सन्दर्भ : हाल ही में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) और प्रोसस सेंटर फॉर इंटरनेट एंड डिजिटल इकोनॉमी (CIDE) की रिपोर्ट ने भारत के डिजिटल परिदृश्य में उल्लेखनीय अंतर को उजागर किया है।
· भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन "उपयोगकर्ता अर्थव्यवस्था" (User Economy) के मामले में यह 28वें स्थान पर है। उपयोगकर्ता अर्थव्यवस्था का तात्पर्य है — आम नागरिकों द्वारा डिजिटल सेवाओं को अपनाना और इन सेवाओं पर किया जाने वाला खर्च। यह देश के समग्र डिजिटल बुनियादी ढांचे और औसत नागरिक के लिए इसकी पहुँच के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर करता है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
1. डिजिटलीकरण में असमानता:
• भारत ने समग्र रूप से उच्च स्तर का डिजिटलीकरण प्राप्त किया है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर उपयोगकर्ताओं के बीच डिजिटल अपनाने की दर अपेक्षाकृत कम है।
• भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी का घनत्व और कई देशों के समान स्तर पर है, लेकिन डिजिटल सेवाओं पर उपभोक्ता खर्च अपेक्षाकृत कम है।
2. डिजिटल अर्थव्यवस्था का विकास:
• भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर, समग्र अर्थव्यवस्था की दर से दोगुनी दर से बढ़ रही है।
• 2029 तक, डिजिटल क्षेत्र का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पाँचवाँ हिस्सा योगदान करने का अनुमान है।
ये निष्कर्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और ICRIER द्वारा किए गए पूर्ववर्ती अध्ययन के अनुरूप हैं, जो भारत में डिजिटल क्षेत्र के तेज़ी से विस्तार की पुष्टि करते हैं।
3. चिप्स फ्रेमवर्क और भारत की रैंकिंग:
इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति का आकलन करने के लिए चिप्स फ्रेमवर्क का उपयोग किया गया है, जो कनेक्टिविटी की गुणवत्ता, सामर्थ्य, डेटा उपयोग की तीव्रता, फिनटेक विकास, एआई तत्परता और हरित ऊर्जा में निवेश जैसे कारकों का विश्लेषण करता है।
इन मापदंडों (metrics) के आधार पर भारत की रैंकिंग निम्नलिखित है:
• समग्र आर्थिक आकार में – तीसरा स्थान
• उपयोगकर्ता अर्थव्यवस्था में – 28वाँ स्थान
• इन सभी संकेतकों की संयुक्त रैंकिंग में – आठवाँ स्थान
4. डिजिटल दोहन और क्षेत्रीय असमानताएँ:
भारत ने डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसके पीछे कारण है:
• सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) सेवा निर्यात के मामले में भारत एक प्रमुख देश है और दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनकर्ताओं में शामिल है।
• भारत का आईटी उद्योग संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाजार पूंजीकरण वाला क्षेत्र है।
हालांकि, डिजिटलीकरण की प्रगति सभी क्षेत्रों में समान नहीं है:
• दक्षिणी और पश्चिमी राज्य डिजिटल अपनाने में अग्रणी हैं।
• वहीं, पूर्वी और उत्तरी राज्य इस मामले में पिछड़े हुए हैं, जो डिजिटल पहुँच और उपयोग में गहरी क्षेत्रीय असमानता को दर्शाता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ:
· भारत का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र (Innovation Ecosystem) उसकी एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जिसे एक सक्रिय स्टार्ट-अप संस्कृति, विकेंद्रीकृत वित्तीय तंत्र और उच्च-मूल्य वाले यूनिकॉर्न उद्यमों द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अब भी महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है:
• भारत इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मेटावर्स एप्लीकेशन्स को अपनाने के मामले में अन्य अग्रणी देशों से पीछे है।
· साथ ही, भारत का एआई (AI) बुनियादी ढाँचा और अनुसंधान एवं नवाचार आउटपुट G32 देशों के औसत स्तर से नीचे है।
आगे की राह:
- 2030 तक, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग एक-पाँचवाँ हिस्सा योगदान करने का अनुमान है। यह वृद्धि दर पारंपरिक क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक है, जो भारत के डिजिटलीकरण अभियान की सफलता को दर्शाता है। पिछले दशक में, डिजिटल-सक्षम क्षेत्रों की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) 17.3% रही, जबकि समग्र अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मात्र 11.8% थी। आगामी वर्षों में, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म 30% की वृद्धि दर के साथ तेज़ी से विस्तार करने की ओर अग्रसर हैं ।
- भारत को AI क्षमताओं को बढ़ाने, डिजिटल पहुँच बढ़ाने और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सही निवेश और नीतिगत उपायों के साथ, देश यह सुनिश्चित कर सकता है कि डिजिटल परिवर्तन न केवल एक आर्थिक शक्ति है, बल्कि समावेशी विकास का एक साधन भी है। इसके माध्यम से भारत वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की दिशा में एक सशक्त कदम बढ़ा सकता है।