संदर्भ:
केरल और तमिलनाडु 24 से 27 अप्रैल 2025 के बीच संयुक्त रूप से नीलगिरी तहर (Nilgiritragus hylocrius) की गणना करेंगे। यह प्रयास पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले इस संकटग्रस्त प्रजाति की संख्या और वितरण का आकलन करने के लिए किया जा रहा है।
सर्वेक्षण के बारे में:
नीलगिरी तहर की गणना एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में की जा रही है, जो इस प्रजाति की सबसे बड़ी आबादी का घर है।
• इस सर्वेक्षण का उद्देश्य इस प्रजाति की जनसंख्या, वितरण और आनुवंशिक विविधता पर वैज्ञानिक आंकड़े एकत्र करना है, जो संरक्षण योजना और नीतियों के निर्माण में सहायक होंगे।
• यह सर्वेक्षण 265 गणना ब्लॉकों को कवर करेगा (89 केरल में और 176 तमिलनाडु में)।
दोनों राज्यों के वन विभाग इस सर्वेक्षण को संरक्षित और गैर-संरक्षित क्षेत्रों में समन्वित रूप से संचालित करेंगे।
• आंकड़े “बाउंडेड काउंट मेथड” से जुटाए जाएंगे, जिसमें विशेष स्थानों पर व्यवस्थित अवलोकन के आधार पर जनसंख्या का अनुमान लगाया जाता है। सर्वेक्षण में कैमरा ट्रैप और आनुवंशिक विश्लेषण के लिए पेलेट नमूने भी एकत्र किए जाएंगे।
• यह सर्वेक्षण केरल के 20 वन प्रभागों में किया जाएगा, जो तिरुवनंतपुरम से वायनाड तक होंगे।
नीलगिरी तहर का महत्व:
नीलगिरी तहर पारिस्थितिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण प्रजाति है, जो पश्चिमी घाट के पहाड़ी घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाती है।
• आवास खंडन, जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के कारण यह प्रजाति IUCN रेड लिस्ट में 'संकटग्रस्त' (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध है।
गणना का प्रभाव:
यह समन्वित गणना नीलगिरी तहर की जनसंख्या प्रवृत्तियों और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी। इस जानकारी के आधार पर संरक्षण रणनीतियाँ और नीतियाँ बनाई जा सकेंगी। यह अध्ययन केरल और तमिलनाडु के बीच वन्यजीव संरक्षण में सहयोग को भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष:
वैज्ञानिक तरीकों और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से, नीलगिरी तहर गणना का उद्देश्य संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ करना है। इसके परिणाम भविष्य की नीतियों और आवास सुरक्षा उपायों का मार्गदर्शन करेंगे, जिससे पश्चिमी घाट की इस अनोखी पर्वतीय प्रजाति का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।