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Blog / 14 Apr 2025

लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम 'गौरव'

सन्दर्भ:

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने लंबी दूरी तक मार करने वाले अत्याधुनिक ग्लाइड बम गौरव का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण Su-30 MKI लड़ाकू विमान से किया गया, जिसमें बम ने लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए लक्ष्य को अत्यंत सटीकता के साथ भेदने में सफलता पाई।

ग्लाइड बम क्या होते हैं?

ग्लाइड बम एक प्रकार का सटीक-निर्देशित हथियार (Precision-Guided Munition) होता है, जिसे विमान से छोड़ने के बाद यह अपने पंखनुमा ढांचे की मदद से लक्ष्य की ओर हुआ बढ़ता है। इसमें जीपीएस (GPS) और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) जैसे मार्गदर्शन तंत्र लगे होते हैं, जो इसे बिना इंजन के भी लंबी दूरी तक उड़ने में सक्षम बनाते हैं। लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम 60 से 150 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक लक्ष्य को भेद सकते हैं। इससे लड़ाकू विमान दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली की सीमा में प्रवेश किए बिना ही सुरक्षित दूरी से हमला कर सकते हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

1.     स्टैंड-ऑफ रेंज (दूरी से हमला): यह बम विमानों को दुश्मन की सीमा में प्रवेश किए बिना ही सुरक्षित दूरी से लक्ष्य को भेदने की क्षमता प्रदान करता है।

2.     उच्च सटीकता वाला मार्गदर्शन: GPS, INS, लेज़र या इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल जैसे आधुनिक मार्गदर्शन प्रणालियों के उपयोग से यह बम अत्यधिक सटीकता से सीधे लक्ष्य पर वार करता है।

3.     लागत में प्रभावी: क्रूज़ मिसाइलों की तुलना में ये बम काफी सस्ते होते हैं, जिससे इनका बड़े स्तर पर उपयोग करना आर्थिक रूप से संभव होता है।

4.     कम रडार पकड़: इनका छोटा आकार और तेज़ गति से गिरने की क्षमता इन्हें दुश्मन के रडार की पकड़ में आने से बचाती है।

5.     विविध प्रकार के वारहेड: इन बमों में मिशन की ज़रूरत के अनुसार उच्च-विस्फोटक, बंकर भेदी या क्लस्टर जैसे विभिन्न प्रकार के वारहेड लगाए जा सकते हैं।

भारत के ग्लाइड बम:

भारत में डीआरडीओ ने दो प्रकार के स्वदेशी ग्लाइड बम विकसित किए हैं गौरव और गौतम

  • गौरव: यह एक पंखों से युक्त (winged) ग्लाइड बम है, जिसका वजन लगभग 1000 किलोग्राम है। इसकी संरचना इसे लंबी दूरी तक सटीकता से लक्ष्य भेदने में सक्षम बनाती है।
  • गौतम: यह एक बिना पंखों वाला (non-winged) बम है, जिसका वजन लगभग 550 किलोग्राम है।

इन दोनों बमों को DRDO की रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया है। इनके विकास और उत्पादन में अडानी डिफेंस सिस्टम्स, भारत फोर्ज और कई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) कंपनियाँ साझेदार हैं, जो मेक इन इंडियापहल को सशक्त बनाती हैं।

रणनीतिक महत्व:

1.     दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली का दमन (SEAD): ग्लाइड बम दुश्मन की रडार और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बैटरियों को पहले ही निष्क्रिय कर सकते हैं। इससे बाद में मानवयुक्त विमानों के लिए खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।

2.     शहरी क्षेत्रों में सटीक और सीमित क्षति वाला हमला: इन बमों की उच्च सटीकता के कारण भीड़भाड़ और संवेदनशील क्षेत्रों में भी विशिष्ट लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है।

3.     ड्रोन एवं मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म अनुकूलता: ये बम अब केवल लड़ाकू विमानों से ही नहीं, बल्कि UAVs (ड्रोन) जैसे मानवरहित प्लेटफॉर्म से भी छोड़े जा सकते हैं, जिससे जोखिम में बिना पायलट के लक्ष्य भेदना संभव हो जाता है।

4.     फोर्स मल्टिप्लायर (शक्ति गुणक): एक ही विमान एक बार में कई दूरस्थ लक्ष्यों पर हमला कर सकता है, जिससे कम संसाधनों में ज़्यादा प्रभावी हमले किए जा सकते हैं।

रणनीतिक लाभ:

1.     सीमा पार किए बिना हमला: यह विमानों को दुश्मन की हवाई सीमा में प्रवेश किए बिना ही हमले की क्षमता प्रदान करते हैं। इससे S-400 या Patriot जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों से खतरा काफी हद तक टल जाता है।

2.     अत्यधिक सटीकता: GPS और INS जैसे मार्गदर्शन तंत्रों के उपयोग से ये बम केवल 1–3 मीटर की त्रुटि सीमा (CEP) के भीतर लक्ष्य को भेद सकते हैं, जिससे छोटे या मजबूत ठिकानों पर भी प्रभावी हमला संभव होता है।

3.     लागत में किफायती: क्रूज़ मिसाइलों की तुलना में ये बम कहीं अधिक सस्ते होते हैं, जिससे इन्हें बड़े पैमाने पर तैनात किया जा सकता है।

4.     बहु-प्लेटफ़ॉर्म उपयोगिता: इन बमों को लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और ड्रोन जैसे कई प्लेटफ़ॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। साथ ही, पुराने पारंपरिक बमों को "स्मार्ट बम किट" लगाकर भी इन्हें आधुनिक बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष:

लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम आधुनिक युद्ध की परिभाषा बदल रहे हैं। ये हथियार दूरी, सटीकता, लागत और सुरक्षा के बीच उत्कृष्ट संतुलन स्थापित करते हैं। भारत द्वारा इस तकनीक का पूरी तरह स्वदेशी विकास न केवल उसकी रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाता है, बल्कि यह उसे क्षेत्रीय सामरिक संतुलन में भी एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है।