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Blog / 21 Feb 2025

प्रतिस्पर्धा कानूनों में संशोधन: CCI का नया मसौदा विनियमन 2025

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI)  ने  "भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (उत्पादन की लागत का निर्धारण) विनियमन, 2025" का मसौदा प्रस्तुत किया है। यह पहल प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023 के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य भारत के प्रतिस्पर्धा कानूनों को अधिक प्रभावी और आधुनिक बनाना है। इसका लक्ष्य वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप प्रतिस्पर्धा संबंधी नियमों को संरेखित करना है।

प्रस्तावित विनियमन का उद्देश्य:

·        इस मसौदा विनियमन का उद्देश्य अनुचित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) से जुड़े मामलों में उत्पादन लागत तय करने की प्रक्रिया को प्रभावी और स्पष्ट बनाना है। यह नया विनियमन मौजूदा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (उत्पादन लागत निर्धारण) विनियमन, 2009 को प्रतिस्थापित करेगा।

·        CCI ने हितधारकों के लिए 17 फरवरी से 19 मार्च, 2025 तक परामर्श अवधि रखी है, जहां वे अपनी प्रतिक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भेज सकते हैं।

अनुचित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing)  :

अनुचित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) एक ऐसी रणनीति है, जिसमें कोई बड़ी कंपनी अपने प्रतिस्पर्धियों (Competitors) को बाज़ार से बाहर करने के लिए अपनी कीमतें उत्पादन लागत से भी कम कर देती है। जब प्रतिस्पर्धी कमजोर हो जाते हैं या पूरी तरह खत्म हो जाते हैं, तब यह कंपनी कीमतें बढ़ाकर मुनाफा कमाने लगती है। प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4(2)(A) इस तरह की अनैतिक रणनीतियों पर रोक लगाती है, क्योंकि इससे बाज़ार में अनुचित प्रभुत्व (Unfair Market Dominance) बन सकता है।

इस अधिनियम के तहत, किसी मूल्य निर्धारण को अनुचित मूल्य निर्धारण तब माना जाएगा जब ये तीन शर्तें पूरी हों:

1. बाजार स्थिति - फर्म के पास महत्वपूर्ण बाजार शक्ति होनी चाहिए।

2. लागत से कम मूल्य निर्धारण - कीमतों को जानबूझकर उत्पादन की लागत से कम निर्धारित किया जाना चाहिए।

3. प्रतिस्पर्धियों को बाजार से बाहर करने की रणनीति - फर्म का उद्देश्य प्रतिस्पर्धियों को बाज़ार से बाहर करना होना चाहिए।

2025 के मसौदा विनियमन आधुनिक लागत बेंचमार्क (Cost Benchmarking) को अपनाने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि अनुचित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) को अधिक प्रभावी ढंग से विनियमित किया जा सके। इसमें समकालीन आर्थिक सिद्धांतों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा मानकों (Global Competition Standards) को शामिल किया गया है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) को बाजार विकृतियों (Market Distortions) को रोकने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में दंड , सुधारात्मक उपाय  और मूल्य निर्धारण विनियमन (Pricing Regulation) लागू करने का अधिकार प्राप्त है।

अनुचित मूल्य निर्धारण को विनियमित करने में चुनौतियाँ:

2009 के बाद से, भारत की बाजार गतिशीलता में काफी बदलाव आया है, विशेषकर डिजिटल बाजारों और प्लेटफॉर्म-आधारित अर्थव्यवस्थाओं के उदय के साथ। यह परिवर्तन अनुचित मूल्य निर्धारण और वैध प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण रणनीतियों के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण बनाता है।

अद्यतित लागत मूल्यांकन पद्धतियों (Updated Cost Assessment Methods)  का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा-विरोधी मूल्य निर्धारण रणनीतियों (Anti-Competitive Pricing Strategies)  की पहचान करने में अधिक स्पष्टता प्रदान करना है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ये सुधार विनियामक निगरानी को बढ़ाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रमुख फर्म अपनी बाजार शक्ति का दुरुपयोग करें। नए दिशा-निर्देशों से मूल्य निर्धारण रणनीतियों में अनिश्चितता कम होने की भी उम्मीद है, जिससे व्यवसायों को लाभ होगा, विशेषकर मूल्य-संवेदनशील क्षेत्रों में।

निष्कर्ष:

नए मसौदा विनियमन अनुचित मूल्य निर्धारण की पहचान करने और उसे रोकने के लिए बेहतर उपकरण प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे भारत में अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा मिलेगा।  परामर्श की प्रक्रिया इन विनियमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ता संरक्षण और व्यावसायिक नवाचार के बीच संतुलन सुनिश्चित होगा। एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद, ये अद्यतन विनियम व्यवसायों, नियामक निकायों और उपभोक्ताओं के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे, जिससे निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी बाजार के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा।