होम > Blog

Blog / 09 Apr 2025

लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक

संदर्भ:

हाल ही में दुर्लभ लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक (Ahaetulla longirostris) को उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिज़र्व में फिर से देखा गया। राज्य में यह पहली और पूरे भारत में यह केवल दूसरी बार दर्ज की गई घटना है। यह घटना पालिया डिवीजन में गैंडा छोड़ने के एक अभियान के दौरान अचानक हुई।

लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक की विशेषताएं और आवास:

• लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक की पहचान इसके लंबे और पतले शरीर से होती है, जो हरे या भूरे रंग का हो सकता है।
• इसकी सबसे खास विशेषता इसका लंबा थूथन (रोस्ट्रम) है, जो पेड़ों की शाखाओं और पत्तियों के बीच छिपने में मदद करता है।
• यह सांप थोड़ा विषैला होता है, लेकिन इसका ज़हर इंसानों के लिए ज़्यादा खतरनाक नहीं होता।
• लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक (Ahaetulla longirostris) एक पेड़ों पर रहने वाली प्रजाति है, जो अपने वातावरण में अच्छी तरह छिप जाती है।
• दुधवा में इसका दोबारा पाया जाना यह दर्शाता है कि पेड़ों से भरे पर्यावरण जैव विविधता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर कम जानी-पहचानी सरीसृप प्रजातियों के लिए।

दुधवा टाइगर रिज़र्व का पारिस्थितिक महत्व:

उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित दुधवा टाइगर रिज़र्व में दुधवा नेशनल पार्क, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
• प्रोजेक्ट टाइगर के तहत स्थापित इस रिज़र्व में रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, दलदली हिरण और कई तरह के पक्षी व सरीसृप पाए जाते हैं।
• लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक की पुनः खोज इस रिज़र्व की पारिस्थितिक विविधता को दर्शाती है और यह भी बताती है कि दीमक के टीले जैसे छोटे आवास भी दुर्लभ प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यह खोज इस क्षेत्र में सतत अनुसंधान और आवास संरक्षण के प्रयासों के महत्व को भी रेखांकित करती है।

निष्कर्ष

लॉन्ग-स्नाउटेड वाइन स्नेक की पुनः खोज इसके व्यवहार, पारिस्थितिकी और वितरण का अध्ययन करने के नए अवसर प्रदान करती है। आगे का अनुसंधान इसकी जनसंख्या की स्थिति, आवास की पसंद और अन्य प्रजातियों के साथ इसके संबंधों को समझने में मदद करेगा। यह खोज भारत की विविध पारिस्थितिक प्रणालियों में कम जानी-पहचानी प्रजातियों के संरक्षण के लिए पेड़ों वाले आवासों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता को भी उजागर करती है।