संदर्भ: हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जॉर्जिया को मलेरिया उन्मूलन करने वाला 45वां देश घोषित किया। यह कदम मलेरिया पर नियंत्रण पाने के वैश्विक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण सफलता है। हालांकि, मलेरिया आज भी एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है, जो हर साल 600,000 से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है और 240 मिलियन से अधिक मामलों का सामना व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।
मलेरिया वैक्सीन्स से संबंधित मुद्दे:
1. प्लास्मोडियम की अनुकूलन क्षमता: प्लास्मोडियम, जोकि मलेरिया का कारण बनता है, अपने एंटीजनिक परिवर्तन (परजीवी के द्वारा अपनी सतह पर स्थित प्रोटीन को बार-बार बदलना) को निरंतर बदलता रहता है, जिससे शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए उसे पहचानना और नष्ट करना कठिन हो जाता है।
2. वैक्सीन्स की सीमित प्रभावशीलता: RTS,S वैक्सीन, हालांकि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित है। यह मलेरिया के मामलों को केवल 36% तक कम करता है, जबकि अन्य रोगों, जैसे कि खसरा, के लिए वैक्सीन्स की प्रभावशीलता 90-95% होती है।
3. प्लास्मोडियम का जीवनचक्र : मच्छर के काटने से परजीवी (parasite) इंसान के शरीर में प्रवेश करता है, जहां वह लिवर और रक्त में विभिन्न चरणों में विकसित होता है। RTS,S वैक्सीन जिगर में परजीवी के पहले चरण को लक्षित करती है, लेकिन यह रक्त के चरण को कवर नहीं करती, जहां लक्षण उत्पन्न होते हैं।
4. वितरण में लॉजिस्टिकल चुनौतियां: RTS,S जैसी मलेरिया वैक्सीन्स को प्रभावी होने के लिए कई खुराकों की आवश्यकता होती है। ऐसे क्षेत्रों में, जहाँ संसाधनों की कमी होती है और स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियादी संरचना मजबूत नहीं होती, इन खुराकों का सही तरीके से वितरण और प्रबंधन करना एक बड़ी चुनौती बन जाता है।
5. अनुसंधान के लिए वित्तीय कमी: मलेरिया वैक्सीन अनुसंधान को, विशेष रूप से भू-राजनीतिक और आर्थिक कारणों से, लगातार वित्तीय कमी का सामना करना पड़ा है। मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया के निम्न-आय वाले क्षेत्रों में होता है, जिसके कारण वैक्सीन विकास में कम निवेश होता है। इसके अलावा, अनुसंधान की उच्च लागत और अनिश्चित लाभ ने फार्मास्युटिकल कंपनियों को मलेरिया वैक्सीन्स में भारी निवेश करने से हतोत्साहित किया है।
मलेरिया के बारे में:
मलेरिया एक गंभीर और जीवन के लिए खतरे वाली बीमारी है, जो प्लास्मोडियम परजीवियों द्वारा उत्पन्न होती है। यह बीमारी मानवों में संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलती है। मलेरिया मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। यह विशेष रूप से सहारा के दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों में अधिक पाया जाता है।
लक्षण:
मलेरिया के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- बुखार
- ठंड लगना
- सिरदर्द
- थकान
यह लक्षण संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के 10 से 15 दिनों के भीतर दिखाई दे सकते हैं। यदि समय पर उपचार न किया गया, तो यह बीमारी गंभीर मलेरिया में बदल सकती है, जिससे अंगों की विफलता, एनीमिया या यहां तक कि मृत्यु हो सकती है।
प्लास्मोडियम प्रजातियाँ: प्लास्मोडियम की पांच प्रजातियाँ हैं जो मानवों में मलेरिया का कारण बनती हैं:
1. पी. फाल्सीपरम (P. falciparum) – सबसे खतरनाक प्रजाति, जो मलेरिया से संबंधित अधिकांश मौतों का कारण बनती है।
2. पी. विवैक्स (P. vivax) – सबसे अधिक संख्या में पायी जाने वाली प्रजाति, लेकिन सामान्यत: कम घातक।
3. पी. मलेरिया (P. malariae) –कम घातक मलेरिया का कारण बनती है।
4. पी. ओवाले (P. ovale) – दुर्लभ मलेरिया का कारण बनती है।
5. पी. नॉलेजसी (P. knowlesi) – एक प्रजाति जो मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है और मानवों में गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है।
मलेरिया वैक्सीन्स:
1. RTS,S/AS01 वैक्सीन: 2021 में WHO द्वारा अनुमोदित, यह पहली मलेरिया वैक्सीन है जिसने बच्चों में मलेरिया के मामलों को कम करने में सफलता दिखाई है।
2. R21/Matrix-M वैक्सीन: 2023 में WHO द्वारा अनुमोदित, यह वैक्सीन RTS,S की तुलना में अधिक प्रभावी है (लगभग 77%)।