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Blog / 14 Apr 2025

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता

सन्दर्भ:

भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश ने रिकॉर्ड 29.52 गीगावॉट (GW) स्वच्छ ऊर्जा क्षमता जोड़ी है। इसके साथ ही, 31 मार्च 2025 तक भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़कर 220.10 GW हो गई है, जो पिछले वर्ष 198.75 GW थी।

यह उपलब्धि भारत के उस महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है, जिसके अंतर्गत 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता स्थापित की जानी है। यह लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा COP26 सम्मेलन में प्रस्तुत "पंचामृत" जलवायु संकल्पों का एक प्रमुख भाग है।

मुख्य घटक:

1.      सौर ऊर्जा:
इस वर्ष नवीकरणीय ऊर्जा में हुई वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान सौर ऊर्जा का रहा। वित्तीय वर्ष 2024–25 में देश
में 23.83 GW की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष 2023–24 के 15.03 GW के मुकाबले एक उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके साथ ही, भारत की कुल स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता बढ़कर 105.65 GW हो गई है, जो निम्नलिखित घटकों में विभाजित है:

         81.01 GW – ग्राउंड-माउंटेड (जमीन पर आधारित) परियोजनाओं से

         17.02 GW – रूफटॉप सौर संयंत्रों से

         2.87 GW – हाइब्रिड परियोजनाओं से

         4.74 GW – ऑफ-ग्रिड प्रणालियों से

यह विस्तार दर्शाता है कि भारत न केवल बड़े पैमाने की सौर परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि विकेन्द्रीकृत, छोटे स्तर की रूफटॉप प्रणालियों में भी तेजी से निवेश कर रहा है। यह प्रवृत्ति देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

2.      पवन ऊर्जा

·        पवन ऊर्जा क्षेत्र में भी steady (स्थिर) प्रगति देखने को मिली है। वित्तीय वर्ष 2024–25 के दौरान भारत ने 4.15 GW नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जो पिछले वर्ष की 3.25 GW की तुलना में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि है। इसके साथ ही, देश की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 50 GW का आंकड़ा पार कर गई है।

·        यह उपलब्धि भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण में पवन ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को स्पष्ट करती है और इस क्षेत्र की निरंतर मजबूती को दर्शाती है।

3.      बायोएनर्जी और लघु जलविद्युत
सौर और पवन ऊर्जा के साथ-साथ, बायोएनर्जी और लघु जलविद्युत क्षेत्रों ने भी नवीकरणीय ऊर्जा में अपना योगदान दिया है जो निम्न है:

         बायोएनर्जी: इस क्षेत्र की कुल क्षमता 11.58 GW तक पहुँच गई है, जिसमें से 0.53 GW ऑफ-ग्रिड और वेस्ट-टू-एनर्जी (कचरे से ऊर्जा) परियोजनाओं से प्राप्त हुआ है।

         लघु जलविद्युत: इसके तहत कुल क्षमता 5.10 GW है, जिसमें से 0.44 GW वर्तमान में कार्यान्वयन के चरण में है।

इन दोनों क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान भारत की विकेन्द्रीकृत ऊर्जा रणनीति को मजबूती प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार उपयुक्त समाधान प्रदान करता है।

पंचामृत लक्ष्य क्या हैं?

भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पाँच प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें "पंचामृत" के नाम से जाना जाता है:

·        2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना।

·        2030 तक कुल ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना।

·        2030 तक कुल कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाना।

·        2005 के स्तर के मुकाबले, 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता(Carbon Intensity) को 45% तक कम करना।

·        2070 तक शुद्ध शून्य (Net Zero) कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना।

निष्कर्ष:

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय निरंतर ऐसी नीतियाँ और संरचनात्मक ढांचे विकसित कर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा की व्यापक तैनाती को प्रोत्साहित करें। वित्तीय वर्ष 2024–25 का उत्कृष्ट प्रदर्शन यह स्पष्ट संकेत देता है कि भारत न केवल अपने जलवायु लक्ष्यों को लेकर गंभीर है, बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ अग्रसर है।