सन्दर्भ:
रिपोर्ट का दायरा और महत्व:
कल्याण दक्षता सूचकांक का स्तर 2014 में 0.32 था, जो 2023 तक बढ़कर 0.91 हो गया—यानी कल्याणकारी वितरण प्रणाली की दक्षता और पारदर्शिता में लगभग तीन गुना सुधार हुआ है। यह दर्शाता है कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी रहा, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता को भी सुदृढ़ करने में सफल रहा है।
मुख्य उपलब्धियाँ
सब्सिडी में कमी, लाभार्थियों की व्यापक भागीदारी में वृद्धि
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- वर्ष 2009 से 2013 के दौरान सरकार के कुल खर्च में जहां सब्सिडी का हिस्सा 16% था, वहीं 2023–24 में यह घटकर मात्र 9% रह गया।
- वर्ष 2009 से 2013 के दौरान सरकार के कुल खर्च में जहां सब्सिडी का हिस्सा 16% था, वहीं 2023–24 में यह घटकर मात्र 9% रह गया।
● दूसरी ओर, लाभार्थियों की संख्या 2013 में जहाँ 11 करोड़ थी, वह 2024 में बढ़कर 176 करोड़ हो गई, जो कि 16 गुना वृद्धि को दर्शाता है।
यह आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत ने केवल खर्च घटाने पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि सब्सिडी को अधिक सटीक, पारदर्शी और ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचाने में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। इससे कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और समावेशिता दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
क्षेत्रवार प्रभाव:
1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से कुल बचत का 53% (₹1.85 लाख करोड़) खाद्यान्न सब्सिडी से हुआ। आधार को राशन कार्ड से जोड़ने के कारण गकत तरीके से जुड़े लाभार्थियों को हटाया गया, जिससे खाद्यान्न वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और सुधार हुआ।
2. मनरेगा (MGNREGS): प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 98% मजदूरी समय पर वितरित की गई, जिससे ₹42,534 करोड़ की बचत हुई। इसके परिणामस्वरूप देरी, भ्रष्टाचार और फर्जी प्रविष्टियों पर काबू पाया गया और योजना की प्रभावशीलता में सुधार हुआ।
3. पीएम-किसान योजना: छोटे और सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करने वाली इस योजना में 2.1 करोड़ अपात्र लाभार्थियों को हटाने से ₹22,000 करोड़ से अधिक की बचत हुई। यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य और वास्तविक किसानों को ही लाभ मिल रहा है।
4. उर्वरक सब्सिडी: प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के ज़रिए उर्वरकों के गलत इस्तेमाल में कमी आई। 158 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की बिक्री में गिरावट आई, जिससे ₹18,699.8 करोड़ की बचत हुई और सब्सिडी का सही और प्रभावी वितरण हुआ।
जेएएम (JAM) ट्रिनिटी:
भारत में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के सफलता में जेएएम ट्रिनिटी का महत्वपूर्ण योगदान है, जो तीन मुख्य तत्वों पर आधारित है:
- जनधन: 50 करोड़ से अधिक बैंक खातों का उद्घाटन किया गया, जिससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण संभव हुआ।
- आधार: 130 करोड़ से अधिक लोगों के लिए अद्वितीय बायोमेट्रिक पहचान की व्यवस्था की गई, जिससे लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित हुई।
- मोबाइल: डिजिटल संचार और लेनदेन को सशक्त बनाने के लिए मोबाइल तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे लेन-देन में पारदर्शिता और दक्षता आई।
निष्कर्ष:
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) ने भारत में कल्याणकारी योजनाओं की प्रणाली को जड़ से बदल दिया है। ₹3.48 लाख करोड़ की अभूतपूर्व बचत, लाभार्थियों की रिकॉर्ड स्तर पर वृद्धि, और तीन गुना अधिक दक्षता, ये सभी संकेत देते हैं कि यह बदलाव महज़ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि विकास की नई आधारशिला है।
जैसे-जैसे भारत डिजिटल युग में और आगे बढ़ रहा है, DBT एक प्रेरणास्रोत मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है—जो दिखाता है कि जब तकनीक और नीति एक साथ चलते हैं, तो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक भी लाभ सटीकता, पारदर्शिता और न्याय के साथ पहुँचाया जा सकता है।