सन्दर्भ:
यात्रा के मुख्य बिंदु:
1. प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में भारत और इटली ने संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना (JSAP) 2025-29 के तहत हो रहे सहयोग की व्यापक समीक्षा की। इस योजना में व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, संस्कृति, पर्यटन और जनसंपर्क जैसे कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
2. दोनों देशों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, टेलीकॉम, डिजिटल तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, बायोफ्यूल, शिक्षा, शैक्षणिक साझेदारी, वैज्ञानिक अनुसंधान और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की मुख्य संभावनाओं को मान्यता दी।
3. दोनों देशों द्वारा रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाने और संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना के तहत ठोस परिणाम सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
4. इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने मिलकर कार्य करने की सहमति जताई।
5. पहला भारत-इटली व्यवसाय, विज्ञान और तकनीक मंच आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य तकनीकी सहयोग, नवाचार, अकादमिक व अनुसंधान भागीदारी, संयुक्त उत्पादन और व्यापारिक उद्यमों को बढ़ावा देना रहा।
6. इस मंच में चार प्रमुख क्षेत्रों की कंपनियों ने भाग लिया:
o इंडस्ट्री 4.0 और उन्नत तकनीकें
o बुनियादी ढांचा, परिवहन और लॉजिस्टिक्स
o स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन
o एयरोस्पेस और रक्षा
भारत-इटली संबंध
- रणनीतिक साझेदारी: वर्ष 2023 में भारत और इटली के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक उन्नत किया गया। यह दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास, सहयोग और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाता है।
- बहुपक्षीय सहयोग: भारत और इटली संयुक्त राष्ट्र, G20, और ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर कार्य करते हैं। दोनों देश जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे वैश्विक मुद्दों पर समान सोच रखते हैं।
- द्विपक्षीय व्यापार: 2022–23 में भारत और इटली के बीच व्यापार €14.28 बिलियन के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया, जिसमें भारत का निर्यात €8.691 बिलियन रहा।
- निवेश: इटली भारत के शीर्ष विदेशी निवेशकों में शामिल है। वर्ष 2000 से 2023 तक इटली से भारत में कुल $3.53 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है।
- रक्षा सहयोग: दोनों देश एक समग्र रक्षा औद्योगिक रोडमैप तैयार कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन, सह-विकास और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है।