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Blog / 22 Mar 2025

स्वदेशी रक्षा विकास

संदर्भ:

हाल ही में भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने ₹54,000 करोड़ मूल्य के सैन्य हार्डवेयर की खरीद को प्रारंभिक मंजूरी प्रदान की है। यह पहल भारत के रक्षा अवसंरचना (Defence Infrastructure) को महत्वपूर्ण रूप से सशक्त बनाएगी तथा स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगी। यह निर्णय कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) द्वारा ₹7,000 करोड़ की लागत से 307 एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की खरीद को स्वीकृति दिए जाने के बाद आया है।

मुख्य स्वीकृतियाँ और अधिग्रहण:

कई महत्वपूर्ण रक्षा अधिग्रहणों को DAC से आवश्यकता की स्वीकृति (Acceptance of Necessity - AoN) प्राप्त हुई है, जिनमें शामिल हैं:

  • T-90 टैंकों का उन्नयन: भारतीय सेना के T-90 टैंक, जो इसकी बख्तरबंद कोर का एक प्रमुख घटक हैं, को वर्तमान 1000 HP इंजन की जगह 1350 HP इंजन के साथ उन्नत किया जाएगा। यह सुधार युद्ध के मैदान पर टैंकों की गतिशीलता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाएगा।
  • एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) एयरक्राफ्ट सिस्टम: निगरानी और युद्ध तत्परता को बढ़ाने के लिए, भारतीय वायुसेना के लिए AEW&C एयरक्राफ्ट सिस्टम की खरीद को (Acceptance of Necessity) मंजूरी दी गई है। ये सिस्टम ऑपरेशनों के दौरान पूर्व चेतावनी क्षमताओं और हवाई क्षेत्र प्रबंधन में सुधार करेंगे।
  • वरुणास्त्र टॉरपीडो: वरुणास्त्र टॉरपीडो, जो भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं (Anti-Submarine Warfare - ASW) के लिए महत्वपूर्ण हैं, खरीदे जाएंगे। इससे भारतीय नौसेना की पानी के नीचे के खतरों से निपटने की क्षमता और अधिक मजबूत होगी।

ATAGS (एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम):

  • रक्षा अधिग्रहण का एक प्रमुख पहलू सैन्य हार्डवेयर का स्वदेशी विकास है। इसके तहत 307 ATAGS (एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम), एक 155mm, 52-कैलिबर की भारी तोप, की खरीद को मंजूरी दी गई है।
  • इन तोपों को आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) द्वारा भारत फोर्ज और टाटा समूह के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया जा रहा हैं। इससे भारत की विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होगी और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलेगा। खास बात यह है कि इस तोप के 65% से अधिक घटक घरेलू स्तर पर ही निर्मित होंगे।

रक्षा खरीद प्रक्रिया हेतु दिशा निर्देश:

·        रक्षा खरीद की दक्षता को और बेहतर बनाने के लिए, DAC ने खरीद प्रक्रिया की समयसीमा को कम करने के लिए नए दिशानिर्देशों को भी मंजूरी दी है। इन संशोधित दिशानिर्देशों से खरीद प्रक्रिया में 10-15% की कमी आने की सम्भावना है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सैन्य आवश्यकताओं को तेजी से और अधिक सुव्यवस्थित तरीके से पूरा किया जा सके।

निष्कर्ष:

भारत की हालिया सैन्य हार्डवेयर खरीद स्वीकृति देश की रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। टैंकों, तोपखाने प्रणालियों और नौसैनिक संपत्तियों के महत्वपूर्ण उन्नयन के साथ-साथ स्वदेशी रक्षा विकास को प्रोत्साहित करके, भारत अपनी वैश्विक रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

इसके अलावा, खरीद प्रक्रिया में सुधार से सैन्य अधिग्रहण की दक्षता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय सशस्त्र बल उभरते खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए पूरी तरह सुसज्जित रहें।