, 1927 और जैव विविधता अधिनियम, 2002: ये अधिनियम मैंग्रोव वन के संरक्षण और प्रबंधन के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मिष्टी(MISHTI) पहल:
· मंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैन्जिबल इनकम्स (MISHTI): यह पहल 5 जून 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में मैंग्रोव का पुनर्वास और संरक्षण करना है।
· इस पहल का लक्ष्य 2023-2028 के दौरान लगभग 540 किमी² मैंग्रोव कवर का पुनर्स्थापन करना है।
· इस पहल को नेशनल कोस्टल मिशन प्रोग्राम द्वारा समर्थन प्राप्त है, जो अन्य पर्यावरणीय योजनाओं के साथ समन्वय को बढ़ावा देता है।
मैंग्रोव के लाभ:
1. तटीय सुरक्षा: मैंग्रोव तटीय समुदायों को बाढ़, तूफान और सुनामी से बचाते हैं।
2. कार्बन संचयन: ये उष्णकटिबंधीय वनस्पतियों की तुलना में तेजी से कार्बन संचय करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलती है।
3. जैव विविधता: मैंग्रोव समुद्री जीवन को आधार प्रदान करते हैं, मछलियों और अन्य प्रजातियों के लिए प्रजनन स्थल प्रदान करते हैं।
4. आजीविका समर्थन: मैंग्रोव मछली पालन और पर्यटन के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में योगदान करते हैं।
संरक्षण प्रयासों का प्रभाव:
भारत के वन रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत के मैंग्रोव कवर में 2015 से 2021 के बीच 252 किमी² का इज़ाफा हुआ है। पश्चिम बंगाल, गुजरात और अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में मैंग्रोव वन का सबसे अधिक घनत्व है। विशेष रूप से गुजरात ने मैंग्रोव कवर में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है, जो 2001 से 2023 के बीच 253.06 किमी² बढ़ा है।
निष्कर्ष:
नियामक उपायों और MISHTI जैसी पहलों के माध्यम से, भारत मैंग्रोव संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। ये प्रयास न केवल तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन को कम करने और स्थानीय आजीविका का समर्थन करने में भी सहायक हैं। जैसे-जैसे देश मैंग्रोव पुनर्स्थापन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखता है, ये पारिस्थितिकी प्रणालियां पर्यावरणीय स्थिरता और सततता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।