संदर्भ:
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले एक दशक में अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को लगभग दोगुना करते हुए 105% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। यह वृद्धि भारत की आर्थिक नीतियों, संरचनात्मक सुधारों और विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादकता वृद्धि को दर्शाती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि की मुख्य विशेषताएं:
· सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि: भारत की GDP 2015 में $2.1 ट्रिलियन से बढ़कर 2025 में अनुमानित $4.3 ट्रिलियन हो गई है, जो 105% की वृद्धि को दर्शाता है। इस तेज़ विस्तार ने प्रतिशत वृद्धि के मामले में सभी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है।
· वैश्विक रैंकिंग: अब तक, भारत वैश्विक स्तर पर पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो केवल संयुक्त राज्य अमेरिका ($30.3 ट्रिलियन), चीन ($19.5 ट्रिलियन), जर्मनी ($4.9 ट्रिलियन) और जापान ($4.4 ट्रिलियन) से पीछे है।
अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलनात्मक वृद्धि:
पिछले एक दशक में अन्य प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में तुलनात्मक रूप से धीमी वृद्धि देखी गई:
- संयुक्त राज्य अमेरिका – 66% वृद्धि
- चीन – 44% वृद्धि
- यूनाइटेड किंगडम – 28% वृद्धि
- फ्रांस – 38% वृद्धि
- रूस – 57% वृद्धि
- ऑस्ट्रेलिया – 58% वृद्धि
- स्पेन – 50% वृद्धि
भारत की आर्थिक वृद्धि कई प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक तेज रही है, जो देश के तीव्र गति से हो रहे आर्थिक परिवर्तन और उसकी वैश्विक आर्थिक प्रभावशीलता को उजागर करती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने वाले कारक:
भारत की उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में कई कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
1. साहसिक आर्थिक सुधार: भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार लागू किए हैं। माल और सेवा कर (GST) के कार्यान्वयन, कॉर्पोरेट कर में कटौती, और व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) में सुधार जैसे कदमों ने देश को घरेलू और विदेशी निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है।
2. संरचनात्मक सुधार और निवेश: भारत ने बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। सरकार द्वारा डिजिटल बुनियादी ढांचे, राजमार्गों और रेलवे में किए गए भारी निवेश से औद्योगिक उत्पादन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स को मजबूती मिली है, जिससे समग्र आर्थिक विकास को गति मिली है।
3. विनिर्माण और नवाचार: "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" जैसी नीतियों ने घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित किया है, जिससे रोजगार सृजन, निर्यात वृद्धि और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई है। साथ ही, नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
भविष्य की संभावनाएँ:
· वैश्विक आर्थिक प्रभाव: सुधारों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता, औद्योगिक उत्पादकता में वृद्धि, और प्रौद्योगिकी व नवाचार में सतत प्रगति के कारण इसकी आर्थिक वृद्धि दीर्घकालिक रूप से मजबूत रहने की संभावना है।
· जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ना: भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि को देखते हुए, अनुमान है कि भारत 2027 तक जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देगा और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
निष्कर्ष:
पिछले दशक में भारत की 105% GDP वृद्धि देश की मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था, प्रभावी नीति-निर्माण, और रणनीतिक सुधारों का प्रमाण है। भारत का दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है। जैसे-जैसे भारत अपनी ऊर्ध्वगामी विकास यात्रा जारी रखेगा, यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरकर नवाचार, निवेश और विकास के नए अवसर प्रदान करेगा।