संदर्भ:
हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) रैंकिंग 2025 के प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह निर्णय सी. चेल्लामुथु द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) के संदर्भ में आया, जिसमें आरोप लगाया गया कि संस्थान उच्च रैंकिंग प्राप्त करने के उद्देश्य से डेटा में हेरफेर करते हैं। परिणामस्वरूप, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय एवं राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NBA) को अगले आदेश तक रैंकिंग प्रकाशित करने से रोका गया है।
डेटा हेरफेर के आरोप:
· जनहित याचिका (PIL) में आरोप लगाया गया है कि शैक्षणिक संस्थान छात्र एवं कर्मचारी संख्या, वेतन संरचना, स्नातक दर, प्लेसमेंट विवरण तथा अनुसंधान निधि जैसे महत्वपूर्ण आंकड़ों में हेरफेर कर रहे हैं।
· यह डेटा कथित रूप से बिना सत्यापन एवं ऑडिट के प्रस्तुत किया जाता है, जिससे NIRF रैंकिंग प्रणाली की विश्वसनीयता एवं अखंडता प्रभावित होती है। शैक्षिक विशेषज्ञों ने स्वतंत्र डेटा सत्यापन की कमी को लेकर लंबे समय से चिंता व्यक्त की है और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर जाँच प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है।
न्यायालय का निर्णय:
· मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे. निशा बानू और एस. श्रीमति शामिल हैं, ने अंतरिम स्थगन (Stay Order) प्रदान करते हुए अधिकारियों को जवाबी हलफनामा (Counter Affidavit) दाखिल करने का निर्देश दिया।
· मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल, 2025 को निर्धारित की गई है। इस निर्णय ने भारत में शैक्षणिक संस्थानों के मूल्यांकन के लिए अपनाई जाने वाली रैंकिंग प्रणालियों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के बारे में:
1. लॉन्च और उद्देश्य:
· राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) को नवंबर 2015 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग के लिए एक पारदर्शी और मानकीकृत कार्यप्रणाली विकसित करना है, जिससे शैक्षणिक संस्थानों का निष्पक्ष मूल्यांकन किया जा सके।
2. रैंकिंग के प्रमुख मापदंड एवं वेटेज:
NIRF संस्थानों की रैंकिंग पाँच प्रमुख मापदंडों पर आधारित होती है, जिनमें से प्रत्येक का एक निश्चित वेटेज होता है:
- शिक्षण, अधिगम एवं संसाधन (Teaching, Learning & Resources - TLR): 30%
- अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास (Research & Professional Practice - RP): 30%
- स्नातक परिणाम (Graduation Outcomes - GO): 20%
- आउटरीच और समावेशिता (Outreach & Inclusivity - OI): 10%
- धारणा (Perception - PR): 10%
इसके अतिरिक्त, NIRF विभिन्न श्रेणियों एवं विषय-विशिष्ट डोमेन में कुल 16 वर्गों में संस्थानों को रैंक प्रदान करता है, जिससे भारत के शैक्षिक परिदृश्य का व्यापक विश्लेषण संभव हो पाता है।
निष्कर्ष:
एनआईआरएफ रैंकिंग पर मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा लगाया गया अंतरिम स्थगन डेटा हेरफेर और रैंकिंग प्रक्रिया में स्वतंत्र सत्यापन की अनुपस्थिति को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर करता है।
इस मामले के परिणामस्वरूप भविष्य में शैक्षिक रैंकिंग के मूल्यांकन और प्रकाशन की प्रक्रिया में सुधार हो सकता है, जिससे भारत के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ करने की दिशा में एक नई मिसाल स्थापित हो सकती है।